कौशलेंद्र रमण
एक छोटे से बच्चे के मन में भगवान से मिलने की इच्छा जगी. उसे लगा कि रास्ता लंबा होगा, इसलिए उसने अपनी जेब में कुछ टॉफीज और बिस्कुट रख लिये. घर से निकल कर वह कुछ दूर ही चला था कि उसे पार्क में एक महिला दिखी. वह महिला के बगल में बैठ गया और बिस्कुट खाने लगा. बच्चे को लगा कि महिला को भी भूख लगी है, इसलिए बच्चे ने उसे बिस्कुट ऑफर किया. महिला ने मुस्कुरा कर उससे बिस्कुट लिया और खाने लगी. बच्चे को महिला की मुस्कुराहट बहुत अच्छी लगी. वह उसे फिर से मुस्कुराता हुआ देखना चाहता था. इसलिए, बच्चे ने इस बार महिला को टॉफी दिया. टॉफी लेकर महिला फिर मुस्कुरायी और खाने लगी. महिला की मुस्कुराहट ने बच्चे को इतना आनंदित किया कि वह उसके साथ बहुत देर तक वहीं बैठा रहा. दोनों ने कोई बात नहीं की, सिर्फ बिस्कुट और टॉफी खाया.
कुछ देर बाद बच्चा घर जाने के लिए उठा. कुछ दूर चलने के बाद वह मुड़ा और दौड़ कर महिला से लिपट गया. इसके बाद बिना कुछ बोले घर की तरफ चल दिया. घर पर मां ने बच्चे के चेहरे की खुशी देख कर पूछा – आज तुम इतने खुश क्यों हो? बच्चे ने जवाब दिया – आज मैंने भगवान के साथ टॉफी और बिस्कुट खाया. मां, आपको पता है, उनकी मुस्कुराहट सबसे अच्छी है. उधर, महिला भी जब घर पहुंची तो उसके चेहरे की खुशी देख कर उसके बेटे ने इसका राज पूछा. महिला ने कहा – मैंने आज भगवान के साथ टॉफी और बिस्कुट खाया.
तुम्हें पता है, वह बहुत कम उम्र के हैं.
मैंने यह कहानी एक वेबसाइट पर पढ़ी थी. पढ़ने के बाद मुझे लगा कि हम अक्सर बड़ी खुशियों की चाह में बड़े काम करने की कोशिश करते हैं. लेकिन, जब अपने काम से दूसरों के चेहरे पर मुस्कुराहट आती है, तो उसकी खुशी किसी बड़ी सफलता से कम नहीं होती. दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लाना भी बड़ी खुशी है.
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