।। दक्षा वैदकर ।।
जिस काम को करने से आपकी मन की स्थिति बिगड़ जाए, उस काम को करने से कोई फायदा नहीं. अगर आपको ऑफिस में कोई प्रेजेंटेशन देना है और आप सुबह से रात तक काम कर रहे हैं; इस बीच गुस्सा भी कर रहे हैं. खाने का वक्त भी नहीं निकाल पा रहे हैं, तो आपका काम करना बेकार है; क्योंकि हम सभी काम क्यों करते हैं? खुश रहने के लिए न? गुस्सा करने से, खाना नहीं खाने से क्या हम खुश हैं? बिल्कुल नहीं. सही तरीका यही है कि कोई भी काम करने से पहले हम स्वस्थिति को पहले देखें. जिम्मेवारियां लें, लेकिन अपनी प्राथमिकता की लिस्ट में सबसे ऊपर खुद के मन को रखें. आज हम कई लोगों को बोलते सुनते हैं कि फलां आदमी सक्सेसफुल है, क्या वह सच में है? सक्सेसफुल का अर्थ क्या है? इसका अर्थ है एक ऐसा इनसान, जिसके मन की स्थिति शक्तिशाली, खुश, शांत और स्थिर है. अब जिस व्यक्ति का मन नियंत्रण में नहीं है, वह सक्सेसफुल कैसे हो सकता है?
एक आम इनसान के दिमाग में प्रति मिनट लगभग 25-30 विचार आते हैं. जब हम तनाव में होते हैं, तो विचारों की संख्या प्रति मिनट 45-50 हो जाती है. दिनभर में हम दिमाग की इस फैक्ट्री में 50-60 हजार विचारों का उत्पादन करते हैं. सोचनेवाली बात यह है कि ऐसी फैक्ट्री, जिसमें बनायी गयी अधिकांश वस्तुएं (बेकार विचार) खराब हैं, वह नुकसान में चलेगी या फायदे में? जाहिर-सी बात है कि फैक्ट्री नुकसान में चलेगी. फैक्ट्री तभी फायदे में चलेगी, जब हम बेहतरीन चीजों (विचारों) का उत्पादन करेंगे.
बचपन से हमें सिखाया जा रहा है कि ‘मन जीते, तो जग जीते’ लेकिन आज हमने यह समीकरण उल्टा कर ‘जग जीत लिया, तो मन खुश हो जायेगा’ बना लिया है. हमने मन की खुशी को पीछे कर दिया है, जो गलत है. यह सोचनेवाली बात है. जब हम परीक्षा में सवाल हल करने के लिए गलत समीकरण लिख देते हैं, तो भले ही कितने पन्ने भर लें, मेहनत कर लें, वक्त लगा दें, लेकिन जवाब सही नहीं आता. आज जीवन में यही हो रही है. हमने समीकरण ही गलत रटा है. इसे ठीक करें. वरना आपके सवाल का जवाब ‘खुशी’ नहीं आयेगा.
बात पते की..
अपने जीवन का समीकरण ठीक करें. खुद के मन की स्थिति को सबसे पहले रखें. मन खुश रहेगा, तो सब काम ठीक होता जायेगा.
समीकरण ठीक लगायेंगे, तो बड़ी से बड़ी समस्या आसानी से हल हो जायेगी और सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जायेंगे.