कौशलेंद्र रमण
कोई भी व्यक्ति एकदम खराब और कोई भी व्यक्ति एकदम अच्छा नहीं हो सकता है. हर किसी का कुछ-न-कुछ सकारात्मक पक्ष होता है, तो कुछ नकारात्मकता भी उसमें मौजूद रहती है. इसे रामायण के एक प्रसंग से समझा जा सकता है. राम-रावण युद्ध के बाद मरणासन्न रावण के पास राम और लक्षमण जाते हैं. रावण को देख कर राम कहते हैं – लक्ष्मण, रावण बहुत बड़ा राजनीतिज्ञ था. जाओ, इससे राजनीति सीखो. लक्ष्मण बड़े भाई का आदेश मान कर रावण के पैर की तरफ हाथ जोड़ कर खड़े हो जाते हैं. उन्हें देख कर रावण कहता है – किसी भी काम को भविष्य पर नहीं छोड़ना चाहिए. मेरे मन में स्वर्ग तक सीढ़ी बनाने का विचार था, लेकिन मैंने उसे भविष्य पर छोड़ दिया. रावण को बुराई का प्रतीक माना जाता है.
दशहरा को अच्छाई की जीत के पर्व के रूप में मनाया जाता है. लेकिन, रामायण का यह प्रसंग बताता है कि रावण के पास भी लक्ष्मण को सिखाने लायक ज्ञान था और लक्ष्मण ने भी उससे सीखने में संकोच नहीं किया. रामायण का यह प्रसंग हमें यह भी बताता है कि खराब व्यक्ति के भीतर की अच्छाई को भी बाहर लाया जा सकता है. जरूरत हमें उसके अंदर की अच्छाइयों को खोजने की है.
दरअसल हम अपने दिमाग में बैठा लेते हैं कि अमुक व्यक्ति खराब और अमुक व्यक्ति अच्छा है. इसके बाद हम यह जानने-समझने की कोशिश नहीं करते हैं कि हम जिसे खराब समझ रहे हैं, उसका भी कोई सकारात्मक पक्ष होगा, जो हमें दिखाई नहीं दे रहा है. रामायण का यह प्रसंग यह सोचने को मजबूर करता है कि हम हर व्यक्ति के सकारात्मक पक्ष को जरूर देखें और उसे सबके सामने लाने की कोशिश करें. हमारा यह दृष्टिकोण हमें जीवन के हर क्षेत्र में मदद करेगा. ऐसा करने से हमारे भीतर का नकारात्मक पक्ष भी हाशिये पर चला जायेगा.
kaushalendra.raman@prabhatkhabar.in