।।दक्षा वैदकर।।
एक किताब में बहुत ही खूबसूरत खेल का जिक्र है, जो लोगों की जिंदगी बदल सकता है, उनकी सोच बदल सकता है, उनका व्यक्तित्व बदल सकता है. कुछ वक्त के लिए हम भी वही खेल खेल कर देखें. सबसे पहले तो हम इस खेल को खेलने का उद्देश्य समङों. कल्पना करें कि आपको सुबह-सुबह कोई व्यक्ति फोन लगाता है. वह आपसे कहता है कि ‘दोस्त परेशान न हो. मुङो आपसे कोई उधार नहीं लेना है और न ही मुङो आपसे कोई काम है.
मैंने बस सोचा कि आपको फोन लगाऊं और बताऊं कि आप दुनिया के सबसे अच्छे आदमियों में से एक है. आप अपने कार्यक्षेत्र में भी बहुत अच्छा कर रहे हैं. मुङो आपको देख कर, आपसे मिल कर बहुत अच्छा लगता है. सच कहूं, तो मुङो आपसे बहुत प्रेरणा मिलती है. मैं चाहता हूं कि आपसे रोज मिल सकूं. बस मुङो इतना ही कहना था.’
आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस फोन को सुनने के बाद आपको कितना अच्छा महसूस हो रहा होगा. आपका दिन कितने आनंद से गुजरेगा. आपको काम करने में और मजा आयेगा और आप अपने आसपास वालों से और अच्छे तरीके से पेश आयेंगे. यह सब सिर्फ एक फोन कॉल का जादू है. ऐसी फोन कॉल, जो आपकी तारीफ करता है. आपके दिमाग में आपकी छवि में बदलाव लाता है. आपको एक अलग रोशनी में खड़ा कर देता है.
अब सोचनेवाली बात यह है कि जब आपको किसी ने इतनी खुशी दी और आपका दिन अच्छा कर दिया, तो हम ये खुशी दूसरों को क्यों न दें? अब शुरू होता है यह खेल. आप भी लोगों को इसी तरह फोन लगायें और बिना किसी स्वार्थ के उनकी तारीफ करें. उनके किसी खास गुण का पता लगा कर उसकी प्रशंसा करें. उन्हें बतायें कि वे आपके लिये कितने महत्वपूर्ण है. आप अगर चाहें तो किसी परिचित को लगायें या डायरेक्टरी से नंबर ले कर किसी अनजान को लगायें. यकीन मानिए जब सामनेवाला आपकी बातें सुनेगा और मुस्कुरायेगा, धन्यवाद कहेगा, खिलखिलायेगा, तो आपको भी बहुत अच्छा महसूस होगा. तो, देर किस बात की. पेपर रखिए और फोन घुमाइए.