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वोट करने से डरते हैं ग्रामीण

रांची: झारखंड के 14 में से दो लोकसभा क्षेत्र खूंटी और लोहरदगा में चुनाव में उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) का प्रभाव रह सकता है. इन दो लोकसभा क्षेत्रों में विधानसभा की 10 सीटें आती हैं. इन सभी पर पीएलएफआइ का दबदबा है. प्रत्याशी इन क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में चुनाव प्रचार […]

रांची: झारखंड के 14 में से दो लोकसभा क्षेत्र खूंटी और लोहरदगा में चुनाव में उग्रवादी संगठन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएलएफआइ) का प्रभाव रह सकता है.

इन दो लोकसभा क्षेत्रों में विधानसभा की 10 सीटें आती हैं. इन सभी पर पीएलएफआइ का दबदबा है. प्रत्याशी इन क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में चुनाव प्रचार करने जाने से घबराते हैं. इन इलाकों में उग्रवादी बेखौफ होकर घटना को अंजाम देते हैं. काफी हद तक इन इलाकों में मतदान का प्रतिशत तय करते हैं. ग्रामीण खौफ के कारण मतदान केंद्रों तक जाने से घबराते हैं. प्रत्याशियों की जीत-हार पर भी असर पड़ता है.

पुलिस का अभियान : वोटरों के मन से पीएलएफआइ के डर को कम करने के लिए पुलिस की ओर से इस संगठन के खिलाफ अभियान शुरू किया गया है. रांची, खूंटी और गुमला की पुलिस सक्रिय हुई है. इसका परिणाम भी समाने आ रहा है. कुछ उग्रवादी पकड़े गये हैं और उनकी निशानदेही पर हथियार बरामद किये गये हैं. पीएलएफआइ के उग्रवादियों के पास से जिस तरह के हथियार और टाईमर बम मिल रहे हैं, उससे यह भी पता चलता है कि इस संगठन ने बाहरी लिंक भी स्थापित कर लिया है.

पुलिस जेल में नहीं रख सकी राजकमल को
एक तरफ पीएलएफआइ सरकार और पुलिस को ताबड़तोड़ चुनौती दे रहा है. वहीं दूसरी तरफ पुलिस का रवैया लापरवाही वाला है. तीन साल पहले पुलिस ने संगठन में दिनेश गोप के बाद दूसरे नंबर पर रहे राजकमल गोप को गिरफ्तार किया था. उसके खिलाफ दो दर्जन से अधिक हत्या के मामले रांची व खूंटी के विभिन्न थानों में दर्ज थे. लेकिन पुलिस उसे तीन साल भी जेल में नहीं रख सकी. सभी मामलों में जमानत मिलने के बाद वह जेल से बाहर आ गया है. पुलिस के सीनियर अफसर ही अब सवाल उठा रहे हैं कि राजकमल के मामले में लापरवाही हुई. छोटे-छोटे अपराधियों पर पुलिस सीसीए लगाती है. लेकिन राजकमल के मामले में यह कार्रवाई भूल गयी.

शहर में घुस कर मार रहे उग्रवादी

2010 : लापुंग के सहेदा में छठ घाट पर दो लोगों की हत्या

2 जुलाई 2013 : चुटिया थाने के सामने विजेंद्र सिंह की गोली मार कर हत्या

18 जून 2013 : खूंटी में महुआ व्यवसायी पवन साहू की हत्या

21 जुलाई 2013 : कर्रा में महुआ व्यवसायी नंदू साहू की हत्या

29 सितंबर 2013 : कर्रा के जम्हार बाजार में नौरिंग निवासी धनेश्वर साहू व पुत्र शिवा साहू की गोली मार कर हत्या

01 नवंबर 2013 : खूंटी शहर में लाह व्यवसायी बनवारी साहू, उनके पुत्र और एक ग्रामीण की हत्या

06 फरवरी 2014 : खूंटी शहर में बस मालिक बिरेंद्र जायसवाल की हत्या

08 मार्च 2014 : बरही में आजसू नेता तिलेश्वर साहू की गोली मार कर हत्या

2013 : भूषण सिंह को लापुंग में गोली मारी

जान की परवाह नहीं करते उग्रवादी
पीएलएफआइ के उग्रवादी जिस तरह शहर में घुस कर भीड़ के बीच संगठन के खिलाफ काम करनेवालों की हत्या कर रहा है, उससे यह भी पता चलता है कि संगठन में ऐसे लोग जुड़ गये हैं, जिन्हें जान की परवाह नहीं है. वे आत्मघाती दस्ता की तरह घटनाओं को अंजाम देने लगे हैं.

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