
वैश्विक धरोहर मानी जाने वाली चीन की दीवार की मरम्मत के लिए, वहां ऐतिहासिक धरोहरों से जुड़े अधिकारी लोगों से चंदा इकट्ठा कर रहे हैं. इसके लिए एक अभियान भी शुरू कर दिया गया है.
चाइना रेडियो इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के मुताबिक़, अगस्त में शुरू किए गए इस अभियान में अब तक 16 हज़ार लोगों ने ऑनलाइन चंदा जमा किया है. अब तक इस अभियान से क़रीब 45,000 डॉलर यानी लगभग 30 लाख रुपए जमा हो चुके हैं.
यह अभियान ‘चाइनीज़ फ़ाउंडेशन फ़ॉर कल्चरल हेरिटेज कंज़र्वेशन’ की तरफ़ से चलाया जा रहा है. यह सरकारी देख-रेख में काम करने वाली एक संस्था है, जिसका कहना है कि चीन की दीवार को मरम्मत की सख़्त ज़रूरत है.

फ़ाउंडेशन को उम्मीद है कि एक दिसंबर तक चंदे के रूप में उसके पास 17 लाख डॉलर यानी लगभग 11 करोड़ रुपए जमा हो जाएंगे.
चंदा इकट्ठा करने वाले अभियान के प्रभारी तुंग याहुई का कहना है कि इस विशाल धरोहर की सुरक्षा करना अकेले सरकार का काम नहीं है.
उन्होंने कहा, "चंदा देने वाले हर आदमी को जोड़ने के बाद, चाहे उसकी रक़म बिल्कुल छोटी ही क्यों न हो, हम इस महान दीवार को बचाने का उपाय कर लेंगे."

जमा की गई इस रक़म का इस्तेमाल ‘शीफ़ेंकाउ’ सेक्शन की मरम्मत के लिए किया जाएगा. चीन की मशहूर दीवार का यह हिस्सा एक जलाशय से होकर गुज़रता है. तुंग के मुताबिक़, इस पर हुए सारे ख़र्च की जानकारी सार्वजनिक की जाएगी.
हालांकि चीन में सोशल मीडिया पर कई लोगों ने इस पर सवाल उठाया है कि दीवार के टूटे हुए किनारों की मरम्मत मुमकिन है या नहीं. कुछ लोग इस महान विरासत को जनता के भरोसे छोड़ देने पर भी सवाल उठा रहे हैं.

एक ने पूछा, "उनके पास बहुत पैसे हैं, फिर उन्हें चंदा इकट्ठा करने की क्या ज़रूरत है?" एक दूसरे आदमी ने जानना चाहा है कि क्या चंदा देने वालों को दीवार देखने के लिए प्रवेश शुल्क नहीं देना पड़ेगा?
वहीं सोशल मीडिया पर कुछ लोगों में जोश भी भरा हुआ है तो किसी ने चुटकी लेते हुए लिखा है, "मैं इसमें निवेश करना चाहता हूं, ताकि भविष्य में गर्व के साथ अपने बच्चों से कह सकूं कि यह हमारे परिवार की जागीर है."
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