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ब्रेक्जिट को साकार करने के लिए मिला, बोरिस जॉनसन को बड़ा जनादेश

ब्रिटिश चुनाव ने एक ओर जहां ब्रेक्जिट मसले पर साढ़े तीन साल की ऊहापोह को विराम दिया है, वहीं स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड में यूरोपीय संघ में बने रहने के पक्ष में बहुमत के निर्णय के आलोक में ब्रेक्जिट के स्वरूप पर चिंताओं को बढ़ा भी दिया है. बड़ी हार के बाद लेबर पार्टी के […]

ब्रिटिश चुनाव ने एक ओर जहां ब्रेक्जिट मसले पर साढ़े तीन साल की ऊहापोह को विराम दिया है, वहीं स्कॉटलैंड और उत्तरी आयरलैंड में यूरोपीय संघ में बने रहने के पक्ष में बहुमत के निर्णय के आलोक में ब्रेक्जिट के स्वरूप पर चिंताओं को बढ़ा भी दिया है.

बड़ी हार के बाद लेबर पार्टी के राजनीतिक रुख में भी बदलाव होना स्वाभाविक है, तो सत्तारुढ़ कंजरवेटिव पार्टी के आंतरिक मतभेद को पाटने की चुनौती भी प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन के सामने है.

चार दशकों से अधिक समय से चले आ रहे यूरोपीय संघ के सहयोग व संबंध के छह माह के भीतर नये तरीके से परिभाषित होने के नकारात्मक प्रभावों से ब्रिटिश समाज और अर्थव्यवस्था को बचाना भी नयी सरकार एवं संसद के लिए आसान नहीं होगा.

ब्रिटेन के आम चुनाव में सत्ताधारी कंजरवेटिव पार्टी को 365 सीटें मिली हैं. संसद के 650 सीटों वाली िनचली सदन- हाउस ऑफ कॉमंस- में बहुमत के लिए 326 सीटों की जरूरत होती है. वर्ष 1987 के बाद कंजरवेटिव पार्टी की यह सबसे बड़ी जीत है. वहीं विपक्षी लेबर पार्टी को 202 सीटों पर जीत मिली है.

