।। दक्षा वैदकर।।
जब मैं कॉलेज में थी, मेरे पड़ोस की आंटी गंभीर रूप से बीमार पड़ गयीं. उनकी एक शॉप थी, जिसमें बच्चों के कपड़े मिलते थे. आंटी परेशान थीं कि अब एक महीने दुकान बंद रखनी पड़ेगी और कई रेगुलर कस्टमर छूट जायेंगे. उनकी मदद करने के लिए मैंने एक महीने दुकान चलाने की जिम्मेवारी ली. शुरुआती 3-4 दिन मैंने देखा कि दिनभर में 8-10 कस्टमर ही आते हैं.
कई लोग तो बाहर से ही दुकान देख कर चले जाते हैं. लोगों को दुकान के अंदर कैसे लाया जाये, इसके लिए मैंने सोचना शुरू किया. मेरा ध्यान बाहर खड़े पुतलों पर गया, जिस पर कई महीनों से ड्रेसेज बदले नहीं गये थे. बच्चियों की फ्रॉक व बच्चों की पैंट-शर्ट पर सड़क की धूल जम गयी थी. मैंने आंटी को फोन लगा कर पूछा कि क्या मैं पुतलों के ड्रेसेज बदल दूं? उन्होंने कहा सड़क पर जो भी ड्रेस रखा जायेगा, वह धूल से भर जायेगा. फिर वह ड्रेस बेचने लायक नहीं बचेगा, इसलिए मत बदलो. एक-दो दिन मैं बैठी रही, लेकिन जब रहा नहीं गया तो बिना आंटी को बताये ही मैंने दोनों पुतलों की ड्रेस बदल कर नयी स्टाइल की ड्रेस पहना दी. अब रास्ते से गुजरनेवाले लोग उन ड्रेसेज को देखते, रुकते और अंदर आ कर पूछते कि और ड्रेसेज दिखाओ. दुकान में लोगों की संख्या बढ़ गयी. खूब बिक्री हुई.
एक महीने बाद जब आंटी शॉप पर पहुंचीं, तो लोगों की भीड़ देख कर दंग रह गयी. तब मैंने उनसे माफी मांगी कि बिना इजाजत मैंने ड्रेस बदल दी. उन्हें समझाया कि दो ड्रेस गंदी होने के नुकसान पर अगर इतनी सारी ड्रेसेज बिकती हैं, तो हमें नुकसान नहीं हुआ है. आंटी को अपनी गलती समझ आ गयी. अब वे हर 10 दिन में पुतलों के ड्रेस बदलती थीं.
इस तरह की गलती हम सभी करते हैं. हम पुराने तरीके से ही काम करते जाते हैं. नयी चीजें ट्राय नहीं करते, जिसकी वजह से ग्राहकों का आना कम हो जाता है. मैंने चंडीगढ़ की खबर पढ़ी, जहां पिज्जा शॉप ने पिज्जा डिलीवरी का नया तरीका आजमाया है. वे पिज्जा डिलीवरी के लिए घुड़सवार भेजते हैं. बच्चे दरवाजे पर आनेवाले घोड़े को देखने के लिए बार-बार पिज्जा ऑर्डर करते हैं.
बात पते की..
बिजनेस हो या रिश्ता. नयापन लाना तो हर चीज के लिए जरूरी है. वरना जिंदगी बोरिंग हो जायेगी और रिश्ता कमजोर होता जायेगा.
अपने ग्राहकों को हमेशा कुछ सरप्राइज देने की कोशिश करें. शॉप में बदलाव करते रहें, ताकि लोगों की जिज्ञासा बनी रहे.