सिन्हा लाइब्रेरी में न्यूज पेपर्स का पहला डिजिटल आर्काइव
एक बड़ी खबर है. 100 साल से ज्यादा पुराने अखबारों को भी अब पटना में कम्प्यूटर पर पढ़ पाना मुमकिन होगा. यहां की नामचीन व बहुत पुरानी सिन्हा लाइब्रेरी में आर्काइव के अखबारों को डिजिटल रूप देने का काम अंतिम दौर में है. अगर सबकुछ ठीक रहा तो एक-दो महीने में सिन्हा लाइब्रेरी में आने वाले लोग कम्प्यूटर पर पुराने अखबारों का डिजिटल रूप पढ़ पाएंगे.
अगले फेज में यहां दुर्लभ किताबों और शोध पत्रिकाओं का डिजिटलाइजेशन किया जाएगा. पहले फेज में सिर्फ अंग्रेजी अखबारों को डिजिटल रूप दिया जा रहा है.
दरअसल, राज्य सरकार ने इस लाइब्रेरी के विकास के लिए 60 लाख रुपये का अनुदान दिया था. इसी रकम से डिजिटलाइजेशन का यह काम हो रहा है. दिल्ली की एजेंसी एसडीआर इन्फोसिस्टम लाइब्रेरी के लिए यह काम कर रही है.
पहले फेज का काम अंतिम दौर में है, लेकिन इस प्रोजेक्ट का विस्तार भी हो सकता है. सबसे पहले पुराने अखबारों को स्कैन किया गया है. इतने पुराने अखबारों की स्कैनिंग का काम कम चुनौती भरा नहीं था. कई काफी पुराने अखबारों के पन्ने बेहद खराब हालत में थे.
स्कैनिंग के बाद पाठकों की सुविधा के लिए अखबारों और उनकी खबरों की लिस्ट बनायी गयी है. पाठकों की पसंद के हिसाब से खबरों को अलग-अलग कैटगरी में रखा गया है. राजनीति, विकास, आर्थिक, शिक्षा, विज्ञान, शोध के लिए महत्वपूर्ण लोकल खबरों आदि की कैटगरी
इसमें बनायी गयी है. तस्वीरों को भी इनमें शामिल किया गया है.
कैसे काम करेगा
कम्यूटर स्क्रीन पर सिन्हा लाइब्रेरी का होम पेज खोलकर वहां से इन अखबारों को पाठक एक्सेस कर पाएंगे. वहां तारीख, महीना, साल या अखबार के नाम से मनचाहे अखबार की स्कैन कॉपी खुल जाएगी. होम पेज पर ही सर्च का ऑप्शन है. मनचाही खबर का प्रिंट भी लिया जा सकेगा. लाइब्रेरी के पास इस प्रोजेक्ट के तहत अभी तीन कम्यूटर हैं. इस काम के लिए तीन और कम्प्यूटर लाने की योजना है. फिलहाल लाइब्रेरी के सर्वर से लाइब्रेरी में ही इन कम्यूटरों पर ऑफलाइन ये अखबार उपलब्ध रहेंगे.
लाइब्रेरियन सीमी समर फजल का कहना है कि इसे ऑनलाइन करने की भी योजना है. लाइब्रेरी की वेबसाइट भी बनेगी. बिहार किसी लाइब्रेरी में अखबारों का यह पहला डिजिटल आर्काइव होगा. इतने पुराने अखबारों की देखभाल बड़ी चुनौती थी.