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ज्ञान का सार सुविधा मुफ्त में नहीं मिलती

।।दक्षा वैदकर।।अकसर हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो काम पर ध्यान देने की बजाय लॉटरी, जुआ, हॉर्स रेस, ताश के पत्तों में अपना समय खर्च करते हैं और सोचते है कि अमीर होने का बस यही एक रास्ता है. कई लोग तो अपनी मेहनत की पूरी कमाई इसी में लगा देते हैं और बार-बार […]

।।दक्षा वैदकर।।
अकसर हमें ऐसे लोग मिल जाते हैं, जो काम पर ध्यान देने की बजाय लॉटरी, जुआ, हॉर्स रेस, ताश के पत्तों में अपना समय खर्च करते हैं और सोचते है कि अमीर होने का बस यही एक रास्ता है. कई लोग तो अपनी मेहनत की पूरी कमाई इसी में लगा देते हैं और बार-बार निराश होते हैं. दरअसल वे काम ही नहीं करना चाहते. उन्हें हर चीज बिना मेहनत के मुफ्त में चाहिए होती है. ऐसे लोगों के लिए यह खास कहानी.

बहुत सालों पहले एक ज्ञानी राजा ने अपने विद्वान लोगों को एक साथ बुलाया और उनको आदेश दिया, ‘मैं चाहता हूं कि आप मेरे लिये ‘युगों-युगों का ज्ञान’ संकलित करें. इसे एक पुस्तक का रूप दें ताकि हम इसे अपनी भावी सन्तति के लिए छोड़ सकें. ज्ञानी लोगों ने लंबे समय तक इस पर कार्य किया. अंतत: वे बारह खंडों के साथ लौटे और उन्होंने गर्व के साथ घोषणा की कि यह सच में ‘युगों-युगों का ज्ञान’ है. राजा ने उन बारह खंडों की ओर देखा और कहा, ‘सज्जनों, मुङो विश्वास है कि युगों-युगों का संचित ज्ञान है और इसमें वह ज्ञान निहित है जो हमें मानव जाति के लिए छोड़ कर जाना चाहिए. तथापि, यह बहुत लंबा है. मुङो डर है कि लोग इसे नहीं पढ़ेंगे. इसको संक्षिप्त करो.’ पुन: ज्ञानी लोगों ने लंबे समय तक कठिन मेहनत की ओर वे केवल एक खंड ले कर लौटे.

राजा तथापि जानता था कि यह अभी भी बहुत लंबा है इसलिए उसने उन्हें अपने काम को और संक्षिप्त करने के लिए आदेश दिया. ज्ञानी लोगों ने उस खंड को कम कर के एक अध्याय, फिर एक पृष्ठ, फिर एक पैराग्राफ और अंत में एक वाक्य बना दिया. जब उस ज्ञानी राजा ने वह वाक्य देखा, तो वह पूरी तरह उल्लासित हो गया और उसने कहा- ‘सज्जनों यह सच में युगों-युगों के ज्ञान का सार है और जितनी जल्दी हर जगह सब लोग इस सच को समझ जायेंगे, उतनी ही जल्दी हमारी अधिकतर समस्याएं हल हो जायेंगी.’ वह वाक्य था, ‘कोई सुविधा मुफ्त में नहीं मिलती’. यह ब्रह्म वाक्य है. कार्य सभी काम-धंधों की बुनियाद है, सारी संपन्नता का स्रोत है और बुद्धिमत्ता का जनक है. कार्य किसी युवा की प्रगति में उसके माता-पिता की अपेक्षा चाहे वे कितने ही धनवान क्यों न हों, कही अधिक सहायक हो सकता है.

बात पते कीः
-कार्य का महत्व समझें. यह साधारण-सी बचत के रूप में भले ही दिखता है, लेकिन यही हमारे हर सौभाग्य के लिए नींव रख देता है.
-आलस से नहीं, अपने काम से प्यार करें. जब आप ऐसा करते हैं, तो आप जीवन को मधुर, उद्देश्यपूर्ण एवं सार्थक बना देते है.

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