पेशावर : अलकायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन का पता लगाने में सीआईए की मदद करने वाले डॉक्टर शकील अफरीदी की दोषसिद्धि को पाकिस्तान की एक अदालत ने आज बरकरार रखा लेकिन उसकी 33 साल की सजा को 10 साल कम कर दिया.
संघीय प्रशासित कबायली क्षेत्र न्यायाधिकरण (एफएटीए) ने वर्ष 2012 में अफरीदी को 33 साल कैद की सजा सुनाई थी और उसपर 3 लाख 20 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया था.
इस फैसले को अफरीदी के वकीलों ने चुनौती दी थी और इसपर फैसला फ्रंटियर क्राइम्स रेगुलेशन (एफसीआर) के आयुक्त ने बीती 15 फरवरी को सुरक्षित रख लिया था.
आज के फैसले में एफसीआर आयुक्त ने पुराने फैसले को बरकरार रखा लेकिन सजा में 10 साल की कमी कर दी. अफरीदी के वकील सामी उल्लाह ने कहा कि यह फैसला अप्रत्याशित है और वे इसके खिलाफ एफएटीए न्यायाधिकरण में अपील करेंगे. 2 मई 2011 को बिन लादेन को मार गिराने वाले अमेरिकी कमांडो के अभियान के तुरंत बाद डॉक्टर को गिरफ्तार कर लिया गया था. डॉक्टर को प्रतिबंधित आतंकी समूह लश्कर-ए-इस्लाम के साथ कथित संबंधों के चलते राजद्रोह का दोषी ठहराया गया.
बिन लादेन को ऐबटाबाद में अमेरिकी कमांडो की एकपक्षीय कार्रवाई में मार गिराया गया था. इससे दोनों देशों के संबंधों के स्तर में भारी गिरावट आयी थी और पाकिस्तान की ताकतवर सेना शर्मसार हो गयी थी.
अफरीदी फिलहाल पेशावर की केंद्रीय जेल में बंद है. ऐसा कहा गया कि बिन लादेन के परिवार तक पहुंच बनाने के लिए अफरीदी ने फर्जी टीकाकरण शिविर चलाया था लेकिन कानूनी जानकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने इस बात को चुनौती दी थी. अमेरिका भी अफरीदी की रिहाई के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाता रहा है.