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ये नेटफ्लिक्स क्या है!

दुनिया की सबसे बड़ी ऑन-डिमांड वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस ‘नेटफ्लिक्स’ की सेवाएं भारत में भी लांच हो चुकी हैं. जो लोग अपनी पसंद की फिल्में, टेलीविजन शो या अन्य वीडियो अपनी सुविधा के समय पर देखना चाहते हैं, उनके लिए यह सेवा काम की है.माना जा रहा है कि इससे टीवी, लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि पर मूवी […]

दुनिया की सबसे बड़ी ऑन-डिमांड वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस ‘नेटफ्लिक्स’ की सेवाएं भारत में भी लांच हो चुकी हैं. जो लोग अपनी पसंद की फिल्में, टेलीविजन शो या अन्य वीडियो अपनी सुविधा के समय पर देखना चाहते हैं, उनके लिए यह सेवा काम की है.माना जा रहा है कि इससे टीवी, लैपटॉप, स्मार्टफोन आदि पर मूवी और वीडियो देखने के तौर-तरीकों में बदलाव की एक नयी शुरुआत हो सकती है.

हालांकि, भारत में ऑनलाइन वीडियो सेवा के विस्तार की राह में अभी कई मुश्किलें भी हैं. नेटफ्लिक्स की सेवाओं से संबंधित महत्वपूर्ण पहलुओं के बारे में बता रहा है आज का नॉलेज…

दिल्ली : अमेरिका के लास वेगास में प्रत्येक वर्ष के शुरुआती सप्ताह में दुनिया के सबसे बड़े कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक्स शो (सीइएस) का आयोजन होता है, जिसमें दुनियाभर के तकनीकी विशेषज्ञ और कंपनियां शिरकत करती हैं और अपनी नयी योजनाओं व कार्यक्रमों का खुलासा करती हैं.
पिछले दिनों आयोजित सीइएस में दुनिया की सबसे बड़ी ऑन-डिमांड वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस ‘नेटफ्लिक्स’ के सीइओ रीड हैस्टिंग्स ने कंपनी की सेवाओं को भारत में भी लॉन्च करने की घोषणा की. इसके बाद नेटफ्लिक्स ने भारत में तीन प्लान लॉन्च कर दिये हैं, जिनमें बेसिक, स्टैंडर्ड और प्रीमियम प्लान शामिल हैं. नेटफ्लिक्स के तीनों वर्जन में अनलिमिटेड वीडियो देखे जा सकते हैं, हालांकि बेसिक सब्सक्रिप्शन में एचडी वीडियोज नहीं मिलेंगे. इसके अलावा बेसिक सब्सक्रिप्शन से एक बार में एक स्क्रीन पर ही वीडियो देखा जा सकता है. बताया जा रहा है कि अब नेटफ्लिक्स चीन को छोड़ कर दुनिया के सभी बड़े देशों में उपलब्ध है.
दुनिया के 130 देशों में सेवा
कंपनी का दावा है कि यह दुनिया में 60 देशों में करीब 70 करोड़ उपभोक्ताओं को अपने नेटवर्क में शामिल करते हुए दुनिया की सबसे बड़ी इंटरनेट टेलीविजन नेटवर्क कंपनी है. नेटफ्लिक्स के सीइओ रीड हैस्टिंग का कहना है कि कंपनी 2016 के आखिर तक अपनी सर्विस कई और देशों में लॉन्च करेगी, जिससे इसका स्वरूप ग्लोबल हो जायेगा. इन देशों में नाइजीरिया, पोलैंड, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया, तुर्की, इंडोनेशिया समेत 130 देश शामिल हैं.
सभी स्क्रीन्स के लिए उपलब्ध
भारत में नेटफ्लिक्स को सभी प्रकार की स्क्रीन्स के लिए उपलब्ध कराया गया है. हालांकि इस सर्विस को टेलीविजन पर चलाने के लिए अलग से एक्सबॉक्स 360 जैसा डिवाइस लगाना होगा, जबकि स्मार्टफोन, टैबलेट और लैपटॉप आदि पर यह सिर्फ इंटरनेट कनेक्शन के जरिये चलेगा.
