काबुल : अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में भारी हथियारों से लैस चार बंदूकधारियों ने आज भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हमला किया और वे चारों नौ घंटे तक चली मुठभेड के बाद सुरक्षा बलों की जवाबी कार्रवाई में मारे गए. राजनयिक स्टाफ सुरक्षित हैं. बंदूकधारियों के पास मशीन गनें और राकेट संचालित ग्रेनेड भी थे. उन्होंने ईरान की सीमा से लगे पश्चिमी अफगान शहर स्थित दूतावास में हमला किया जिसमें दो इमारतें हैं.
अफगानिस्तान में भारत के राजदूत अमर सिन्हा ने बताया कि एक हमलावर दूतावास के परिसर में प्रवेश करने के लिए दीवार पर चढते समय मारा गया. इस परिसर में महावाणिज्य दूत का आवास भी है. उन्होंने बताया कि हमले के समय मिशन में स्थानीय अफगान नागरिकों के अलावा नौ भारतीय थे. इस बीच नई दिल्ली में विदेश मंत्रलय के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ चारों हमलावर मारे गए हैं.
लंबे समय तक चली मुठभेड के दौरान एक बंदूकधारी को आईटीबीपी :भारत-तिब्बत सीमा पुलिस: और तीन अन्य हमलावरों को अफगान पुलिस ने मार गिराया. प्रवक्ता ने बताया कि दूतावास में मौजूद स्टाफ सुरक्षित है और उनका मनोबल उंचा है. अधिकारी ने कहा, ‘‘हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर हुए हमले के मामले को लेकर भारत और अफगानिस्तान के अधिकारी एक दूसरे के संपर्क में थे. विदेश सचिव सुजाता सिंह स्थिति पर नजर रख रही थीं.’’ अफगान पुलिस अधिकारियों ने बताया कि बंदूकधारियों ने पास के एक मकान से वाणिज्य दूतावास पर गोलीबारी शुरु कर दी. गोलीबारी नौ घंटे तक चली. किसी समूह ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है.
इस युद्धग्रस्त देश से इस साल के अंत में विदेशी सेनाओं की वापसी की योजना है. इस बीच अफगानिस्तान में तालिबान के हमलों में तेजी आई है. पाकिस्तान की सीमा के पास स्थित जलालाबाद शहर में पिछले साल अगस्त में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर बमबारी का विफल प्रयास किया गया था. इस दौरान छह बच्चों समेत कुल नौ लोग मारे गए थे लेकिन किसी भी भारतीय अधिकारी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा था. काबुल में भारतीय दूतावास पर वर्ष 2008 और 2009 में भी हमला हो चुका है और इसमें 75 लोग मारे गए थे.
भारत ने अफगानिस्तान में कई बडी बुनियादी ढांचागत परियोजनाओं में निवेश किया है. इनमें हेरात प्रांत में सलमा जलविद्युत बांध और काबुल में अफगान संसद की इमारत शामिल है. भारत की ओर से इस समय अफगानिस्तान को दी जा रही सहायता दो अरब डॉलर की है. इस बडी राशि के सहयोग के कारण भारत सभी क्षेत्रीय देशों में सबसे अधिक दान देने वाला देश बन गया है.