पटना: दर्जनों लोगों से मासिक पैसा जमा कराने के बाद फरवरी माह में ही अपने कार्यालय को बंद कर फरार कंपनी से जुड़े सीनियर एजेंट संतोष कुमार (कौशल नगर, पोलो रोड) को जमाकर्ताओं ने सचिवालय थाने के इको पार्क के पास पकड़ लिया. वे सब एजेंट की पिटाई करते हुए सब्जीबाग ले जा रहे थे. इसी बीच गांधी मैदान थाने के समीप भी संतोष की लोगों ने पिटाई कर दी. हो-हल्ला सुन कर गांधी मैदान पुलिस पहुंची और उसे भीड़ के चंगुल से निकाला. मामला कंकड़बाग थाना क्षेत्र के होने के कारण पुलिस सुरक्षा में उसे संबंधित थाना भेजा गया.
150 एजेंट थे कंपनी में
बताया जाता है कि संतोष कंकड़बाग मेन रोड में तिवारी बेचर के पास दिलशान भवन के थर्ड फ्लोर स्थित चक्रा होटल एंड लीजर लिमिटेड में काम करता था. वहीं संतोष का कहना है कि उसकी कंपनी कोलकाता में है. कोलकाता हाइकोर्ट के निर्देश के बाद कंपनी के व्यवसाय पर रोक लगा दी गयी है. इसकी वजह से लोगों का जमा पैसा फंस गया है. कोर्ट का निर्देश अगर होगा, तो सभी का पैसा ब्याज के साथ लौटा दिया जायेगा. उसने बताया कि कंपनी में 150 एजेंट थे, जिन्हें पैसा जमा कराने के एवज में एक से दो फीसदी कमीशन दिया जाता था.
की जा रही है छानबीन
दूसरी ओर, लोगों की शिकायत पर सुलतानगंज में रहनेवाले एजेंट महताब अशरफी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. लोगों का आरोप है कि महताब अशरफी ने उन लोगों के पैसों को जमा करवाया था. समय सीमा पूरा होने के बाद पैसा लौटाने की बारी आयी, तो कंपनी अपने कार्यालय को बंद कर फरार हो गयी. इस संबंध में सदर डीएसपी मुत्तफीक अहमद ने बताया कि पीड़ितों ने दोनों के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी है. दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया है और जेल भेज दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस बात की छानबीन की जायेगी कि कंपनी को पैसे जमा कराने के लिए अधिकार प्राप्त था या नहीं?
क्या कहते हैं पीड़ित
सुलतानगंज के दरगाह रोड निवासी मो फिरोज कुरैशी, मो जावेद, मो मुन्ना, मो नौशाद कुरैशी व मो नावेद ने बताया कि उन लोगों ने पांच सौ लेकर 2000 रुपये तक प्रतिमाह एक साल के बचत खाता में कंपनी में जमा किया था. उन लोगों की अवधि दिसंबर में ही पूरी हो गयी और उन्हें 18 हजार के बदले 21500 रुपये मिलने थे. वे लोग जब अपने पैसे लेने के लिए कंपनी के कार्यालय गये, तो टालमटोल किया गया. जनवरी में कहा गया कि फरवरी में आइएगा. फरवरी में उनके कार्यालय में ताला लटका था.
उन्होंने बताया कि दर्जनों लोगों के पैसे कंपनी में जमा कराये गये थे. चूंकि 2012 में जमा कराये गये पैसे कंपनी द्वारा वापस कर दिये गये थे. इससे उन लोगों का विश्वास जमा था और 2013 में दोबारा पैसे का निवेश किया गया.