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प्रो शांतिश्री धूलिपुड़ी पंडित
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Opinion
Opinion : धर्मनिरपेक्षता विरोधी नहीं है हिंदू एकता
हिंदू धर्म को बुराई मानने की अदूरदर्शिता इतनी प्रबल है कि सावरकर या आंबेडकर जैसे लोगों के तर्कों की गुणवत्ता या सत्यता चाहे जितनी भी हो, उन्हें दरकिनार कर दिया जाता है. जाति विभाजन की उनकी आलोचना पर गंभीरता से विचार नहीं किया जाता है.
Opinion
ड्रग्स और आतंक का खालिस्तानी गठजोड़
पिछले कुछ वर्षों में खालिस्तान आंदोलन को सबसे अप्रत्याशित समूहों- पश्चिमी देशों, खासकर कनाडा, अमेरिका और ब्रिटेन के अति-उदारवादी तत्व- से समर्थन मिला है.
Opinion
महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी
Women safety : पांच वर्षों की प्रतीक्षा के बाद जस्टिस हेमा आयोग की रिपोर्ट सार्वजनिक की गयी है. जस्टिस के हेमा की अध्यक्षता में इस आयोग को 2018 में गठित किया था. इस आयोग को मलयालम सिनेमा उद्योग में यौन शोषण और उत्पीड़न की स्थिति के बारे में अध्ययन करना था.
Opinion
महर्षि अरविंद: क्रांति से अध्यात्म की ओर
गुरुदेव रबींद्रनाथ ठाकुर ने महर्षि अरविंद के बारे में कहा था- ‘आपके पास शब्द हैं और हम इसे आपसे पाने की प्रतीक्षा कर रहे हैं. भारत आपके स्वर के माध्यम से विश्व से संवाद करेगा.’ उग्र राजनीतिक सोच के शुरुआती पैरोकार अरविंद ब्रिटिश शासन की समाप्ति चाहते थे. पर एक महत्वपूर्ण दार्शनिक के रूप में उनकी विरासत, जिसने भारत को एक राष्ट्र-राज्य के रूप में गढ़ने में योगदान दिया, अमूल्य है.
Opinion
राजनीतिक मसला नहीं है दुष्कर्म
कोलकाता की घटना इस कटु सत्य को इंगित करती है कि मात्र स्त्री नेतृत्व होने से महिलाओं को बेहतर या सुरक्षित माहौल नहीं मिल जाता. इस प्रकरण में जो हुआ है है, वह बेहद चिंताजनक है. पीड़िता की पहचान को प्रशासन द्वारा सार्वजनिक क्यों किया गया?
Opinion
बांग्लादेश में संकट के पीछे कई ताकतें
Bangladesh Crisis : बांग्लादेश उर्दू थोपने के विरोध में बंगाली होने के अपने धर्मनिरपेक्ष और सांस्कृतिक पहचान के आधार पर पाकिस्तान से अलग हुआ था. बांग्लादेश स्वाधीनता संग्राम के नेता और देश के पहले राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर्रहमान की पाकिस्तान-समर्थक इस्लामिक कट्टरपंथियों द्वारा हत्या के बाद वहां यह बहस केंद्र में आ गयी कि बांग्लादेश पहले बंगाली है या इस्लामिक.
Opinion
विश्वसनीय बने उच्च शिक्षा एवं परीक्षा तंत्र
एकता एक वांछनीय गुण है, जैसे एक राष्ट्रीय पहचान गढ़ना. लेकिन हर जगह समरूपता पर जोर देना नियंत्रण की मानसिकता का एक रूप है.