500 रुपये मासिक में सर्विस
यह सेवा हासिल करने के लिए भारत में अभी आपको हर माह करीब 10 डाॅलर का भुगतान करना होगा. रीड हैस्टिंग के मुताबिक, यह 500 रुपये से ज्यादा नहीं होगा. हालांकि, यह शुल्क केवल नाॅर्मल व्यू के लिए है. यदि आप एचडी प्लान लेना चाहते हैं, तो 650 रुपये मासिक और अल्ट्रा एचडी के लिए 800 रुपये मासिक का भुगतान करना होगा. बेसिक प्लान के माध्यम से आप एक समय में एक ही स्क्रीन पर दिये गये समय के मुताबिक कार्यक्रम देख सकते हैं.
इसके अलावा स्टैंडर्ड प्लान के जरिये आप दो और प्रीमियम प्लान के माध्यम से चार चीजों को एक साथ देख सकते हैं. इन सब के माध्यम से आप अपने लैपटाॅप, टेलीविजन, स्मार्टफोन और टेबलेट पर स्ट्रीमिंग कर सकते हैं. हालांकि, इसके लिए आपको क्रोमकास्ट और रोकू जैसे डोंगल की जरूरत होगी, जिसे आपकी डिस्प्ले स्क्रीन के साथ प्लग कर दिया जायेगा.
कंपनी ने यह भी घोषणा की है कि भारत में इसकी सर्विस लेनेवाले उपभोक्ताओं को पहले महीने इसे फ्री में मुहैया कराया जायेगा. हालांकि, इसके साथ कुछ सेवाशर्तों को जोड़ा गया है.
मसलन भुगतान किसी अधिकृत कार्ड के माध्यम से ही करना होगा. साइनअप करते समय आपको यह स्पष्ट करना होगा कि आपकी उम्र 18 वर्ष से ज्यादा है, ताकि सभी प्रकार के सेंसर्ड कंटेंट तक आपकी पहुंच हो सके. नेटफ्लिक्स प्रोफाइल क्रिएट करते समय पहचान स्पष्ट करना इसलिए जरूरी बनाया जा रहा है, ताकि बच्चों की पहुंच से इसे दूर रखने में मदद मिल सके.
कंपनी के मुताबिक, इस सेवा का इस्तेमाल करते हुए एचडी स्ट्रीमिंग पर एक घंटे में करीब 3 जीबी डाटा की खपत करता है. नॉर्मल वीडियो के लिए यह सेवा प्रति घंटे 300 से 700 एमबी डाटा खर्च करती है. 4के अल्ट्रा स्ट्रीमिंग के लिए आपको बेहद तेज इंटरनेट की जरूरत होगी.
भारत में बड़े बाजार की उम्मीद
ऑन डिमांड वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस के लिए भारत में भविष्य में बड़े बाजार की उम्मीदों के बीच इस क्षेत्र में अनेक कंपनियां आ रही हैं. ‘बीबीसी’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, करीब 2000 फिल्मों की लाइब्रेरी वाली कंपनी इरोस इंटरनेशनल भी कुछ ऐसी ही सर्विस मुहैया करा रही है. इरोस की कोशिश होगी कि वह बॉलीवुड और दूसरी भारतीय भाषाओं की फिल्में ऑनलाइन देखनेवालों में अभी से ही अपनी पैठ कायम कर सके.
इरोस की टक्कर नेटफ्लिक्स के लिए बहुत कड़ी हो सकती है, क्योंकि कंपनी सालभर में करीब 70 फिल्में रिलीज करती है. यह कंपनी अपने दर्शकों को फिल्म रिलीज होते ही उन्हें ऑनलाइन मुहैया कराने की सुविधा भी दे सकती है. दरअसल, भारत ऐसा बाजार है, जहां सभी भाषाओं में हर साल करीब 800 फिल्में बनती हैं. दुनिया के किसी भी देश में इतनी फिल्में नहीं बनतीं. दूसरी ओर यहां स्मार्टफोनों की संख्या तेजी से बढ़ रही है और चीन के बाद भारत में मोबाइल फोन इस्तेमाल करनेवाले लोग सबसे ज्यादा हैं.
