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राम बहादुर

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आजादी का पर्व और आदर्श भारत

भारत को अगर वर्ष 2047 का आदर्श भारत, समृद्ध भारत और दुनिया की मानवता की अगुआई करने वाला भारत बनना है, तो उसकी पहली शर्त है कि साढ़े छह लाख गांवों को आत्मनिर्भर होना होगा

सामाजिक सुधार समय की मांग

जब भी कोई परिवर्तनकारी घटना घटती है तो उसमें युवा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और मोहन भागवत का यह कथन भी एक परिवर्तनकारी प्रवृत्ति की सूचना है तथा युवा इसका अनुसरण करेंगे.

परिणामों के कई मायने

परिणामों के कई मायने

हमारे स्वभाव में है लोकतांत्रिक मूल्य

हमारे गणतंत्र की यात्रा निर्बाध चल रही है और आगे भी चलती रहेगी. यह किसी राजनीतिक दल या नेता की देन नहीं है, यह भारत की मिट्टी की देन है, लेकिन हमारे नायकों की विफलता साफ-साफ दिख रही है.

संवैधानिक राष्ट्रीयता का आह्वान

मोहन भागवत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पहले सरसंघचालक हैं, जो समाज में बनी हुई संघ की नकारात्मक छवि, खास कर जो विरोधियों ने बनायी है, को क्रमश: ध्वस्त कर रहे हैं. वे संघ को समाज के उस हिस्से में स्वीकृति दिला रहे हैं, जहां गलत धारणाओं के कारण विरोध था. भागवत 2009 में संघ प्रमुख बने हैं. तब से उनके वक्तव्य या कार्यशैली में यह दिखता है. उनकी यह विशेषता भी है कि वे निजी तौर पर नहीं बोलते. वे जब बोलते हैं, तो वह संघ का सोचा-समझा दृष्टिकोण होता है.

Hindi Diwas 2021:हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने की जरूरत

Hindi Diwas 2021: राष्ट्रीय शिक्षा नीति में बहुत महत्वपूर्ण प्रावधान है कि अब प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में दी जायेगी. यही विचार स्वाधीनता आंदोलन में महात्मा गांधी का भी था.