।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों मेरा मेरे भाई से फोन पर झगड़ा हो गया. अच्छी-खासी बहस हुई. हम दोनों ने फोन गुस्से से रख दिया. रात 11 बजे भाई ने फोन लगाया और धीमी आवाज में पूछा, क्या कर रही है बहन? भाई को लग रहा था कि मैं शायद रो रही होऊंगी या बिना खाना खाये सो गयी होऊंगी, लेकिन मैंने बड़े मजे में जवाब दिया कि कुछ खास नहीं.
बस अभी खाना खाया और अब लैपटॉप पर एक मजेदार मूवी देख रही हूं. भाई उखड़ गया और बोला, मैं यहां झगड़े की वजह से इतना उदास हूं कि खाना भी नहीं खाया, किसी काम में मन नहीं लग रहा है और तुम मजे से खा-पीकर फिल्म देखने लग गयी हो? तुमको तो कुछ फर्क ही नहीं पड़ता. मैंने उससे कहा, ‘भाई मैं ज्यादा देर उदास नहीं रह सकती. मेरी हमेशा यही कोशिश रहती है कि जल्दी-से-जल्दी खुद को दुखी करनेवाली परिस्थितियों से बाहर निकाल लूं और खुद को नकारात्मक होने से बचा लूं. भाई बोला, ‘काश मैं भी तुम्हारी तरह होता.’
मेरे भाई की तरह कई लोग हैं, जो खुश रहना तो चाहते हैं, लेकिन खुश रहने के लिए कदम नहीं उठाते. वे इंतजार करते रहते हैं कि बाहर से कोई आयेगा और उन्हें ढेर सारी खुशियां दे कर चला जायेगा. इसी इंतजार में वे बैठे रहते हैं, पुरानी बातें सोचते रहते हैं, अफसोस जताते रहते हैं, उस बुरी घटना को दिमाग में दोहराते रहते हैं.
आप मुझे जवाब दें कि ऐसा करने से क्या फायदा होगा? कोई नहीं. अब बताएं कि नुकसान क्या होगा? आप नकारात्मक होते जायेंगे, ऊर्जा खत्म हो जायेगी, तबीयत खराब होगी और समय भी बर्बाद होगा. जब आपके दुखी रहने से इतने नुकसान हैं, तो फिर मेरी तरह तुरंत खुश होने की दवाई क्यों नहीं खा लेते?
हर व्यक्ति के लिए दवाई अलग-अलग होती है. आपको अपनी दवाई पहचाननी होगी. फिर जैसे ही आपको लगे कि आप दुखी हो रहे हैं, खाना खाने का मन नहीं हो रहा है, किसी से झगड़ा हो गया है, तो तुरंत दवाई खा लें. आपको बता दूं कि मेरे खुश रहने की दवाई है कॉमेडी नाइट्स विद कपिल या कोई फिल्म देखना या शॉपिंग करना. जब भी मैं दुखी होती हूं, ये दवाई खा लेती हूं.
बात पते की..
– अगर आप ज्यादा देर तक दुखी है, तो आप ज्यादा रिश्ते को महत्व देते हैं, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. जान बुझकर दुखी रहना बंद करें. खुशियां बांटें.
– उन कामों की लिस्ट बनाएं, जो आपको खुशियां देते हैं. बस इन्हीं कामों से घिरे रहें. दुख के पलों में दिल पर पत्थर रख कर इन कामों को करें.