बॉलीवुड फिल्में देश ही नहीं दुनियाभर में मशहूर हैं और भारत की कंपनियों को लगता है कि दुनियाभर का ऑनलाइन फिल्म बाजार उनके लिए खुल सकता है. इन सभी की पहली नजर आपके स्मार्टफोन पर है कि आप कितनी देर तक वीडियो देखते हैं. नेटफ्लिक्स का भारत आना अपनेआप में भारतीय ऑनलाइन बाजार की अहमियत दिखाता है.
नेटफ्लिक्स का अब तक का सफर
– 1997 – रीड हैस्टिंग्स ने साॅफ्टवेयर एग्जीक्यूटिव मार्क रैंडोल्फ की मदद से नेटफ्लिक्स की स्थापना की और आॅनलाइन मूवी को रेंट पर मुहैया कराने का काम शुरू.
-1998 – नेटफ्लिक्स ने डीवीडी को किराये पर मुहैया कराने और बेचने के लिए पहला वेबसाइट शुरू किया, जिसे नेटफ्लिक्स डाॅट काॅम नाम दिया.
-1999 – कंपनी ने सब्सक्रिप्शन सर्विस शुरू की और मासिक निर्धारित कीमत के आधार पर डीवीडी रेंट पर देना शुरू किया.
– 2000 – कंपनी ने पर्सनलाइज्ड मूवी रिकोमेंडेशन सिस्टम की शुरुआत की, जो इसके सदस्यों की रेटिंग करता है और उनकी च्वाॅइस का अनुमान लगाता है.
– 2002 – नेटफ्लिक्स ने इसे औपचारिक पब्लिक प्रस्ताव के रूप में परिवर्तित किया. अमेरिका में छह लाख सदस्यों के साथ इसका आइपीओ नेसडेक के अधीन आया.
– 2005 – नेटफ्लिक्स के सदस्यों की संख्या बढ़ कर 4.2 मीलियन तक पहुंची.
– 2007 – कंपनी ने स्ट्रीमिंग सेवा शुरू की, जिससे इसके सदस्य अपने पर्सनल कंप्यूटर्स पर तत्काल टीवी शो और मूवीज देखने में सक्षम हुए.
– 2008 – एक्सबाॅक्स 360, ब्लू-रे डिस्क प्लेयर्स और टीवी सेट-टाॅप बाॅक्सेज के साथ स्ट्रीम होने के लिए नेटफ्लिक्स ने कंज्यूमर इलेक्ट्राॅनिक्स कंपनियों के साथ साझेदारी की.
– 2009 – पीएस3, इंटरनेट कनेक्टेड टीवी और अन्य इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइस के साथ स्ट्रीम होने के लिए कंपनियों के साथ साझेदारी.
– 2010 – एप्पल आइपैड, आइफोन और आइपाॅड टच और अन्य इंटरनेट कनेक्टेड डिवाइस पर नेटफ्लिक्स मुहैया कराया गया. कनाडा में सर्विस लाॅन्च.
– 2011 – लैटिन अमेरिकी और कैरिबियाइ देशों में सर्विस लाॅन्च.
– 2012 – यूरोप में नेटफ्लिक्स का प्रवेश. यूके और आयरलैंड में शुरू.
– 2013 – अनेक कार्यक्रमों और शो के जरिये नेटफ्लिक्स का अनेक देशों में विस्तार किया गया. इंटरनेट टीवी नेटवर्क मुहैया कराने के लिए कंपनी को अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए.
– 2014 – यूरोप के छह देशों- आॅस्ट्रिया, बेल्जियम, फ्रांस, जर्मनी, लग्जम्बर्ग और स्विट्जरलैंड में इसकी शुरुआत. दुनियाभर में इसके पांच करोड़ सदस्य हुए.
– 2015 – यूरोप में इटली, स्पेन और पुर्तगाल समेत आॅस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और जापान में सेवा शुरू की गयी. नेटफ्लिक्स की पहली आॅरिजनल फीचर फील्म ‘बीस्ट्स आॅफ नो नेशन’ को प्रदर्शित किया गया.
– 2016 – वैश्विक स्तर पर नेटफ्लिक्स की उपलब्धता मुहैया कराने पर जोर.
