अंतालिया : दुनिया की 20 प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं ने आर्थिक वृद्धि में विसंगति की समस्या के निटने के लिए हर संभव नीतिगत उपाय करने का संकल्प लिया और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की कोटा प्रणाली में सुधार में हो रही देरी पर भारत की व्यक्त चिंता तथा भ्रष्टाचार को सहन न करने की एक वैश्विक संस्कृति विकसित करने की सलाह का अनुमोदन किया.
जी20 के नेताओं के दो दिन के शिखर सम्मेलन के अंत आज यहां जारी घोषणा में इस बात पर जोर दिया कि देशों को अपने नीतिगत निर्णयों को ‘सधे तरीके से करना चाहिए’ और उसे दुनिया को स्पष्ट रुप से बताना चाहिए. तुर्की के इस खूबसूरत पर्यटक स्थल में आयोजित इस सम्मेलन पर पेरिस में आईएसआईएस के घातक आतंकवादी हमलों की गूंज छाई रही. जी20 शिखर सम्मेलन में नेताओं ने शरणार्थी संकट की व्यापकता पर भी गौर किया और कहा कि सभी देशों को इसका बोझ बांटना चाहिये. उन्होंने भागीदार देशों से कहा कि वह शरणार्थियों के पुनर्वास और अन्य मानवीय सहायता के लिये आगे आयें. इसके साथ ही उन्होंने राजनीतिक समाधान पर भी जोर दिया.
शिखर सम्मेलन के अंत में जारी घोषणापत्र में कहा गया है कि जी20 नेताओं ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 2018 तक अतिरिक्त दो प्रतिशत वृद्धि की दिशा में लगातार काम करने की प्रतिज्ञा ली. दो दिन के इस शिखर सम्मेलन में अमेरिका की राष्ट्रपति बराक ओबामा, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग, रुस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित दुनिया के प्रमुख नेताओं ने भाग लिया.
देशों में बडे कंपनी समूहों द्वारा आधार का क्षरण और मुनाफे के स्थानांतरण (बीईपीएस) जैसे क्रियाकलापों पर अंकुश लगाने के लिये पैकेज उपायों को समय पर अमली जामा पहनाने के कदमों पर भी अपनी सहमति जताई. जी20 शिखर बैठक के घोषणापत्र में कहा गया है, ‘‘हमारी आर्थिक वृद्धि और मजबूती के एजेंडा के समर्थन में हम 2015-16 के जी20 भ्रष्टाचार-रोधी कारवाई योजना के प्रभावी क्रियान्वयन के जरिये भ्रष्टाचार के खिलाफ कडा रख अपनाने की वैश्विक संस्कृति बनाने को प्रतिबद्ध हैं.”
जी20 नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि समावेशी वृद्धि और विश्वास को बढाने के लिये सभी सबंद्ध पक्षों के साथ मजबूती से जुडते हुये सभी नीतिगत उपायों का इस्तेमाल करना होगा. घोषणा-पत्र में कहा गया है, ‘‘ हम अपनी अर्थव्यवस्थाओं की वास्तविक और संभावित वृद्धि को हासिल करने, रोजगार सृजन में मदद करने, अर्थव्यवस्था की मजबूती, विकास के संवर्धन और नीतियों के समावेशीपन में वृद्धि के प्रति अपनी सामूहिक प्रतिबद्धता और कारवाई के प्रति बचनबद्ध हैं.” घोषणापत्र में भारत की जलवायु परिवर्तन के बारे में चिंताओं को परिलक्षित किया गया है. भारत चाहता है कि जलवायु परिवर्तन पर जो समझौता हो उसका संयुक्तराष्ट्र व्यवस्था के तहत अनुपालन हो.