हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो वाहन चलाते वक्त किसी भी प्रकार के खतरे का अंदेशा मिलने पर दुर्घटना से बचने के लिए ड्राइवर को सतर्क होने का संदेश देगी..
भारत में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती ही जा रही है. इस दिशा में सुधार के लिए हिंदुस्तान कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के छात्रों ने एक ऐसी डिवाइस तैयार की है, जो चौपहिया वाहन चलाते वक्त किसी भी प्रकार के खतरे का अंदेशा मिलते ही ड्राइवर को सतर्क होने का संदेश देगी. इतना ही नहीं, स्थिति न संभलने पर यह डिवाइस गाड़ी में ऑटोमेटिक ब्रेक लगा कर दुर्घटना से बचा लेगी.
इंटेलीजेंट ब्रेक डिवाइस
छात्रों द्वारा तैयार की गयी यह डिवाइस इंटेलीजेंट ब्रेक की तर्ज पर काम करती है. लगभग 500 ग्राम की भारवाली इस डिवाइस को बैटरी से कनेक्ट किया जाता है, जिससे उसे पावर मिलती है. यह सिस्टम एक राडार के माध्यम से 100 मीटर तक 60 डिग्री कोण पर किरणों को भेजता है. डिवाइस किरणों को इस दायरे में आनेवाले वाहनों से टकरा कर इलेक्ट्रॉनिक्स कंट्रोल यूनिट में पहुंचाती है, जिसके आधार पर डिवाइस वाहनों की दूरी को कैलकुलेट कर इसकी सूचना ऑडियो-वीडियो द्वारा डैश बोर्ड पर लगे डिजिटल डिस्प्ले को भेजती है. ऐसे में ड्राइवर को संभावित दुर्घटना के पूर्व ही उसकी सूचना मिल जाती है. इसके बाद भी यदि किसी वजह से ड्राइवर मैसेज को नहीं सुन पाता, तो डिवाइस पांच माइक्रो सेकेंड के अंतराल पर ऑटोमेटिक ब्रेक लगा कर इंजन में ईंधन की सप्लाई को धीमा करके उसे बंद कर देती है. छात्रों द्वारा तैयार की गयी इस डिवाइस का हाल में प्रशिक्षण किया गया, जो पूरी तरह से सफल रहा. फिलहाल इस डिवाइस को पेटेंट कराने का प्रयत्न किया जा रहा है. इस डिवाइस को गाड़ी में लगाने का खर्च लगभग तीन लाख रुपये के आस-पास होगा. इस डिवाइस को तैयार करने में करीब दो वर्ष का समय लगा है.
ड्राइवर को मिलेगी सुरक्षा
तेज रफ्तार वाहनों पर ऑटोमेटिक ब्रेक लगने से ड्राइवर को तेज झटका लगने की संभावना रहती है. इसे देखते हुए डिवाइस में इ-फ्लैश पोटेशियो मीटर लगाया गया है, जिससे ऑटोमेटिक ब्रेक लगने पर ड्राइवर की सीट खुद-ब-खुद थोड़ा पीछे चली जायेगी और सीट बेल्ट टाइट हो जायेगी. इससे ड्राइवर को तेज झटका नहीं लगेगा. इसके अलावा डिवाइस को मैनुअली भी ऑपरेट किया जा सकेगा.
मिलेगी अन्य जानकारियां
डिवाइस कई और सुविधाओं से लैस है. डिवाइस को ग्लोबल पोजीशनिंग सिस्टम (जीपीएस) से जोड़ा जायेगा. तीन मोबाइल नंबरों को डैश बोर्ड पर उपलब्ध ऑप्शन में अंकित किया जा सकेगा. इससे अगर डिवाइस फेल होती है, तो इमरजेंसी नंबरों पर दुर्घटना के बाद ऑटोमेटिक मैसेज पहुंच जायेगा. संदेश में उस क्षेत्र की लोकेशन सहित अन्य जानकारियां भी होंगी.