वाशिंगटन : वैज्ञानिक स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए मूत्र आधारित जांच की एक ऐसी नई विधि विकसित कर रहे हैं जो एक्स रे से भी पहले स्तन कैंसर की गंभीरता का पता लगा सकती है. मिसौरी यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के अनुसंधानकर्ताओं ने मूत्र के नमूनों में टेरेडाइन्स नामक एक निश्चित मेटाबोलाइट की सघनता का पता लगाने के लिए पी-स्कैन नामक उपकरण का प्रयोग किया है. टेरेडाइन्स सभी मनुष्यों के मूत्र में उपस्थित होते हैं लेकिन इनकी असामान्य ढंग से अधिक मात्र में सघनता कैंसर होने का संकेत है. मिसौरी एस एंड टी में रसायन विज्ञान विभाग की अध्यक्ष डा यिनफा मा ने इसकी सीमित जांच की है और अब वह अपनी जांच के दायरे को बढा रही हैं ताकि यह साबित किया जा सके कि यह तकनीक स्तनकैंसर का पता लगाने में कारगर है.
अप्रैल में शुरु हुए इस अध्ययन में स्तन कैंसर के 300 मरीजों के अलावा 100 ऐसे लोगों को शामिल किया गया था जिन्हें चिकित्सकीय जांच के बाद कैंसर से मुक्त पाया गया है. इस अध्ययन के इस वर्ष पूरा हो जाने की उम्मीद है. यह एक ऐसा अध्ययन है जिसमें मा यह नहीं जानती हैं कि कौन से नमूने कैंसर ग्रसित मरीजों के है और कौन से नमूने स्वस्थ लोगों के हैं. पी-स्कैन के इस्तेमाल से मा कैंसर और इसके स्तर का पता लगाएंगी.
मा ने कहा, ‘‘ मेमोग्राम तकनीक संवेदनशील नहीं है. इससे कई बार शुरुआती स्तर पर कैंसर का पता नहीं लग पाता है. यदि यह पी-स्कैन तकनीक काम करती है तो इसे नियमित शारीरिक जांच में शामिल करना आसान हो जाएगा.’’उन्होंने कहा, ‘‘ मरीज के मूत्र के नमूने देने के 10 मिनट के बाद मेरे पास परिणाम आ जाते हैं. यदि यह विधि कारगर होती है तो यह रोग का पता लगाने का अद्भुत उपकरण होगा.’’ जब यह साबित हो जाएगा कि यह तकनीक स्तन कैंसर का पता लगाने के लिए कारगर है तो मा और उनका दल इस बात का पता लगाने की कोशिश करेगा कि क्या मूत्र में टेरेडाइन स्तर के अध्यनन से अन्य प्रकार के कैंसरों का भी पता लगाया जा सकता है.