जमशेदजी नौसेरवानजी टाटा भारत के विश्व प्रसिद्ध औद्योगिक घराने ‘टाटा समूह’ के संस्थापक थे. भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में जमशेदजी ने जो योगदान दिया, वह असाधारण और बहुत ही महत्त्वपूर्ण माना जाता है. उन्होंने भारतीय औद्योगिक विकास का मार्ग ऐसे समय में प्रशस्त किया था, जब उस दिशा में केवल यूरोपीय, विशेष रूप से अंग्रेज ही कुशल समङो जाते थे.
इंगलैंड की अपनी प्रथम यात्रा से लौटकर जमशेदजी टाटा ने चिंचपोकली की एक तेल मिल को कताई-बुनाई मिल में परिवर्तित करके औद्योगिक जीवन का सूत्रपात किया था. टाटा साम्राज्य के जनक जमशेदजी द्वारा किये गये अनेक कार्य आज भी लोगों को प्रेरित एवं विस्मित करते हैं. भविष्य को भांपने की अपनी अद्भुत क्षमता के बल पर ही उन्होंने एक स्वनिर्भर औद्योगिक भारत का सपना देखा था.
व्यवसायिक जीवन की शुरूआत : सुदूर पूर्व और यूरोप में अपने शुरू-शुरू के व्यापारिक उद्यमों के बाद जमशेदजी टाटा ने वर्ष 1868 में 29 साल की उम्र में 21 हजार रुपये की पूंजी के साथ एक निजी फर्म प्रारंभ की. वे कई बार मैनचेस्टर जा चुके थे और इसी दौरान उनके मन में कपड़ा मिल शुरू करने का विचार आया. अपने कुछ दोस्तों की साङोदारी में उन्होंने एक पुरानी तेल मिल खरीदी और उसे कपड़ा मिल में बदल दिया और फिर दो साल बाद उसे मुनाफे पर बेच दिया. इसके बाद जमशेदजी ने अपनी मिल उस प्रदेश में लगाने की सोची, जहां कपास की पैदावार अधिक होती थी. इस कार्य के लिए उन्होंने नागपुर को चुना. वर्ष 1874 में उन्होंने अपने दोस्तों के समर्थन से पंद्रह लाख रुपये की पूंजी से एक नयी कंपनी शुरू की. कंपनी का नाम रखा सेंट्रल इंडिया स्पिनिंग, वीविंग एंड मैनुफैरिंग कंपनी. 1 जनवरी, 1877 को इस मिल ने कार्य करना प्रारंभ किया. बाद के समय में इसका नाम बदलकर इम्प्रेस मिल कर दिया गया. और इसी प्रकार भारत में एक ऐसे युग की शुरूआत हुई जिससे आज भी हमारा देश लाभांवित हो रहा है.
जमशेदजी नौसेरवानजी टाटा
जीवनकाल : 1839 से 1904