नशा के कारण व उससे उत्पन्न होने वाले रोग के जानकार डॉ सजय कुमार मुंडा से कुछ वर्ष पूर्व प्रश्नावली के रूप में बातचीत आकाशवाणी के रांची केंद्र से प्रसारण के लिए तैयार की गयी थी. यह बातचीत आज भी प्रासंगिक है. इस बातचीत में डॉ मुंडा ने नशे से उत्पन्न होने वाली समस्याएं, उसके खतरे और निदान के बारे में बड़े ही सरल ढंग से बताया है. आकाशवाणी व केंद्रीय मन:चिकित्सा संस्था, कांके (रांची) की इस संयुक्त पहल के संपादित अंश को पंचायतनामा साभार प्रकाशित कर रहा है.
लोग मादक द्रव्यों के आदि क्यों बन जाते हैं?
चूंकि इन मादक द्रव्यों का प्रभाव थोड़े समय ही रहता है. इसलिए लोग इनका बार-बार सेवन करते हैं. इसके अतिरिक्त लंबे समय तक लगातार सेवन के बाद व्यक्ति चाह कर भी इनका सेवन नहीं रोक पाता, क्योंकि इनका सेवन बंद करते ही विभिन्न प्रकार की कष्टदायक मानसिक व शारीरिक लक्षण उत्पन्न हो जाते हैं. दोबारा सेवन करने से ठीक होता है. इस तरह व्यक्ति लगातार इसका सेवन करने को मजबूर हो जाता है और धीरे-धीरे वह इसके शिकंजे में फंस जाता है.
मादक द्रव्यों के आदि बन चुके व्यक्ति की पहचान कैसे करेंगे?
मादक द्रव्यों के लगातार सेवन से कुछ विशेष लक्षण दिखाई देने लगते हैं. इसके आधार पर यह पहचाना जा सकता है कि व्यक्ति इसका आदि हो चुका है. जैसे : मादक द्रव्यों का सेवन करने की प्रबल इच्छा या तलब होना, नशे के लिए मादक द्रव्यों की मात्र में वृद्धि यानी एक निश्चित मात्र का कुछ दिनों तक लगातार सेवन के बाद पहले जैसे नशे का अनुभव नहीं करना तथा पहले जैसे नशे को महसूस करने के लिए और अधिक मात्र में सेवन करना.
मादक द्रव्यों का उपयोग बंद करने पर विभिन्न प्रकार के कष्टदायक शारीरिक व मानसिक लक्षणों का उत्पन्न होना. जैसे हाथ पैर व शरीर में कंपन, अनियमित रक्तचाप, अनिद्रा, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी, हाथ-पैर व शरीर में दर्द व भारीपन, भूख नहीं लगना व मितली उलटी होना, आदि जैसी स्थिति उत्पन्न होती है.
रुचिकर कार्यो व गतिविधियों से विमुख होना और अधिक समय नशीले पदार्थ के जुगाड़ में बिताना या नशे के प्रभाव में रहना. शारीरिक व मानसिक दुष्प्रभावों के बावजूद सेवन जारी रखना या कोशिश करने के बावजूद सेवन बंद नहीं कर पाना. ये लक्षण बताते हैं कि व्यक्ति मादक द्रव्यों का आदि हो चुका है. इसका सामाजिक, व्यावसायिक व पारिवारिक जीवन पर व्यापक प्रभाव पड़ता है.
अलग-अलग किस्म के शराब में क्या फर्क होता है?
रम, विस्की, चूलक्ष्या, महुआ, ब्रांडी, जीन, बीयर हड़िया आदि में एल्कोहल होता है. हां, एल्कोहल की मात्र और नशा लाने की अपेक्षित क्षमता अलग-अलग जरूर होती है. परंतु सभी को हम शराब ही कहते हैं. कभी-कभी लोग हड़िया या बीयर को शराब से अलग समझते हैं, जो कि बिल्कुल अलग होता है.
लोग शराब के आदि कैसे बन जाते हैं?
जब लोग शराब का सेवन जारी रखते हैं तो धीरे-धीरे ऐसी आदत बन जाती है कि उसे छोड़ पाना मुश्किल हो जाता है. वह व्यक्ति के जीवन का अभिन्न अंग बना जाता है. छोड़ने की कोशिश करने पर नाना प्रकार के शारीरिक व मानसिक परेशानियां होती है और व्यक्ति इसका लगातार सेवन करने के लिए बाध्य हो जाता है.