(स्रोत : नेटफ्लिक्स)
भारत में आसान नहीं नेटफ्लिक्स की राह
– प्रकाश कुमार रे
भा रत में नेटफ्लिक्स का प्रवेश भले ही प्रचार के शोर-शराबे के साथ न हुआ है, पर यह एक बड़ी अमेरिकी बहुराष्ट्रीय कंपनी का आगमन है और इसे लेकर उत्सुकता अकारण नहीं है.
अमेरिका और अनेक पश्चिमी देशों में मनोरंजन के उपभोग में आमूल-चूल बदलाव लानेवाली इस ऑनलाइन सेवा की राह भारत में आसान नहीं होगी. हमारे यहां इंटरनेट सेवाओं की स्पीड अमेरिका और अन्य कई देशों की तुलना में बहुत ही कम है तथा 4जी की आमद के बावजूद इसमें बहुत जल्दी किसी बेहतरी की संभावना नहीं दिखाई देती है.
टेलीकॉम टॉक के एक सर्वेक्षण के अनुसार, 45 फीसदी इंटरनेट यूजर्स के पास एक से तीन एमबी प्रति सेकेंड की स्पीड का कनेक्शन है. 30 फीसदी यूजर्स एक एमबी प्रति सेकेंड से कम स्पीड वाले कनेक्शन से काम चलाते हैं और 50 एमबी प्रति सेकेंड से अधिक स्पीड का कनेक्शन रखनेवालों की संख्या एक फीसदी से भी कम है. सामान्यतः नेटफ्लिक्स की हाइ डेफिनिशन सेवाओं का समुचित ढंग से आनंद उठाने के लिए उपभोक्ता के पास आठ एमबी प्रति सेकेंड स्पीड का कनेक्शन और 100 जीबी प्रति माह का डाटा होना चाहिए. ऐसे कनेक्शन के लिए दो हजार से अधिक शुल्क की सेवाएं लेनी होंगी. इस सेवा के लिए नेटफ्लिक्स की दरें भी अधिक हैं.
विभिन्न टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं के शुल्कों के आधार पर आकलन करें, तो साधारण गुणवत्ता के साथ एक फिल्म देखने में 40 से 60 रुपये का खर्च आ सकता है, और यह खर्च नेटफ्लिक्स के सबसे कम 500 रुपये प्रतिमाह के शुल्क के अतिरिक्त है. अमेरिका में मोबाइल सेवाएं आम तौर पर 20-25 जीबी डाटा उपभोग से पहले गति को सीमित नहीं करती हैं.
इसी तरह से अधिकतर कंपनियों द्वारा ब्रॉडबैंड में अधिकतम डाटा उपभोग की सीमा भी निर्धारित नहीं होती. वहां ब्रॉडबैंड की स्पीड 50 से 500 एमबी प्रति सेकेंड के बीच होती है. ऐसे में 100 से 512 केबी प्रति सेकेंड की भारतीय सेवाओं में नेटफ्लिक्स को जमने में बड़ी मुश्किल होगी. हालांकि इंटरनेट स्पीड से जुड़ी मुश्किलें काफी हद तक दूर हो सकती थीं, यदि नेटफ्लिक्स वीडियो डाउनलोड की सुविधा देता. उम्मीद है कि कंपनी देर-सबेर इस संबंध में कोई सकारात्मक निर्णय लेगी.
भारत में डीटीएच का व्यापक प्रसार है और इस क्षेत्र में सक्रिय कंपनियां लगातार सेवाओं को बेहतर और इंटरएक्टिव बना रही हैं. वीडियो और टेलीविजन कंपनियां भी अपने एप्प ला रही हैं. नेटफ्लिक्स पर भारतीय भाषाओं में सामग्री बढ़ने के लिए लोगों को अभी इंतजार करना होगा. इस माहौल में कठिन प्रतिस्पर्धा से नेटफ्लिक्स को जूझना होगा. सेवाओं की शुरुआत के साथ ही कई तकनीकी दिक्कतों से भी ग्राहक नाराज हैं और इसे जल्दी नहीं सुधारा गया, तो प्रारंभिक उत्साह का लाभ नेटफ्लिक्स नहीं उठा सकेगा.
