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ज्ञानेंद्र रावत

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कई संकटों का कारण बनता बढ़ता तापमान

विश्व मौसम विज्ञान संगठन की मानें, तो न केवल बीता वर्ष, बल्कि पूरा बीता दशक धरती पर अभी तक का सबसे गर्म दशक रहा है और 2014 के बाद यह जून सबसे गर्म माह रहा है.

भीषण गर्मी का गहराता संकट

धरती का तापमान जिस तेजी से बढ़ रहा है, वह समूची दुनिया के लिए खतरनाक संकेत है. बीते नौ सालों ने तो धरती के सर्वाधिक गर्म होने का रिकॉर्ड कायम किया है. यह भी कि दिन-ब-दिन, महीने दर महीने, साल दर साल तापमान वृद्धि के रिकॉर्ड टूट रहे हैं.

जंगलों को धधकने से बचाने का हो स्थायी उपाय

उत्तराखंड के मौजूदा हालात स्थिति की गंभीरता का सबूत हैं. आग बुझाने के हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं. परंतु, सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न यही है कि आखिर जंगल की आग कब बुझेगी?

भयावह खतरा है लू की तीव्रता

बीते सालों की प्राकृतिक आपदाओं को देखते हुए यह कम आश्चर्यजनक नहीं है कि जलवायु परिवर्तन के दुष्प्रभावों से निपटने के लिए कारगर कदम उठाने में वैश्विक समुदाय उतना सजग नहीं दिखता.

वायु प्रदूषण से निपटने के लिए हों व्यापक प्रयास

भारत लगातार खराब वायु गुणवत्ता से जूझ रहा है जिसमें पीएम 2.5 की सांद्रता विश्व स्वास्थ्य संगठन के वार्षिक स्तर से भी 10 गुणा अधिक है. हमारे देश के करीब 1.36 अरब लोग पीएम 2.5 की उच्च सांद्रता की चपेट में हैं.

वायु प्रदूषण से बढ़ती मौतें चिंताजनक

दुनियाभर में खराब वायु गुणवत्ता के कारण हर वर्ष लगभग 60 लाख से अधिक लोग मौत के मुंह में चले जाते हैं. यूनिवर्सिटी ऑफ लंदन के वैज्ञानिकों के शोध में खुलासा हुआ है कि वायु प्रदूषण से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगातार बढ़ता जा रहा है. यह गंभीर चिंता का विषय है.

जीवन के लिए खतरा बन रहा माइक्रोप्लास्टिक

जिस बोतलबंद पानी को हम सबसे अधिक सुरक्षित मानते हैं, वही पानी आजकल जानलेवा बना हुआ है. इस पानी में मौजूद प्लास्टिक के ये छोटे-छोटे कण, जिन्हें हम माइक्रोप्लास्टिक के नाम से जानते हैं, हमारे लिए सुरक्षित नहीं हैं. इनसे हृदय रोग, मधुमेह और अन्य खतरनाक बीमारियों का अंदेशा बढ़ गया है.

जीवाश्म ईंधन की खपत को कम करना आवश्यक

वर्ष 2023 की बात करें, तो अक्तूबर महीने की गर्मी ने अभी तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिये हैं. सितंबर में दक्षिणी अमेरिका में रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ी. न्यूयॉर्क में रिकॉर्ड बारिश हुई.

2016 की गर्मी का रिकॉर्ड टूट जाने का अंदेशा

हमने 1951 के बाद करीब दस बार अल नीनो के कारण सूखे की भयावहता का सामना किया है. अल नीनो का सर्वाधिक प्रभाव बारिश के पैटर्न पर पड़ता है.
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