बीजिंग : भारत के साथ जापान के घनिष्ठ संबंधों से खीझे चीन के एक प्रभावशाली दैनिक ने आज कहा कि नई दिल्ली की बुद्धिमानी बीजिंग के साथ अपने विवादों को ‘‘घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उकसावे’’ से प्रभावित हुए बिना शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने में है.
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तोक्यो यात्रा में भारत और जापान के बीच रक्षा समझौतों की खबरों के बीच, चीन की सत्तारुढ़ कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र द पीपल्स डेली ने आज जापानी राजनीतिज्ञों की निंदा की. चीन और जापान के बीच समुद्री विवाद है और दोनों देशों के बीच वर्तमान में पूर्वी चीन सागर में विवादित द्वीपों को लेकर कहा-सुनी चल रही है.
अखबार ने ‘साइनो-इंडियन डिप्लोमैटिक मिरैकल एंब्रैसेज जैपनीज पॉलिटीशियंस’ शीर्षक से एक लेख में कहा है, ‘‘प्रधानमंत्री ली क्विंग की यात्रा से पहले चीन-भारत सीमा विवाद को अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने बढ़ा चढ़ाकर पेश किया. दोनों देशों के बीच मतभेदों और विरोधाभास को भी बढ़ा चढ़ाकर पेश किया गया जैसे कि चीन-भारत के संबंध अचानक से तनावपूर्ण हो गए हों.’’
इसने कहा, ‘‘लेकिन मीडिया को इसने आश्चर्यचकित कर दिया कि चीन और भारत ने थोड़े से समय में ही मुद्दे का उचित समाधान निकाल लिया. ली की यात्रा के दौरान दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच शानदार बात हुई और एक सिलसिलेवार रणनीतिक आम सहमति तथा सहयोग पर पहुंचे. चीन-भारत संबंधों में थोड़े से समय में बदलाव एक चमत्कार है.’’अखबार ने कहा, ‘‘चीन-भारत संबंधों में कई मतभेद और विरोधाभास हैं. कुछ देश इन मतभेदों को फूट बढ़ाने के अवसर के रुप में देखते हैं.’’
अखबार ने कहा, ‘‘चीन और भारत व्यापक दृष्टिकोण तथा व्यापक विवेक रखते हैं. भारत की बुद्धिमानी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उकसावे से प्रभावित हुए बिना चीन के साथ मुद्दों को शांतिपूर्ण ढंग से निपटाने में है.’’ जापान, भारत, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के बीच चीन से मुकाबले के लिए संयुक्त रुप से लोकतांत्रिक सुरक्षा तंत्र बनाने के जापानी प्रधानमंत्री शिंजो अबे के आह्वान का हवाला देते हुए दैनिक ने कहा कि अबे ने चीन के पड़ोसी देशों की भी यात्राएं की हैं.अखबार ने कहा, ‘‘तथाकथित लोकतांत्रिक सुरक्षा तंत्र, सामरिक कूटनीति और कूटनीति के मूल्य अन्य अर्था में काफी रणनीतिक प्रतीत होते हैं. लेकिन असल में इनसे जापानी सरकार की संकीर्ण मानसिकता का खुलासा होता है.’’ इसके सहयोगी प्रकाशन ग्लोबल टाइम्स ने इन खबरों को रेखांकित किया है कि भारत और जापान मनमोहन की यात्र के दौरान एंफीबियस यूएस..2 विमानों की आपूर्ति के लिए एक समझौते पर दस्तखत करने के करीब हैं.चाइनीज एकाडमी ऑफ सोशल साइंसेज के जापानी अध्ययन संस्थान में शोधकर्ता लु याओडोंग ने कहा कि इससे रक्षा एवं सैन्य सहयोग के क्षेत्र में जापान और भारत के बीच गठबंधन मजबूत होगा तथा भारत और चीन के बीच सीमा विवाद का जापान फायदा उठाने की कोशिश कर रहा है.