बहरहाल, इतना जरूर कहा जा सकता है कि नेटफ्लिक्स के आने से मनोरंजन के क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे सेवाओं के अच्छे और सस्ते होने की उम्मीद की जा सकती है. ऐसे माहौल में टेलीकॉम सेवा प्रदाताओं को भी दरों में संशोधन करना पड़ सकता है. नेटफ्लिक्स को जमने के लिए काफी कोशिश करनी होगी. शायद यही कारण है कि उसने बिना किसी बड़े हंगामे के साथ भारतीय बाजार में कदम रखा है.
इस सेवा से जुड़े कुछ प्रमुख तथ्य
– नेटफ्लिक्स ने पहले माह फ्री सर्विस मुहैया कराने का प्रस्ताव दिया है, लेकिन इसके लिए आपके पास क्रेडिट कार्ड होना जरूरी है. ‘इंडिया टुडे डाॅट इन’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, सेवा लेते समय आपको क्रेडिट कार्ड का विवरण देना होगा, जिसमें आपको रकम चार्ज नहीं की जायेगी, लेकिन एक माह के बाद सब्सक्रिप्शन को मैनुअली डिएक्टिवेट करना होगा.
– नेटफ्लिक्स का कहना है कि भारत में उसके किसी भी कंटेंट पर सेंसर नहीं है. उन लोगों के लिए यह अच्छी खबर हो सकती है, जो सेंसर किये गये कंटेंट को नहीं देख पाते हैं, लेकिन हाउस आॅफ कार्ड्स जैसे नेटफ्लिक्स के कुछ ओरिजनल शो को भारत में लोग नहीं देख पायेंगे, क्योंकि यहां इसका लाइसेंस अन्य कंपनी के पास है.
– फिलहाल इसकी लाइब्रेरी में ज्यादा कंटेंट नहीं है. उदाहरण के तौर पर, साइंस फिक्शन सेक्शन की ही बात करें, तो इसमें कुल मिला कर केवल 32 टाइटल्स ही मौजूद हैं. यहां तक कि इसमें एक भी सिंगल स्टार वार्स मूवी नहीं है. ‘मैन फ्राॅम द यूएनसीएलइ’ जैसी लोकप्रिय मूवी भी इसमें उपलब्ध नहीं है, जबकि भारत में अन्य सर्विस प्रोवाइडर के पास यह मूवी मौजूद है. इसी तरह यदि आप गेम आॅफ थ्रोन्स जैसे शो देखना चाहते हैं, तो इसे आप नहीं देख पायेंगे. दरअसल, यह शो एचबीओ का एक्सक्लूसिव है.
– नेटफ्लिक्स का कहना है कि स्मूथ स्ट्रीमिंग के लिए 5 एमबीपीएस कनेक्शन का होना जरूरी है. यदि इतनी स्पीड नहीं है, तो फिर आपके लिए यह महंगा साबित हो सकता है.
नेटफ्लिक्स के कर्ता-धर्ता
रीड ने वर्ष 1991 में प्योर साॅफ्टवेयर की स्थापना की, जो साॅफ्टवेयर डेवलपर्स के टूल्स बनाती थी. 1995 में एक आइपीओ और कुछ अधिग्रहणों के बाद वर्ष 1997 में प्योर को नेशनल साफ्टवेयर ने अधिग्रहित कर लिया. इसी वर्ष रीड ने नेटफ्लिक्स की स्थापना की. रीड एक सक्रिय शिक्षाविद हैं और कई सालों तक इन्होंने स्टेट एजुकेशन बोर्ड में अपनी सेवाएं दी है. 1988 में वे स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में एमएससीएस की डिग्री हासिल कर चुके हैं.
टावनी क्रांज, चीफ टेलेंट आफिसर
वर्ष 2007 में टावनी बतौर डायरेक्टर इस कंपनी से जुड़ीं और 2012 में इन्हें चीफ टेलेंट आफिसर की जिम्मेवारी सौंपी गयी. उसके बाद से वे कंपनी की संबंधित जिम्मेवारियों का निर्वहन कर रही हैं. यूनिवर्सिटी आॅफ कैलिफोर्निया से साइकोलाॅजी में बीए और मैनेजमेंट की डिग्री हासिल करने के बाद वे इस प्रोफेशन से जुड़ीं.

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