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लोकसभा ने 80 हजार करोड़ रुपये की अनुदानों के मांग को मंजूरी
नयी दिल्ली : लोकसभा ने आज 2017 – 18 की पूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच को मंजूरी दे दी. इसके तहत सरकारी प्रतिभूतियों के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के वास्ते 80 हजार करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने की संसद से मंजूरी मांगी गई. चर्चा का जवाब देते […]
नयी दिल्ली : लोकसभा ने आज 2017 – 18 की पूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच को मंजूरी दे दी. इसके तहत सरकारी प्रतिभूतियों के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के वास्ते 80 हजार करोड़ रुपये के सकल अतिरिक्त व्यय को अधिकृत करने की संसद से मंजूरी मांगी गई. चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि बैंकों की कर्ज देने की क्षमता को बनाये रखना जरुरी है. बैंकों की कर्ज देने की क्षमता उसके पूंजीगत पर्याप्तता पर निर्भर करता है. लेकिन बैंकों पर एनपीए का भार आया.
उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से और उसके बाद सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एनपीए में इसलिए वृद्ध हुई क्योंकि सरकार ने 2015 में बैंकों की परिसम्पत्तियों का ऑडिट कराया. इसके माध्यम से यह पता लगाया गया कि वास्तविक एनपीए क्या है. जेटली ने कहा कि पहले बैंकों के एनपीए को छिपा कर रखा गया. आरबीआई ने तय किया जो वास्तविक स्थिति है, उसे जाहिर करेंगे. उन्होंने कहा कि यह नैतिक एवं विवेकपूर्ण कवायद थी और यह संप्रग बनाम राजग का सवाल नहीं है. जेटली ने कहा कि बैंकिंग व्यवस्था को दुरूस्त रखना है तो बैंकों को मजबूत बनाना होगा.
ऐसा नहीं होगा कि बैंकों ने किसी को ऋण दिया हो और वह लंदन में छिपकर बैठा हो, तो उसका भुगतान देश के करदाता करें. यह ठीक नहीं है. मंत्री के जवाब के बाद सदन ने 2017- 18 की पूरक अनुदान मांगों के तीसरे बैच और संबंधित विनियोग विधेयक को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी. अनुदान की पूरक मांग 2017-18 के दस्तावेज में कहा गया है कि यह पूरक अनुदान सरकारी प्रतिभूतियों के निर्गम के जरिये सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण के वास्ते 80 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय पूरा करने के लिए है. सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को प्रतिभूतियों के निर्गम पर अतिरिक्त पावतियों को लेखा में लेने से कोई अतिरक्त व्यय नहीं होगा. यह गैर निस्पादित आस्ति (एनपीए) प्रभावित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को प्रदान किये जाने वाले 1.35 लाख करोड रुपये के पुनर्पूजीकरण प्रतिभूतियों का हिस्सा है जो दो वर्षो की अवधि में प्रदान किया जायेगा. इन प्रतिभूतियों का दर्जा गैर सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) का होगा.
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