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मुलायम के सामने हिस्ट्रीशीटर

सेंट्रल डेस्क समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं. मैनपुरी उनकी पारंपरिक सीट है. पूर्वाचल में भाजपा को बढ़त लेने से रोकने के लिए वह आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ रहे हैं. वाराणसी से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित आजमगढ़ सपा […]

सेंट्रल डेस्क

समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह यादव उत्तर प्रदेश की दो लोकसभा सीटों से चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं. मैनपुरी उनकी पारंपरिक सीट है. पूर्वाचल में भाजपा को बढ़त लेने से रोकने के लिए वह आजमगढ़ से भी चुनाव लड़ रहे हैं. वाराणसी से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित आजमगढ़ सपा के सामाजिक समीकरण के अनुकूल है. यहां मुसलिम और यादव वोटरों की संख्या 50 फीसदी से ज्यादा है. आजमगढ़ सीट अभी भाजपा के कब्जे में है. यहां से सांसद हैं रमाकांत यादव, जिनकी छवि बाहुबली की है. रमाकांत को इस बार भी भाजपा ने यहां से मैदान में उतारा है.

रमाकांत का इस इलाके में दबदबा है. इसी का फायदा उठाने के लिए, परिवारवाद की आलोचना करनेवाली भाजपा ने उत्तर प्रदेश के वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव में रमाकांत यादव की पत्नी रंजना को निजामाबाद सीट से और पुत्र अरुण यादव को आंबेडकर नगर जिले की जलालपुर सीट से प्रत्याशी बनाया. वहीं, भतीजे वीरेंद्र यादव को आजमगढ़ की फूलपुर सीट से टिकट दिया. रमाकांत के भाई उमाकांत यादव का भी राजनीति में सिक्का चलता है. वह वर्ष 2004 में मछलीशहर से बसपा के टिकट पर सांसद बने थे. उमाकांत भी पुराने हिस्ट्रीशीटर हैं. उनके खिलाफ भी आजमगढ़ और आसपास के जिलों में कई आपराधिक मामले दर्ज हैं.

1984 से 2006 के बीच दर्ज हुए थे 34 मामले
रमाकांत यादव पुराने हिस्ट्रीशीटर हैं. आजमगढ़ के दीदारगंज पुलिस थाने में उनकी हिस्ट्रीशीट का नंबर है : एचएस 30ए. गैंग चार्ट संख्या आइआरजी 10 है. सन 1984 से 2006 के बीच उन पर आजमगढ़, जाैनपुर और गोरखपुर में 34 मुकदमे थे. इनमें हत्या और हत्या के प्रयास जैसे गंभीर आरोप शामिल थे. उन पर एससी/एसटी कानून, गैंगेस्टर एक्ट और उत्तर प्रदेश गुंडा एक्ट के तहत भी मामले दर्ज हुए. वर्ष 2009 में जब वह आजमगढ़ से भाजपा के प्रत्याशी बने, तो उस समय उन पर 17 आपराधिक मामले दर्ज थे.

कभी मुलायम के ही साथ थे
वर्ष 2014 में जिस रमाकांत यादव से मुलायम सिंह की टक्कर होनी है, वह कभी मुलायम के ही साथ थे. 1985 से 1995 तक वह उत्तर प्रदेश की विधानसभा के लिए चार बार निर्वाचित हुए. 1996 और 1999 के लोकसभा चुनाव में रमाकांत सपा के टिकट पर जीते. पर इतिहास का चक्र घूमा. वर्ष 1995 में राजकीय अतिथिशाला में मुख्यमंत्री मायावती पर हुए हमले के आरोपी रहे रमाकांत, मायावती की पार्टी बसपा में शामिल हो गये. 2004 में वह बसपा के टिकट से ही आजमगढ़ के सांसद बने. इसी बीच उनकी भाजपा से नजदीकी बढ़ी. वर्ष 2008 में वह भाजपा में शामिल हुए और लोकसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया. आजमगढ़ सीट पर हुए उपचुनाव में वह बसपा के अकबर अहमद डंपी से पराजित हो गये. लेकिन, 2009 में भाजपा ने उन्हें पुन: उम्मीदवार बनाया और वह जीत गये.

सांसद बनने के बाद भी नहीं थमा आपराधिक इतिहास
दीदारगंज के थानेदार रहे ज्ञानेश्वर मिश्र ने एक अखबार से बातचीत में कहा था कि रमाकांत यादव इस इलाके के सबसे कुख्यात लोगों में हैं. वह और उनके भाई जमीनों पर जबरन कब्जे के अनेक मामलों में शामिल रहे हैं. मिश्र के मुताबिक, रमाकांत ने अपने रसूख का इस्तेमाल कर अनेक मामलों को रफा-दफा करवा लिया. भाजपा का सांसद बनने के बाद भी रमाकांत का आपराधिक इतिहास नहीं थमा.

हत्या का आरोप, गिरफ्तारी भी हुई
12 अगस्त, 2009 को रमाकांत यादव के खिलाफ आजमगढ़ के फूलपुर थाने में हत्या का मुकदमा दर्ज हुआ. इसमें उनकी गिरफ्तारी भी हुई थी. यह मामला रमाकांत यादव और उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष अब्दुल रशादी के समर्थकों के बीच गोलीबारी से जुड़ा था.

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