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बालू नीलामी पर सरकार अड़ी, आज कैबिनेट में उठेगा मामला

रांची: सरकार बालू घाटों की नीलामी करने पर अड़ी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीलामी पर लगी रोक हटा ली है. इससे संबंधित फाइल खान विभाग को लौटा दी है. उन्होंने आदेश दिया है कि जिन जिलों में बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है, वहां नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की जाये. नीलामी की प्रक्रिया सख्ती […]

रांची: सरकार बालू घाटों की नीलामी करने पर अड़ी है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नीलामी पर लगी रोक हटा ली है. इससे संबंधित फाइल खान विभाग को लौटा दी है. उन्होंने आदेश दिया है कि जिन जिलों में बालू घाटों की नीलामी नहीं हुई है, वहां नियमानुसार प्रक्रिया पूरी की जाये. नीलामी की प्रक्रिया सख्ती से लागू करायी जाये. उन्होंने अपने आदेश में कहा है कि घाटों की नीलामी में फरजी कंपनियां शामिल न हो. सारी जांच के बाद ही कंपनियों को नीलामी में शामिल किया जाये.

विरोध के बाद लगायी थी मौखिक रोक
पूर्व में हुई बालू घाटों की नीलामी में मुंबई की तीन कंपनियों ने रांची, खूंटी, पाकुड़, गिरिडीह, पलामू व गोड्डा में 89 घाटों की बंदोबस्ती हासिल कर ली है. बाहरी कंपनियों का झारखंड के बालू घाटों पर कब्जे के भारी विरोध के बाद सरकार ने नीलामी पर रोक लगाने का आदेश 25 अक्तूबर को मौखिक रूप से दिया था. सिर्फ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग की ओर से प्रेस रिलीज जारी कर मुख्यमंत्री के आदेश की जानकारी दी गयी थी.

विभाग ने मांगा था आदेश
इसके बाद खान विभाग ने मौखिक आदेश के मद्देनजर मुख्यमंत्री से इस संबंध में आगे की कार्रवाई के लिए आदेश मांगा था. इससे संबंधित फाइल उनके पास भेजी थी. सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री ने फाइल पर कुछ भी लिखने से मना कर दिया. उन्होंने दोबारा मौखिक आदेश देकर पूर्व की तरह नीलामी प्रक्रिया जारी रखने को कहा है. मुख्यमंत्री के इस आदेश के बाद अब फिर से बालू घाटों की नीलामी की प्रक्रिया आरंभ हो जायेगी.

आज कैबिनेट में उठेगा मामला
सरकार के घटक दल कांग्रेस और राजद के मंत्री बालू घाटों की नीलामी को लेकर नाराज हैं. कांग्रेस-राजद के मंत्री बालू घाटों की नीलामी रद्द कर पुरानी व्यवस्था बहाल करने की मांग कर रहे हैं. गुरुवार को कैबिनेट की बैठक है. घटक दल के मंत्रियों ने मामले को कैबिनेट में उठाने की बात कही है.

कांग्रेस के मंत्री
ऊर्जा व स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र प्रसाद सिंह ने कहा : सीएम को अब तक फैसला कर लेना चाहिए. बालू की कमी दूर की जानी चाहिए. विकास कार्य प्रभावित हो रहा है.

ग्रामीण विकास मंत्री चंद्रशेखर दुबे ने कहा : कैबिनेट में मामला उठाया जायेगा. बालू पर पंचायतों को हक मिले.

कृषि मंत्री योगेंद्र साव ने कहा : गरीबों का हक मारा जा रहा है. बाहर की कंपनियों को बालू बेचने का अधिकार रद्द किया जाना चाहिए.

मन्नान मलिक ने भी इसका विरोध किया है

राजद के मंत्री
जल संसाधन मंत्री अन्नपूर्णा देवी ने कहा : मुख्यमंत्री से मिल कर अपनी भावना बता चुकी हूं. बालू के मामले में सरकार से जल्द निर्णय लेने का आग्रह किया था. सरकार ने अब तक फैसला नहीं लिया है. हम कैबिनेट में इस मामले को लेकर जायेंगे. सुरेश पासवान ने भी इसका विरोध किया है

जहां नीलामी हो चुकी है : रांची, खूंटी, पाकुड़, गिरिडीह,जमशेदपुर,पलामू व गोड्डा

अब इन जिलों की होगी नीलामी : धनबाद, बोकारो, हजारीबाग, रामगढ़, चतरा, कोडरमा, लातेहार, गढ़वा, लोहरदगा, गुमला, सिमडेगा, चाईबासा, सरायकेला-खरसावां, जामताड़ा, दुमका, साहेबगंज, देवघर

हर साल 2000 करोड़ बाहर चला जायेगा
झारखंड में बालू को लेकर हाहाकार मचा है. सरकार राजस्व बढ़ाने की बात कह बाहरी कंपनियों को झारखंड के बालू घाट देने पर अड़ी है. सरकार का तर्क है कि बालू घाटों की नीलामी से करीब 400 करोड़ का राजस्व मिलेगा. पर विभागीय अधिकारियों की मानें, तो पूरे राज्य में बालू घाटों की नीलामी की जाये, तो 80 से 100 करोड़ रुपये का राजस्व मिलेगा. इसमें भी 80 फीसदी राशि ग्राम सभा को देनी है. वहीं बाहरी कंपनियां 2000 करोड़ से अधिक की राशि ले जायेंगी.

तीन कंपनियों को मिली है बंदोबस्ती : झारखंड के सात जिलों में अब तक बालू घाटों की नीलामी हो चुकी है. बंदोबस्ती मुंबई की तीन कंपनियों दी मिल्स स्टोर कंपनी मुंबई प्राइवेट लिमिटेड, महावीर इंफ्रा प्राइवेट लिमिटेड और मेरेडियन रियल्टर्स प्राइवेट लिमिटेड को मिली है. इन कंपनियों ने सर्वाधिक बोली लगा कर तीनों जिलों में बालू घाटों पर कब्जा जमाया है. जमशेदपुर में इन कंपनियों ने बोली में हिस्सा नहीं लिया था. वहां ज्यादातर स्थानीय कारोबारियों के हिस्से में बालू घाटों की बंदोबस्ती हुई है.

पहले ग्राम सभा के माध्यम से स्थानीय लोग घाटों से बालू का उठाव करते थे. इससे सरकार को राजस्व का कोई लाभ नहीं होता था.

पर पैसे राज्य में ही रह जाते थे. अब बड़े मुनाफे और बाहरी कंपनियों के आने से इस व्यवसाय में बड़े बिल्डर, उद्यमी और कारोबारी भी कूद पड़े हैं. इससे स्थानीय स्तर पर लोगों को काफी नुकसान हो रहा है. बताया जाता है कि बाहर की कंपनियां करीब 70 से 80 करोड़ रुपये निवेश कर राज्य से हजार करोड़ से अधिक का मुनाफा कमाना चाहती है.

क्या है नीलामी की शर्त
25 अप्रैल 2011 को तत्कालीन सरकार के निर्णय के अनुसार खान एवं भूतत्व विभाग की ओर से बालू घाटों की बंदोबस्ती के लिए प्रावधान किया गया था. इसके तहत बालू घाटों की बंदोबस्ती नीलामी द्वारा की जायेगी. गैर वन भूमि पर स्थित बालू घाटों की बंदोबस्ती उपायुक्त द्वारा उच्चतम डाक लगानेवालों को तीन वित्तीय वर्ष के लिए दी जानी है. राज्य सरकार की कंपनी / प्राधिकार एवं निबंधित सहयोग समितियां को प्राथमिकता देने की बात कही गयी है.

हाइकोर्ट में सुनवाई दो को
झारखंड हाइकोर्ट में बालू घाटों की नीलामी को चुनौती देनेवाली जनहित याचिका पर दो दिसंबर को सुनवाई होगी. बुधवार को चीफ जस्टिस आर भानुमति व जस्टिस अपरेश कुमार सिंह की खंडपीठ में प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार ने मामले की शीघ्र सुनवाई करने का आग्रह किया. दीवान इंद्रनील सिन्हा ने याचिका दायर कर बालू घाटों की नीलामी को चुनौती दी है. साथ ही पूरे मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने का आग्रह किया है.


नीलामी से क्या होगा नुकसान
बाहरी कंपनियां अधिक बोली लगा कर ज्यादा से ज्यादा बालू घाटों पर कब्जा करेंगी

बालू घाटों से होनेवाली आय का बड़ा हिस्सा राज्य से बाहर जायेगा

स्थानीय लोगों के हाथों से बालू घाट छिन जाने के कारण बेरोजगारी बढ़ेगी

बालू की कीमत में बढ़ोतरी होगी

बालू की ब्लैक मार्केटिंग की आशंका

कीमत बढ़ाने की साजिश
बाहरी कंपनियों के आने से राज्य में विवाद खड़ा हो गया है. बताया जाता है कि इन बाहरी कंपनियों का मकसद झारखंड के अधिकतर बालू घाटों पर कब्जा करने के बाद क्राइसिस पैदा कर बालू की कीमत में वृद्धि करना है. कंपनियां इसमें सफल भी हो रही हैं. इसी कारण फिलहाल बालू की कीमत 7000 से लेकर 9000 रुपये प्रति ट्रक और 3000 रुपये प्रति ट्रैक्टर हो गयी है.

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