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कब्रिस्तानों की घेराबंदी के मामले गंभीर : शमशाद

गया: जिले में अल्पसंख्यकों का हर स्तर पर हाल जानने के लिए मंगलवार को सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य मो शमशाद आलम ने समीक्षा बैठक की. एक-एक बिंदु पर समीक्षा की गयी तो पाया कि जिले में काफी गंभीर स्थिति है. आयोग के सदस्य ने इसके लिए अधिकारियों को […]

गया: जिले में अल्पसंख्यकों का हर स्तर पर हाल जानने के लिए मंगलवार को सर्किट हाउस में अधिकारियों के साथ राज्य अल्पसंख्यक आयोग के सदस्य मो शमशाद आलम ने समीक्षा बैठक की. एक-एक बिंदु पर समीक्षा की गयी तो पाया कि जिले में काफी गंभीर स्थिति है.

आयोग के सदस्य ने इसके लिए अधिकारियों को फटकार भी लगायी और इसे जल्दी ही दुरुस्त करने की बात कही. उन्होंने कहा कि दोषी पर कार्रवाई हो.

समीक्षा के दौरान आयोग के सदस्य ने पाया कि जिले के 486 कब्रिस्तानों में 270 की घेराबंदी करने की योजना बनायी गयी. इनमें अब तक 179 पूरे कर लिये गये. 91 अधूरे हैं. इनमें वे कब्रिस्तान भी अधूरे हैं, जिनका काम 2006-07 में शुरू किया गया था और अब तक पूरा नहीं हो सका है. फतेहपुर के सलैया कला, टनकुप्पा के त्रिलोकीचक समेत कई ऐसे कब्रिस्तान हैं जो 2006-07 की योजना है और अब तक अधूरी है. इमामगंज के सिंहपुर, बिकोपुर में भी 2009-10 से काम अधूरा है. आश्चर्य तो यह कि एग्रीमेंट हुआ. पैसे की निकासी भी हुई और काम भी पूरा नहीं हुआ.

श्री आलम ने डीआरडीए के डायरेक्टर शशि शेखर चौधरी को हिदायत देते हुए कहा कि ऐसे लंबित मामलों की गहन जांच करें. दोषी पर कार्रवाई करें और अधूरे काम को जल्द पूरा कराने का प्रयास करें. उन्होंने कहा कि इस काम के लिए समय सीमा निर्धारित कर हमें बतायें कि कब तक ये सभी काम पूरे हो जायेंगे. समीक्षा में सदस्य ने यह भी पाया कि अल्पसंख्यकों के लिए इंदिरा आवास में 15 प्रतिशत का कोटा भी गया में पूरा नहीं हुआ है. केंद्र व राज्य सरकार के निर्देश की अवहेलना व अनदेखी हो रही है.

श्री आलम ने बताया कि 15 प्रतिशत जो अल्पसंख्यक का कोटा है उसके अलावा सामान्य कोटे से भी अल्पसंख्यकों को इंदिरा आवास देने का प्रावधान है. काफी शिथिलता बरती गयी है. उन्होंने बताया कि आपूर्ति विभाग में भारी गड़बड़ी है. मंदिर, मसजिद, धर्मशाला, मदरसों के लिए आपूर्ति विभाग के पास सुरक्षित केरोसिन का कोटा है. इसका वारा-न्यारा हो रहा है. शहर में ही भारी संख्या में मदरसे हैं, जहां गरीब, असहाय के बच्चे तालीम ले रहे हैं. उनकी पढ़ाई-लिखाई के लिए केरोसिन नहीं दिया जा रहा है. केरोसिन का वितरण डुमरिया, इमामगंज, बाराचट्टी, डंगरा व मोहनपुर जैसे सुदूर इलाकों में दिखाया जा रहा है, जहां कोई जांच करने नहीं जाता. जिले में उर्दू मध्य विद्यालयों में 104 शिक्षकों का पद सृजित है. इसके विपरीत यहां सिर्फ 17 शिक्षक ही कार्यरत हैं. 87 खाली है.

जिले में आवासीय कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय की हालत और भी गंभीर है. इन विद्यालयों में 10 प्रतिशत अल्पसंख्यक छात्रओं को पढ़ाने का प्रावधान है. आमस कस्तूरबा विद्यालय में पढ़ रही 84 बच्चियों में तीन अल्पसंख्यक की है. इसी तरह अतरी में 90 में तीन, नीमचक बथानी में 89 में पांच, बेलागंज में 88 में मात्र एक, बोधगया में 90 में एक भी नहीं. मानपुर में 76 में एक, मोहड़ा में 98 में एक, नगर प्रखंड में 76 में तीन, वजीरगंज में 61 में तीन, मुसलिम बहुल शेरघाटी में 91 में दो व टिकारी में 60 में एक अल्पसंख्यक की छात्र पढ़ रही है. कहीं भी नियम का पालन नहीं हो रहा है. उन्होंने बताया कि छात्रवृत्ति की स्थिति थोड़ी ठीक है. प्री मैट्रिक व पोस्ट मैट्रिक के अल्पसंख्यक के बच्चे को छात्रवृत्ति मिल रही है. जिला अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारी जितेंद्र कुमार ने बताया कि जिले के 6754 पोस्ट मैट्रिक के अल्पसंख्यक बच्चों को आरटीजीएस के माध्यम से पैसे भेजे जा रहे हैं. बैठक में अल्पसंख्यकों के शस्त्र लाइसेंस का आवेदन लंबित रहने व बांटे जाने के बारे में भी जानकारी ली गयी. इस मौके पर आर्म्स मजिस्ट्रेट श्वेता मिश्र, जिला शिक्षा पदाधिकारी राजीव रंजन प्रसाद, सिविल सजर्न डॉ अरविंद कुमार, एडीएसओ (अनुमंडल आपूर्ति पदाधिकारी), सामाजिक सुरक्षा कोषांग के सहायक निदेशक चौधरी इमरान रजा, डीआरडीए के डायरेक्टर सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे.

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