इस्लामाबाद: पाकिस्तान की एक आतंकवाद निरोधक अदालत ने बलूच राष्ट्रवादी नेता अकबर बुगती की हत्या के मामले में मंगलवार पूर्व सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ की जमानत याचिका खारिज कर दी जबकि 2007 में न्यायाधीशों को नजरबंद किए जाने के मामले में एक अन्य अदालत ने उन्हें राहत दे दी.
क्वेटा के आतंकवाद निरोधक अदालत के न्यायाधीश मोहम्मद इस्माइल बलूच ने कल मुशर्रफ की जमानत याचिका पर सुनवाई की थी और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. न्यायाधीश ने आज की सुनवाई के दौरान उनकी याचिका खारिज कर दी.
गौरतलब है कि अकबर बुगती के बेटे नवाबजादा जमील बुगती ने 2006 में अपने पिता के हत्या के मामले में मुशर्रफ, पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, पूर्व गृहमंत्री आफताब अहमद खान शेरपाओ, बलूचिस्तान के पूर्व गवर्नर ओवैस गनी और स्थानीय अधिकारी अब्दुल शमशाद लासी को जिम्मेदार ठहराया था.
इसी अदालत ने कल मुशर्रफ, अजीज, गनी और लासी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया था. लासी डेरा बुगती के पूर्व जिला प्रशासन प्रमुख हैं. मुशर्रफ के आदेश पर की गई एक सैन्य कार्रवाई में इसी इलाके में अकबर बुगती मारे गए थे.
बार-बार समन जारी किए जाने के बावजूद मुशर्रफ और अन्य लोग अदालत में पेश होने में नाकाम रहे जिसपर वारंट जारी किए गए.
इसबीच, इस्लामाबाद उच्च न्यायालय ने 2007 के आपातकाल के दौरान दर्जनों न्यायाधीशों को नजरबंद किए जाने के मामले में 69 वर्षीय मुशर्रफ की जमानत मंजूर कर ली. दो न्यायाधीशों की सदस्यता वाली पीठ ने मुशर्रफ को पांच..पांच लाख रुपये के दो मुचलके भरने को कहा. गौरतलब है कि मुशर्रफ के स्वनिर्वासन के बाद मार्च में स्वदेश लौटने के तुरंत बाद गिरफ्तार कर लिया गया था.