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ईरान में अब उदारवादी नेता अयातुल्ला खौमैनी नहीं रहेंगे राष्ट्रपति, उनके कट्टर समर्थक इब्राहिम रईसी होंगे नए राष्ट्राध्यक्ष

राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ. शुरुआती नतीजों के अनुसार, रईसी ने एक करोड़ 78 लाख मत हासिल किए. चुनावी दौड़ में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए.

दुबई : अगर आप बीबीसी रेडियो के पुराने श्रोता हैं, तो आप ईरान के उदारवादी राजनेता अयातुल्ला खोमैनी के नाम को जरूर पहचानते होंगे, जो फिलहाल वहां के राष्ट्रपति थे, लेकिन अब वे वहां के राष्ट्रपति नहीं रहेंगे. इसका कारण यह हैं कि वहां अभी हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनाव में अपने ही कट्टर समर्थक और कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी के हाथों हार गए हैं. शनिवार को जारी चुनाव के नतीजों में खोमैनी के कट्टर समर्थक और कट्टरपंथी न्यायपालिका प्रमुख इब्राहीम रईसी ने बड़े अंतर से जीत हासिल की.

ऐसा प्रतीत होता है कि राष्ट्रपति पद के चुनाव में देश के इतिहास में इस बार सबसे कम मतदान हुआ. शुरुआती नतीजों के अनुसार, रईसी ने एक करोड़ 78 लाख मत हासिल किए. चुनावी दौड़ में एकमात्र उदारवादी उम्मीदवार अब्दुलनासिर हेम्माती बहुत पीछे रहे गए. बहरहाल, खोमैनी ने रईसी के सबसे मजबूत प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य करार दे दिया था, जिसके बाद न्यायपालिका प्रमुख ने यह बड़ी जीत हासिल की.

रईसी की उम्मीदवारी के कारण ईरान में मतदाता मतदान के प्रति उदासीन नजर आए और पूर्व कट्टरपंथी राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद सहित कई लोगों ने चुनाव के बहिष्कार की अपील की. ईरान के गृह मंत्रालय में चुनाव मुख्यालय के प्रमुख जमाल ओर्फ ने बताया कि प्रारंभिक परिणामों में पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने 33 लाख मत हासिल किए और हेम्माती को 24 लाख मत मिले. एक अन्य उम्मीदवार आमिरहुसैन गाजीजादा हाशमी को 10 लाख मत मिले.

उदारवादी उम्मीदवार और ‘सेंट्रल बैंक’ के पूर्व प्रमुख हेम्माती और पूर्व रेवोल्यूशनरी गार्ड कमांडर मोहसिन रेजाई ने रईसी को बधाई दी. हेम्माती ने शनिवार तड़के इंस्टाग्राम के माध्यम से रईसी को बधाई दी और लिखा, ‘मुझे आशा है कि आपका प्रशासन ईरान के इस्लामी गणराज्य को गर्व करने का कारण प्रदान करेगा. महान राष्ट्र ईरान के कल्याण के साथ जीवन और अर्थव्यवस्था में सुधार करेगा.

रेजाई ने मतदान में हिस्सा लेने के लिए खोमैनी और ईरानी लोगों की ट्वीट करके प्रशंसा की. रेजाई ने लिखा, ‘मेरे आदरणीय भाई आयतुल्ला डॉ सैयद इब्राहीम रईसी का निर्णायक चयन देश की समस्याओं को हल करने के लिए एक मजबूत और लोकप्रिय सरकार की स्थापना का वादा करता है.’

चुनाव में किसी उम्मीदवार का शुरुआत में ही हार स्वीकार कर लेना ईरान के चुनावों में कोई नई बात नहीं है. यह इस बात का संकेत देता है कि सावधानी से नियंत्रित किए गए इस मतदान में रईसी ने जीत हासिल की है. कुछ लोगों ने इन चुनावों का बहिष्कार किया है. इस बार मतदान प्रतिशत 2017 के पिछले राष्ट्रपति चुनाव के मुकाबले काफी नीचे लग रहा है.

रईसी की जीत की आधिकारिक घोषणा के बाद वह पहले ईरानी राष्ट्रपति होंगे, जिन पर पदभार संभालने से पहले ही अमेरिका प्रतिबंध लगा चुका है. उन पर यह प्रतिबंध 1988 में राजनीतिक कैदियों की सामूहिक हत्या के लिए और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आलोचना झेलने वाली ईरानी न्यायपालिका के मुखिया के तौर पर लगाया गया था.

रईसी की इस जीत से ईरान सरकार पर कट्टरपंथियों की पकड़ और मजबूत होगी और यह ऐसे समय में होगा, जब पटरी से उतर चुके परमाणु करार को बचाने की कोशिश के तहत ईरान के साथ विश्व शक्तियों की वियना में वार्ता जारी है. ईरान फिलहाल यूरेनियम का बड़े स्तर पर संवर्धन कर रहा है. इसे लेकर अमेरिका और इजराइल के साथ उसका तनाव काफी बढ़ा हुआ है.

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Posted by : Vishwat Sen

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