21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

करोड़ों की हवाई जंग

सेंट्रल डेस्क दिल्ली की सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए सभी दलों के नेता अपनी जमीन तैयार करने के लिए हवाई सैर शुरू करनेवाले हैं. पार्टियों को इसकी कीमत भी चुकानी होगी, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. जी हां, प्रत्याशियों का नामांकन खत्म होते ही सभी दलों के बड़े नेता चार्टर्ड प्लेन और […]

सेंट्रल डेस्क

दिल्ली की सत्ता तक पहुंच बनाने के लिए सभी दलों के नेता अपनी जमीन तैयार करने के लिए हवाई सैर शुरू करनेवाले हैं. पार्टियों को इसकी कीमत भी चुकानी होगी, लेकिन किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता. जी हां, प्रत्याशियों का नामांकन खत्म होते ही सभी दलों के बड़े नेता चार्टर्ड प्लेन और हेलीकॉप्टरों में सफर शुरू कर देंगे, ताकि अपने अधिक से अधिक प्रत्याशियों को संसद भेज सकें.

भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार और कांग्रेस के प्रचार अभियान के प्रमुख राहुल गांधी हर दिन हेलीकॉप्टर से चुनाव प्रचार करेंगे. इस पर प्रति घंटे तीन लाख रुपये तक खर्च आ सकता है. जब वे एक शहर से दूसरे शहर जायेंगे, तो चार्टर्ड प्लेन का किराया पांच लाख रुपये प्रति घंटे तक हो सकता है. हेलीकॉप्टर और चार्टर्ड विमान की बढ़ती मांग के कारण इससे जुड़ी कंपनियों ने किराये में बढ़ोतरी कर दी है. कंपनियां किसी भी पार्टी से कम से कम 45 दिन का कांट्रैक्ट कर रही है. इसके तहत हेलीकॉप्टर/प्लेन प्रतिदिन तीन से चार घंटे उड़ान भरेंगे. उड्डयन उद्योग से जुड़े सूत्रों की मानें, तो सत्ताधारी कांग्रेस और मुख्य विपक्षी भाजपा लगभग 100-100 करोड़ रुपये विमान किराये पर खर्च कर सकती हैं.

क्षेत्रीय पार्टियां भी इस मामले में पीछे नहीं रहना चाहतीं. क्षेत्रीय दलों के नेताओं की भी अपनी महत्वाकांक्षाएं हैं, जो लगातार बढ़ती जा रही हैं. इसे पूरी करने के लिए ये दल भी 15-30 करोड़ रुपये तक विमान किराये पर खर्च कर सकती हैं. उड्डयन उद्योग से जुड़ी कंपनियों को उम्मीद है कि कांग्रेस और भाजपा के अलावा उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बसपा सुप्रीमो मायावती, सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव, तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता भी उन्हें किराये के रूप में मोटी रकम देंगी. हालांकि, आप के नेता अरविंद केजरीवाल के हवाई दौरों की उम्मीद बहुत कम है. इसलिए उनसे उद्योग को कोई उम्मीद नहीं है.

बढ़ जाती है मांग
चार्टर फर्मो का कहना है कि अत्यधिक मांग के कारण हेलीकॉप्टरों की कमी हो जाती है. इसलिए चुनाव के दौरान किराये में बढ़ोतरी करनी पड़ती है. आमतौर पर सिंगल इंजन बेल-407 हेलीकॉप्टर का किराया 60,000 रुपये प्रति घंटा होता है. ट्विन इंजन के बेल-412 हेलीकॉप्टर का किराया 2.5 लाख रुपये प्रति घंटा तक होता है. लेकिन, डीजीसीए के सुरक्षा संबंधी कुछ आवश्यक दिशा-निर्देश दिये हैं, जिसकी वजह से सभी चॉपर्स को काम पर नहीं लगाया जा सकता, क्योंकि भारत में उपलब्ध हेलीकॉप्टरों में फ्लाइट डाटा रिकॉर्डर और हाइट मेजरिंग सिस्टम जैसे उपकरण नहीं लगे हैं. इसलिए, जितने चॉपर की जरूरत होती है, उड्डयन उद्योग उपलब्ध नहीं करा पाता.

खर्च की परवाह नहीं
एयरक्राफ्ट ज्यादा खर्चीला होता है. यहां तक कि पांच सीटर किंगएयर सी-90 जैसे सबसे छोटे विमान का किराया भी 55,000 रुपये प्रति घंटा होता है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और भाजपा नेता नरेंद्र मोदी आमतौर पर फाल्कन-7000 और चैलेंजर-605 में यात्र करते हैं. इसका किराया पांच लाख रुपये प्रति घंटे तक होता है. यह भी शुरुआती किराया है.

असल किराया इस आधार पर तय होता है कि किसने कितने पहले बुकिंग करायी. पिछला किराया पार्टी ने चुकाया या नहीं. अंतिम समय में जो पार्टियां बुकिंग कराती हैं, उन्हें अत्यधिक कीमत चुकानी पड़ती है. लेकिन, यह किराया भी बड़े नेताओं के लिए मायने नहीं रखते. विशेषज्ञों की मानें, तो कांग्रेस और भाजपा दो सबसे बड़ी पार्टियां हैं, जो विमानों के किराये पर सबसे ज्यादा खर्च करती हैं. 45 दिन के कॉन्ट्रैक्ट में दो से पांच करोड़ ही खर्च आता है. बड़ी पार्टियां 20-30 मशीन किराये पर लेती हैं. भारत में करीब 120 जेट और 270-280 चॉपर किराये के लिए उपलब्ध हैं. चुनाव में जिस तरह से पार्टियां और प्रत्याशी दिल खोल कर खर्च करते हैं, उसके मुकाबले विमानों और हेलीकॉप्टरों पर खर्च कुछ भी नहीं है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें