हाल के महीनों में प्राकृतिक आपदाओं और उनसे होनेवाले नुकसान की खबरों में काफी बढ़ोतरी हुई है. आपदाओं से जन-जीवन को उबारने का काम करने के लिए डिजास्टर मैनेजमेंट के पेशेवरों को तैयार किया जाता है. आइए जानें इस कैरियर विकल्प के बारे में विस्तार से..
इस वर्ष जून में उत्तराखंड में आयी भीषण बाढ़ को शायद ही कोई याद करना चाहेगा. इस आपदा में पांच हजार से भी ज्यादा लोग असमय काल के गाल में समा गये और हजारों लोग बेघर हो गये. नुकसान इतना कि अंदाजा लगा पाना मुश्किल है. इससे बड़ी आपदा आखिर क्या हो सकती है! बस इतना ही नहीं, ओड़िशा में फेलिन नामक तूफान की बात करें, तो उसकी तेज हवाओं ने लोगों के दिलोदिमाग पर एक अजीब-सा डर पैदा कर दिया था और लोग अपने घरों को छोड़ कर सुरक्षित स्थान की ओर चले गये थे. ऐसी कई घटनाएं हैं, जो प्रकृति-प्रदत्त हैं. इन्हें प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में रखा जाता है. भारत के अलावा पूरा विश्व इन आपदाओं से डरा रहता है. खासकर समुद्री इलाकों में इसका खतरा और भी बढ़ जाता है.
देखा जाये, तो आज हम विश्व में अधिकतम जनसंख्या वाले देश बनने की कगार पर हैं. तेजी से बढ़ती जनसंख्या व ग्लोबल वार्मिग के बढ़ते स्तर के साथ-साथ प्राकृतिक एवं मानवीय आपदा को जीवन के साथ जोड़ कर देखा जाने लगा है. चूंकि भारत का क्षेत्रफल विशाल है और यहां की भौगोलिक संरचना में काफी विविधता है, इसलिए यहां प्राकृतिक आपदाओं का खतरा काफी बना रहता है. इस स्थिति को देखते हुए डिजास्टर मैनेजमेंट विशेषज्ञों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. साथ ही डिजास्टर मैनेजमेंट व इससे संबंधित पाठ्यक्रमों की जरूरत काफी महसूस की जा रही है. यही कारण है कि इस क्षेत्र का कैरियर ग्राफ आज काफी ऊंचा है.
क्या है डिजास्टर मैनेजमेंट
डिजास्टर मैनेजमेंट एक बहुपयोगी क्षेत्र है, जिसमें देखभाल, मूल्यांकन, जांच, राहत, पुनस्र्थापना और पुनर्निमाण की प्रक्रिया को शामिल किया जाता है. इसमें आपदा से पूर्व, उस दौरान और बाद के आवश्यक कदमों को शामिल किया जाता है. यह सच है कि प्राकृतिक आपदाओं को रोक पाना मुमकिन नहीं होता, लेकिन प्लानिंग के जरिये काफी हद तक इससे जन-धन की हानि को रोका जा सकता है. वर्तमान समय में तकनीकी विकास से आपदा के संकेत पहले ही मिलने शुरू हो गये हैं. आपदा प्रबंधन को आपातकालीन प्रबंधन भी कहा जाता है. इसके जरिये प्राकृतिक व मानवीय आपदाओं से बचाव कार्य में सहायता मिलती है. आज कई सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थाएं आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में काम कर रही हैं. प्राकृतिक आपदा के अंतर्गत जहां चक्रवात, बाढ़, भूकंप व सुनामी आदि को शामिल किया जाता है, वहीं मानवीय आपदा में बम ब्लास्ट, गैस रिसाव, नाभिकीय दुर्घटना व आगजनी आदि आते हैं.
शैक्षिक योग्यता एवं कोर्स
डिजास्टर मैनेजमेंट से संबंधित कई तरह के कोर्स मौजूद हैं. इन कोर्सो के आधार पर अंडरग्रेजुएट व सर्टिफिकेट कोर्स के लिए छात्र के पास कम से कम 12वीं की डिग्री होनी आवश्यक है. मास्टर और एमबीए सरीखे कोर्स के लिए स्नातक होना आवश्यक है. कुछ संस्थान इस क्षेत्र में पीएचडी भी कराते हैं. अत: उसके लिए मास्टर्स डिग्री होना आवश्यक है.
आवश्यक स्किल्स और ट्रेनिंग
यह जिम्मेदारी, चुनौतियों और खतरों से भरा हुआ काम है. इसलिए इसमें अतिरिक्त योग्यता एवं कौशल की जरूरत पड़ती है. शारीरिक व मानसिक रूप से मजबूत होने के अलावा इसमें प्रोफेशनल्स को किसी भी समय आकस्मिक आपदा के दौरान काम करना पड़ता है और कम समय में सही निर्णय लेना होता है. इस क्षेत्र में संवाद कौशल, नेतृत्व क्षमता, धैर्य जैसे गुण व्यक्ति को सफल बनाते हैं.
यह ऐसा क्षेत्र है, जिसमें ट्रेनिंग की विशेष दरकार होती है. इसकी बदौलत आप किसी भी तरह की चुनौती का सामना कर सकते हैं. ट्रेनिंग के तहत मॉक ड्रिल किया जाता है, जिसमें विभिन्न स्थितियों का सामना करने का हुनर सीखा जाता है. यह ट्रेनिंग आसान नहीं होती. इसमें प्रोफेशनल्स को पूरी मेहनत के साथ हिस्सा लेना पड़ता है.
प्रमुख कोर्स
इस क्षेत्र के प्रमुख कोर्स हैं- सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट, डिप्लोमा इन साइकोसोशल केयर एंड सपोर्ट इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमबीए इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमफिल इन डिजास्टर मैनेजमेंट, एमएससी इन डिजास्टर मैनेजमेंट, पीएचडी इन डिजास्टर मैनेजमेंट, पीजी सर्टिफिकेट कोर्स इन डिजास्टर मैनेजमेंट, पीजी डिप्लोमा इन डिजास्टर मैनेजमेंट.
रोजगार के अवसर
डिजास्टर मैनेजमेंट का कोर्स करने के बाद ज्यादातर जॉब पब्लिक सेक्टर में ही मिलते हैं. सरकारी विभागों के फायर डिपार्टमेंट, सूखा प्रबंधन विभाग आदि में भी पेशेवरों की भर्ती की जाती है. देश से बाहर विदेशों में छात्र अपना कैरियर इमरजेंसी सर्विस, लोकल अथॉरिटी, राहत एजेंसी, एनजीओ, यूएनओ, वल्र्ड बैंक, एमनेस्टी, एशियन डेवलपमेंट बैंक, रेड क्रॉस, यूनेस्को जैसी इंटरेशनल एजेंसी में बना सकते हैं. ये संस्थाएं प्रोफेशनल्स के लिए ट्रेनिंग का भी आयोजन कराती हैं. किसी भी संस्थान में शुरुआत करने से पहले पेशेवरों को पहले सिस्टम या नेटवर्क एडमिनिस्ट्रेटर, डाटाबेस एनालिस्ट, सिक्योरिटी एडमिनिस्ट्रेशन या ऑपरेशन एनालिस्ट के रूप में काम करना पड़ता है. इसके अलावा उन्हें सोशल वर्कर, इंजीनियर, मेडिकल हेल्थ विशेषज्ञों, एन्वायरन्मेंटल एक्सपर्ट, पुनर्वास कार्यकर्ता आदि के रूप में भी काम करने का अवसर मिलता है. रिस्क मैनेजमेंट, कंसल्टेंसी कंस्ट्रक्शन टेक्नोलॉजी, डॉक्यूमेंटेशन, इंश्योरेंस कंपनियों, स्टेट डिजास्टर मैनेजमेंट सेंटर, एनआइडीएम में भी जॉब की संभावनाएं हैं. इंजीनियर भी भूकंपरोधी भवनों का डिजाइन एवं निर्माण कर इस क्षेत्र में अपनी भूमिका को साबित कर सकते हैं. ग्रेजुएट प्रोफेशनल्स अपनी खुद की कंसल्टेंसी भी स्थापित कर सकते हैं. साथ ही टीचिंग एवं ट्रेनिंग भी उनके लिए बेहतर विकल्प हो सकते हैं.
शुरुआती वेतनमान
भारत में आपदा प्रबंधन के क्षेत्र में कई सरकारी अथवा गैरसरकारी संस्थाएं एक तय सैलरी पैकेज पर पेशेवरों को नियुक्त करती हैं. आमतौर पर इसमें शुरुआती दौर में 10,000-12,000 रुपये प्रतिमाह मिलते हैं. जबकि तीन-चार वर्ष का अनुभव होने पर उन्हें 18,000-20,000 रुपये प्रतिमाह आसानी से मिल जाते हैं. दूसरी तरफ ऐसा भी देखा गया है कि एक कुशल प्रोफेशनल को डेढ़ लाख रुपये तक प्रतिमाह का पैकेज मिला है. विदेशी कंपनियां सैलरी के मामले में भारतीय कंपनियों से अधिक पैसा देती हैं.
मुख्य संस्थान
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ डिजास्टर मैनेजमेंट, नयी दिल्ली
वेबसाइट :
जमशेदजी टाटा सेंटर फॉर डिजास्टर मैनेजमेंट, टिस, मुंबई
वेबसाइट :
एशियन फायर इंजीनियरिंग कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र
वेबसाइट :
नेशनल सिविल डिफेंस कॉलेज, नागपुर, महाराष्ट्र.
वेबसाइट :
डिजास्टर मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, भोपाल
वेबसाइट :
इंदिरा गांधी नेशनल ओपेन यूनिवर्सिटी (इग्नू), नयी दिल्ली
वेबसाइट :
देवी अहिल्या यूनिवर्सिटी (इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज), इंदौर
वेबसाइट :
गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, दिल्ली. वेबसाइट : www.ipu.ac.in