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पूरी दुनिया में फेमस हो गया अपना आधार, वित्तीय समावेशन में माना जा रहा बड़ा मददगार

हैमबर्गः दुनियाभर में अपने भारत के लोगों को पहचान दिलाने वाला आधार नंबर विख्यात हो गया. इसका कारण यह है कि समाज के गरीब और वंचित तबके तक सुविधाएं पहुंचाने और उनके वित्तीय समावेशन में सुधार लाने के लिए आंकड़ों और विश्लेषणात्मक आकलन के इस्तेमाल पर छिड़ी चर्चा के बीच भारत की आधार प्रणाली को […]

हैमबर्गः दुनियाभर में अपने भारत के लोगों को पहचान दिलाने वाला आधार नंबर विख्यात हो गया. इसका कारण यह है कि समाज के गरीब और वंचित तबके तक सुविधाएं पहुंचाने और उनके वित्तीय समावेशन में सुधार लाने के लिए आंकड़ों और विश्लेषणात्मक आकलन के इस्तेमाल पर छिड़ी चर्चा के बीच भारत की आधार प्रणाली को यहां सराहा गया. बैंकिंग सुविधाओं का विस्तार करने और नकदी का इस्तेमाल कम करने की दिशा में काम करने वाली जी20 देशों द्वारा वित्तीय सुधारों पर गठित एक वैश्विक संस्था ने भारत की आधार प्रणाली की इस मामले में प्रशंसा की है.

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वित्तीय स्थिरता बोर्ड (एफएसबी) ने बैंक प्रतिनिधि व्यवस्था (कोरेसपोंडेन्ट बैंकिंग रिलेशनशिप) में गिरावट की समस्या को समझने और उसका आकलन करने संबंधी अपनी प्रगति रिपोर्ट में कहा है कि इस संबंध में उसकी कारवाई योजना में अच्छी प्रगति हुई है, लेकिन संख्या में गिरावट लगातार बनी हुई है. इसमें कहा गया है कि बैंकिंग सहयोगी के दायरे में आने वालों की संख्या में गिरावट आना अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता की बात है.

बैंक प्रतिनिधि से आशय ऐसी व्यवस्था से है, जिसमें दूसरे वित्तीय संस्थानों की तरफ से सेवाएं उपलब्ध करायी जाती हैं. यह अन्य वित्तीय संस्थानों की तरफ से जमा स्वीकार करता है और अन्य लेन-देन करता है. इस दौरान अंतरराष्ट्रीय भुगतानों में आने वाली समस्या और कुछ भुगतनों के अंडरग्राउंड चैनलों के जरिये चलाये जाने के मुद्दों पर भी गौर किया गया. एफएसबी ने कहा कि इसका वित्तीय समावेश पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है और साथ ही वित्तीय प्रणाली की स्थिरता पर भी प्रभाव पड रहा है.

एफएसबी ने इस संबंध में अपनी कार्य योजना को जी20 शिखर सम्मेलन के मौके पर सौंप दिया है. यह सम्मेलन यहां शुक्रवार से शुरु हो रहा है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं के नेता इसमें पहुंच रहे हैं. वैश्विक वित्तीय संकट के बाद दुनिया के देशों में राष्ट्रीय स्तर की वित्तीय प्राधिकरणों और मानक स्थापित करने वाली संस्थाओं के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए एफएसबी की स्थापना की गयी. इसके पीछे मकसद दुनियाभर में वित्तीय क्षेत्र में प्रभावी नियमन, निगरानी और अन्य वित्तीय नीतियों को विकसित करना और बढ़ावा देना है.

एफएसबी ने एक सहयोगी बैंकिंग समन्वय समूह (सीबीसीजी) का भी गठन किया है, जो कि कार्ययोजना के क्रियान्वयन और उसको आगे बढ़ाने के काम में समन्वयन स्थापित करेगा.

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