इस चुनाव में लेबर पार्टी ने अपनी कई पारंपरिक सीटें गंवा दी है. चुनाव में उतरे अन्य दलों में स्कॉटलैंड की स्कॉटिश नेशनल पार्टी (एसएनपी) की सीटें बढ़कर 48 हो गयी हैं. वहीं, लिबरल डेमोक्रेट्स की संख्या घटकर 11 पर आ गयी है. पार्टी की प्रमुख जो स्विनसन अपनी सीट हार गयी हैं. ग्रीन पार्टी को एक सीट मिली है, जबकि ब्रेक्जिट पार्टी अपना खाता भी नहीं खोल सकी.
नतीजों के बाद बोरिस जॉनसन ने कहा है कि इस जनादेश के सहारे वे ब्रिटेन को यूरोपीय संघ से अलग करनेवाली ब्रेक्जिट डील को लागू कर सकेंगे. वहीं लेबर पार्टी के नेता जेरेमी कॉर्बिन ने नतीजों पर अफसोस जताया है और इसे लेबर पार्टी के लिए एक बहुत ही निराशाजनक रात बताया है.
पांच वर्षों में तीसरा चुनाव
बीते पांच वर्षों में ब्रिटेन में तीसरी बार चुनाव हुआ है. पिछले दो चुनाव 2015 और 2017 में हुए थे. सौ वर्षों के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है, जब कोई चुनाव दिसंबर में कराया गया है.
भारतीय मूल के भी 15 उम्मीदवार जीते
इस चुनाव में भारतीय मूल के 15 उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है, जिनमें सात-सात उम्मीदवार कंजरवेटिव और लेबर पार्टी के और एक लेबर डेमोक्रेट्स के हैं. इनमें चार नये चेहरे भी हैं.
कंजरवेटिव सांसदों में गगन महिंद्रा (हर्टफोरशायर साउथ वेस्ट) क्लैरे कोटिन्हो (सर्रे ईस्ट), प्रीति पटेल (विथम), अलोक शर्मा (रीडिंग वेस्ट), शैलेश वारा (कैम्ब्रिजशायर नॉर्थ वेस्ट), सुएल्ला ब्रावर्मन (फरेहम) और ऋषि सुनक (रिचमॉन्ड, यॉर्कशायर) शामिल हैं. इनमें गगन महिंद्रा और क्लैरे कोटिन्हो नये चेहरे हैं.
लेबर पार्टी की ओर से नवेंदु मिश्रा (स्टॉकपोर्ट), वीरेंद्र शर्मा (एलिंग साउथऑल), तन्मनजीत सिंह धेसी (स्लॉघ), सीमा मल्होत्रा (फेल्थैम एंड हेस्टॉन), प्रीत कौर गिल (बर्मिंघम एजबैस्टॉन), लिसा नंदी (विगन) और वैलेरी वाज (वालसाल साउथ) चुने गये हैं. इनमें नवेंदु मिश्रा पहली बार चुने गये हैं. लिबरल डेमोकेट्स के लिए भारतीय मूल की मुनिरा विल्सन (ट्विकेनहैम) पहली बार चुनी गयी हैं.
हारे
डर्बीशायर के बाल्सोवर से 1970 से सांसद रहे लेबर पार्टी के 87 वर्षीय डेनिस स्किनर, मार्क फ्लेचर से 5,000 मताें से चुनाव हार गये.
लंदन के मेयर पद के लिए कंजर्वेटिव पार्टी के पूर्व उम्मीदवार जेम्स गोल्डस्मिथ के बेटे जैक गोल्डस्मिथ रिचमॉन्ड पार्क सीट हार गये. उन्हें लिबरल डेमोकेट्स पार्टी के उम्मीदवार ने हराया.
हार्ट्लेपूल से ब्रेक्जिट पार्टी के उम्मीदवार रिचर्ड टाइस जीत के प्रबल दावेदार थे. लेकिन वे तीसरे स्थान पर रहे. यहां से लेबर पार्टी के माइक हिल दोबारा जीतने में कामयाब रहे. दूसरे स्थान पर कंजर्वेटिव पार्टी के स्टीफन हॉघटन रहे. टाइस को हॉघटन से लगभग एक हजार और हिल से लगभग पांच हजार कम मत मिले.
जीते
ग्रीन पार्टी की कैरोलाइन लुकास, ब्रिघटन पवेलियन से 33,151 मतों से चुनाव जीतने में सफल रहीं. कैरोलाइन ने लेबर पार्टी के एडम इमानपोर को हराया.
स्कॉटिश नेशनल पार्टी की 27 वर्षीय एमी कैलाघन ईस्ट डनबर्टनशायर से चुनाव जीतने में सफल रहीं. उन्होंने लिबरल डेमोक्रेट्स की नेता जो स्विन्सन को 149 मतों से हराया.
वाल्थम्स्टॉव, उत्तरी लंदन से लेबर पार्टी की स्टेला क्रिसी दोबारा चुनाव जीतने में सफल रहीं. उन्हें 30,862 मत मिले.
रिकॉर्ड संख्या में जीतीं महिलाएं
इस अाम चुनाव में रिकाॅर्ड संख्या में महिलाओं को जीत हासिल हुई है. 650 संसदीय सीटों में इस बार 220 पर महिला उम्मीदवार विजयी रही हैं, जो 2017 से 12 अधिक है. इस जीत के बाद अब यूके के निम्न सदन की एक तिहाई से ज्यादा सीटें (33.8 प्रतिशत) महिला प्रतिनिधियों के पास आ गयी है
Prabhat Khabar Digital Desk
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