वारसा : कार्यस्थल पर हुई दुर्घटना में चेहरा खराब होने के महज तीन सप्ताह बाद ही पोलैंड के 33 वर्षीय व्यक्ति के चेहरे का प्रतिरोपण किया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि यह अब तक का सबसे कम समय में किया गया ऐसा ऑपरेशन है. पोलैंड में पहली बार चेहरे का प्रतिरोपण किया गया है.
चेहरे का प्रतिरोपण बहुत जटिल और दुर्लभ प्रक्रिया है जिसके लिए मरीज को तैयार करने में महीनों या वर्षों लग जाते हैं. चिकित्सा अधिकारियों ने कल बताया कि पोलैंड के इस मरीज की हालत बहुत तेजी से बिगड़ रही थी और ऐसे में चेहरे का प्रतिरोपण ही उसकी जान बचाने का एकमात्र उपाय था. फिलहाल डॉक्टर यह देख रहे हैं कि मरीज को किसी तरह का गंभीर संक्रमण न हो.
जार्ज नामक इस मरीज के ऑपरेशन के महज छह दिन बाद ली गई तस्वीर में वह अस्पताल के बिस्तर पर खुश नजर आ रहा था. 23 अप्रैल को कार्यस्थल पर हुई दुर्घटना में पत्थर तोड़ने वाली मशीन की चपेट में आकर इस व्यक्ति के चेहरे का ज्यादातर भाग और उपरी जबड़ा कुचल गया था.
डॉक्टरों ने बताया कि स्थानीय अस्पताल में इलाज के कारण उसकी जान और आंखे बच गयीं. लेकिन उसका चेहरा दुरुस्त करने की कोशिश असफल रही. इस वजह से उसके मस्तिष्क का एक हिस्सा इस तरह हो गया कि उसमें संक्रमण की आशंका होने लगी. नुकसान ऐसा था कि डॉक्टरों को इस हिस्से को अस्थायी तरीके से सील करना पड़ा.
बाद में मरीज को पोलैंड में चेहरे का प्रतिरोपण करने वाले इकतौले अस्पताल ‘कैंसर सेंटर एण्ड इंस्टीट्यूट ऑफ ओंकोलॉजी’ ले जाया गया. डॉक्टरों ने बताया कि अनुकूल डोनर मिलने के बाद 15 मई को जॉर्ज का चेहरा और अस्थि प्रतिरोपण का 27 घंटे का ऑपरेशन किया गया.
ऑपरेशन में मरीज की आंखे, नाक, जबड़ा, तालु और चेहरे के अन्य भागों का प्रतिरोपण किया गया. सजर्री करने वाली टीम के मुखिया डॉक्टर एडम मेसिजेवस्की ने बताया कि पहली बार दुर्घटना होने के बाद इतने कम समय में चेहरे का प्रतिरोपण किया गया है. सामान्य तौर पर पारंपरिक ऑपरेशनों और प्लास्टिक सजर्री के नाकाम होने पर ही चेहरे का प्रतिरोपण किया जाता है.