बच्चों के स्वस्थ तन और मन तथा संतुलित विकास हेतु उनके पोषण पर ध्यान देना बहुत जरूरी है. उनका भोजन स्वादिष्ट के साथ-साथ पोषक भी होना चाहिए जिसमें प्रोटीन, विटामिन, खिनज लवण, काबरेहाइड्रेट, वसा और रेशे सभी कुछ शामिल हो.
बच्चों में खान-पान की स्वस्थ आदतें विकिसत करना माता-पिता का फर्ज है. यदा-कदा जंक फूड या फास्ट फूड का सेवन करना बुरा नहीं है, बुरा है उसकी लत पड़ जाना. आजकल बच्चों में जंक फूड तथा प्रसंस्करित खाद्य पदार्थों के प्रति रु चि बढ़ रही है. उन्हें बर्गर, पिज्जा आदि ही चाहिए.
प्राय: देखा गया है कि मांएं अपने बच्चे के स्कूल के टिफिन में वह सब रखती हैं जो बच्चे को पसंद है. उनका उद्देश्य होता है कि इस बहाने ही सही, वह खा तो लेगा लेकिन रोज-रोज जंक फूड रखने से उसे इसकी आदत पड़ जाती है, जो छुड़ाए नहीं छूटती. जंक फूड के सेवन से उनका शारीरिक और मानिसक विकास प्रभावित होता है.
इन पदार्थों में न सिर्फपोषक तत्वों की कमी होती है बल्कि नुक्सानदायक वसा, शर्करा भी आवश्यकता से अधिक होती है. बच्चों को टिफिन में अंकुरित अनाज रखने चाहिए. यदि बच्चा इन्हें खाने में आनाकानी करे तो उसका स्वादिष्ट व्यंजन बना कर भी दिया जा सकता है.
बच्चों को बचाएं जंक फूड से
अगर आपको अपने बच्चों को डायिबटीज से बचाना है तो उन्हे जंक फूड से दूर रखना होगा. हाल ही में हुए एक अध्ययन से यह बात सामने आई है कि 10 से 14 वर्ष की उम्र के 85 प्रतिशत स्कूली बच्चों में पाया गया मधुमेह उनकी खानपान की असंयमति आदतों की वजह से है. यह अध्ययन एक डायिबटीज रिसर्च सेंटर द्वारा भारत के करीब 6,000 स्कूली बच्चों पर किया गया. इस अध्ययन में पाया गया कि बच्चों में पैदा हो रही स्वास्थ्य समस्या खानपान में पाश्चात्य शली के प्रवेश की वजह से है। कम से कम 11 प्रतिशत बच्चे कैंटीन में कुछ न कुछ खाना पसंद करते हैं और घर से खाना नहीं लाते. दूसरी ओर करीब 80 प्रतिशत बच्चे सप्ताह में कम से कम एक बार फास्ट फूड लेना पसंद करते है. 62 प्रतिशत से अधिक बच्चे बर्गर या पिच्चा और करीब 40 प्रतिशत बच्चे हर रोज कम से कम एक कोल्ड ड्रिंक पीते है. अध्ययनकर्ताओं का कहना है कि इन बच्चों को आगे चलकर मधुमेह, हृदय रोग और उच्च रक्तचाप की संभावना अधिक रहती है.