
सोशल मीडिया पर कई लोग कह रहे हैं कि रोहित ने निजी कारणों से आत्महत्या की है और उन्होंने अपने सुसाइड नोट में किसी को ज़िम्मेदार नहीं ठहराया है.
लेकिन अगर 18 दिसंबर को यूनिवर्सिटी को लिखे रोहित के पत्र को देखा जाए तो समझ में आता है कि वो यूनिवर्सिटी की कार्रवाई से प्रताड़ित महसूस कर रहे थे.
हम अंग्रेज़ी में लिखे इस पत्र का अनुवाद यहां आपके लिए दे रहे हैं.
सेवा में,
वाइस चांसलर
यूनिवर्सिटी ऑफ़ हैदराबाद
विषय : दलित समस्या का समाधान
सर,
सबसे पहले मैं आपकी तारीफ़ करता हूं उस रवैये के लिए जो आपने हैदराबाद कैंपस में दलितों के स्वाभिमान आंदोलनों पर अपनाया है. जब अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रेसिडेंट से सवाल पूछा जाता है कि दलितों पर उनकी भद्दी टिप्पणियों के लिए, तो इस मामले में आपकी रुचि ऐतिहासिक है. पांच दलित विद्यार्थियों का ‘सामाजिक बहिष्कार’ किया जाता है कैंपस में.

आपके सामने तो डोनाल्ड ट्रंप भी लिलिपुट साबित होंगे. आपकी प्रतिबद्धता को देखते हुए मैं आपको दो सुझाव देना चाहूंगा, एकदम ही घिसा पिटा सा.
प्लीज़, जब दलित छात्रों का एडमिशन हो रहा हो तब ही सभी छात्रों को दस मिलीग्राम सोडियम अज़ाइड दे दिया जाए. इस चेतावनी के साथ कि जब भी उनको अंबेडकर को पढ़ने का मन करे तो ये खा लें. सभी दलित छात्रों के कमरे में एक अच्छी रस्सी की व्यवस्था कराएं और इसमें आपके साथी मुख्य वार्डन की मदद ले लें.
हम पीएच.डी के छात्र इस स्टेज को पार कर चुके हैं और दलितों के स्वाभिमान आंदोलन का हिस्सा बन चुके हैं, जिसे आप बदल नहीं सकते. हमारे पास इसे छोड़ने का कोई आसान रास्ता भी नहीं है. इसलिए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि हमारे जैसे छात्रों के लिए यूथेनेसिया की सुविधा उपलब्ध कराएं.

मैं कामना करता हूं आप और कैंपस हमेशा शांति में रहें.
आपका
वेमुला आर
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