जीवित रहने के लिए भूख जरूरी है. असामान्य भूख मोटापे का सबब बन सकती है. इतना ही नहीं, खान-पान की अनियमितता अब दुनियाभर में महामारी का रूप ले रही है.
इसका समाधान कहीं मस्तिष्क की गहराइयों में छिपा है. शोधकर्ता भूख महसूस करने के रहस्य का खुलासा करते हुए मस्तिष्क की उन जटिलताओं की एक रूपरेखा बना रहे हैं, जो भूख लगने पर खाने की ओर दौड़ाती हैं.
मैसाचुसेट्स स्थित बेथ इस्राइल डेकोनेस मेडिकल सेंटर (बीआइडीएमसी) के अंत:स्त्रविका (एंडोक्र ोनोलॉजी), मधुमेह और चयापचय विभाग में अनुसंधानकर्ता ब्रैडफोर्ड लोवेल ने कहा कि हमारा लक्ष्य इस बात को समझना है कि कैसे मस्तिष्क भूख पर नियंत्रण करता है. लोवेल ने कहा कि असामान्य भूख मोटापे और खान-पान संबंधी विकारों को जन्म दे सकती है. लेकिन असामान्य भूख कैसे गलत है और इससे कैसे निबटा जाये, यह समझने के लिए सबसे पहले जानने की जरूरत है कि यह काम कैसे करती है. लोवेल, हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्राध्यापक भी हैं. निष्कर्ष दिखाता है कि अगौती-पेप्टाइम (एजीआरपी) स्नायु को व्यक्त करता है. अगौती-पेप्टाइम मस्तिष्क के हाइपोथेलेमस में स्थित तंत्रिका कोशिकाओं का एक समूह है.
यह तंत्रिका कोशिका समूह गर्मी की कमी से सक्रिय होता है.
भूख की वजह
जब एजीआरपी पशु मॉडलों में प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से प्रेरित किया गया तो इसने चूहे को भोजन की सतत खोज के बाद खाने के लिए प्रेरित किया. भूख ने स्नायु को प्रेरणा दी कि परानलियी गूदे में स्थित इन एजीआरपी स्नायुओं को सक्रि य करे. लोवेल ने कहा कि इस अप्रत्याशित खोज ने हमें यह समझने में एक महत्वपूर्ण दिशा दी कि आखिर क्या चीज है जिससे हमें भूख लगती है.