रात के समय पेड़-पौधों के झरमुट के आसपास चमकते हुए जुगनुओं को तो तुमने देखा ही होगा. जुगनू के बारे में तो तुम सब जानते ही होगे. जुगनुओं के चमकने के पीछे उनका मुख्य उद्देश्य अपने साथी को आकर्षित करना, अपने लिए भोजन तलाशना होता है. ये जुगनू आजकल शहरों में कम ही दिखते हैं. इन्हें ग्रामीण इलाकों में बड़ी संख्या में देखा जा सकता है.
वर्ष 1967 में इस चमकनेवाले कीट की खोज वैज्ञानिक रॉबर्ट बायल ने की थी. पहले यह माना जाता था कि जुगनुओं के शरीर में फास्फोरस होता है, जिसकी वजह से यह चमकते हैं, लेकिन इटली के वैज्ञानिकों ने सिद्ध किया कि जुगनू की चमक फास्फोरस से नहीं, बल्किल्युसिफेरेस नामक प्रोटीनों के कारण होता है. जुगनू की चमक का रंग हरा, पीला, लाल तरह का होता है. ये ज्यादातर रात में ही चमकते हैं.
दिखने में यह एकदम पतले और दो पंख वाले होते हैं. ये जंगलों में पेड़ों की छाल में अपने अंडे देते हैं. जुगनू की तरह ही चमकनेवाले ऐसे कई जीव हैं. जुगनू की तरह ही रोशनी देनेवाले जीवों की एक हजार प्रजातियों की खोज की जा चुकी है, जिनमें से कुछ प्रजातियां पृथ्वी के ऊपर व कुछ समुद्र की गहराईयों में भी पायी जाती हैं.