नशीले पदार्थो से होने वाले शारीरिक नुकसान कौन-कौन से हैं?
नशा का सेहत पर काफी बुरा असर पड़ता है. व्यक्ति अनेक प्रकार की बीमारियों से ग्रस्त हो जाता है. मुंह का कैंसर, शराब से लीवर या पेट संबंधित बीमारी, हृदय संबंधित बीमारी (उच्च रक्तचाप), स्नायु तंत्र की कमजोरियां, याददास्त, सेक्स व निद्रा संबंधी बीमारी सहित अनेक प्रकार की मानसिक बीमारी भी इनके सेवन से हो सकती है. जैसे उन्माद का दौर भी हो सकता है.
इसके अलावा नशे से मनोवैज्ञानिक समस्याएं होती हैं : चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बेचैनी, अवसाद आदि का निरंतर अनुभव होना. हम देख सकते हैं कि इनका सेहत पर कितना व्यापक असर पड़ सकता है और कई बार तो ये जानलेवा भी साबित हो सकता है.
नशामुक्ति के क्या उपाय हैं?
उपचार के लिए सबसे जरूरी है व्यक्ति में नशा छोड़ने की कटिबद्धता और प्रबल इच्छाशक्ति होना. उपचार मुख्यत: किसी नशामुक्ति केंद्र या अन्य स्नेतों के द्वारा संभव है. उपचार में सबसे पहले लक्षणों को ठीक किया जाता है. इसके बाद विभिन्न जैविक व मनोवैज्ञानिक उपचार आगे जारी रखना होता है. मनोवैज्ञानिक उपचार में मोटिवेशन इंटरव्यू, ग्रुप थेरेपी आदि मददगार हैं. चिकित्सक मनोवैज्ञानिक व मरीज के सतत प्रयास से इन पर काबू पाया जा सकता है.
नशामुक्ति के लिए क्या सलाह देंगे?
रांची के आसपास के लोग सीआइपी, रांची में आकर नशामुक्ति केंद्र में सलाह ले सकते हैं. यहां इसकी आधुनिक चिकित्सा की पूर्ण व्यवस्था है. नशा एक जहर है. इससे बचें. इलाज में देरी नहीं करें.
नशे के सेवन के कई कारण हैं. लेकिन सबसे प्रमुख कारण है, इसके सेवन से थोड़े समय के लिए आनंद की अनुभूति. आत्मविश्वास बढ़ा हुआ महससू होना. शरीर ऊर्जा से भरा लगता है. चूंकि यह थोड़े समय के लिए होता है, इसलिए दुबारा ऐसी अनुभूति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति इनका बार-बार इस्तेमाल करने को मजबूर हो जाता है. इसके अलावा विभिन्न प्रकार के मानसिक व शारीरिक स्थितियों, जैसे – तनाव, चिंता, अवसाद, गुस्सा, बोरियत, अनिद्रा व शारीरिक पीड़ा आदि से निजात पाने के लिए भी मनुष्य इनका सेवन करता है. कई बार दोस्तों के दबाव में आकर या घर में बड़े व अन्य लोगों से इनका सेवन करना सीख लेते हैं. कुछ लोग कई प्रकार के अलौकिक व आध्यात्मिक अनुभव के लिए भी इनका सेवन करते हैं. जैसे साधु-संन्यासी.
इसका दुष्प्रभाव आर्थिक स्थिति पर भी पड़ता है. चूंकि मादक द्रव्य मुफ्त में तो नहीं उपलब्ध होते हैं. इसलिए लोग अपनी गाढ़ी कमाई इसमें खर्च कर देते हैं. वे इसके लिए उधार लेने लगते हैं. घर के सामानों को बेच देते हैं, परिवार वालों से मादक पदार्थो के लिए अनावश्यक रूप से अधिक पैसे मांगते हैं.
इसका असर व्यक्ति के कामकाजी जीवन पर भी पड़ता है. जैसे कार्यक्षमता में गिरावट, दक्षता में गिरावट, समय पर काम नहीं कर पाना, कार्यक्षेत्र से अकसर अनुपस्थित रहना, कार्यक्षेत्र में झगड़ा करना, दुर्घटना, सस्पेंड होना, नौकरी बदलना, बेरोजगार होना, दूसरों के साथ गलत व्यवहार करना, झगड़ा मारपीट करना, सामाजिक ख्याति व कीर्ति का हनन होना, सामाजिक अवस्था में गिरावट, सामाजिक बहिष्कार.