अहमदाबाद : गुजरात सरकार ने प्लास्टर ऑफ पेरिस (पीओपी) से बनी मूर्तियों के नदियों में विसर्जन से पर्यावरण पर पड़ने वाले असर के आकलन के लिए एक वैज्ञानिक अध्ययन कराने का फैसला किया है.
इसके आधार पर मूर्तिकारों के लिए राज्य में संशोधित और व्यापक दिशानिर्देश जारी किये जायेंगे. गुजरात प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (जीपीसीबी) के एक शीर्ष अधिकारी ने बताया, राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण के निर्देश के मुताबिक राज्य सरकार त्यौहारों के दौरान राज्य में विसर्जित की जाने वाली पीओपी मूर्तियों के असर पर वैज्ञानिक अध्ययन कराएगी कि क्या इससे प्रदूषण फैलता है अथवा नहीं.
राज्य सरकार का यह फैसला राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण (एनजीटी) की पिं्रसिपल बेंच द्वारा गुजरात सरकार के 23 जनवरी 2012 को जारी दिशा-निर्देशों को खारिज किए जाने के बाद आया है, जिसमें गणेश और अन्य देवी देवताओं की प्रतिमा बनाने में पीओपी के इस्तेमाल पर प्रतिबंध लगाया गया था.
मुख्य रूप से सूरत, नवसारी, वलसाड और बिलीमोरा के 14 मूर्तिकारों के एक समूह ने वन्य और पर्यावरण विभाग के प्रधान सचिव द्वारा पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 की धारा 5 के तहत जारी प्रस्ताव को चुनौती दी थी.