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मानव तस्करी के खिलाफ अडिग मुखिया शिव उरांव

अमिताभ कुमार, प्रभात खबर.कॉमकरीब 45 किमी दूर बिजूपाड़ा के लुंडरी पंचायत के मुखिया शिव उरांव महिलाओं को सम्मान दिलाने में जुटे हुए हैं. इन्होंने अपने क्षेत्र में महिला उत्पीड़न के विरूद्ध सराहनीय कार्य किया है. इनका प्रयास अभी भी जारी है. ये अपने क्षेत्र के लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर ग्रामसभा […]

अमिताभ कुमार, प्रभात खबर.कॉम
करीब 45 किमी दूर बिजूपाड़ा के लुंडरी पंचायत के मुखिया शिव उरांव महिलाओं को सम्मान दिलाने में जुटे हुए हैं. इन्होंने अपने क्षेत्र में महिला उत्पीड़न के विरूद्ध सराहनीय कार्य किया है. इनका प्रयास अभी भी जारी है.

ये अपने क्षेत्र के लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए समय-समय पर ग्रामसभा करते हैं और लोगों को महिलाओं को सम्मान देने की बात बताते हैं. इनके प्रयास से पंचायत से पलायन कर गई कई लड़कियों को वापस लाने में मदद मिली है. इन्होंने अपने क्षेत्र में उन दलालों के विरुद्ध एक मुहिम चला रखी है जो लोगों को काम का झांसा देकर गांव से मेट्रो सिटी ले जाते हैं. जहां उनके साथ अभद्र व्यवहार किया जाता है. इनके मुहिम का ही नतीजा है कि दो दलालों को जेल की हवा भी खानी पड़ी. इनकी दिनचर्या लोगों को जागरूक करने से आरंभ होता है. ये सुबह उठकर सैर के लिए अपने क्षेत्र में जाते हैं क्योंकि उन्हें सुबह घर में परिवार के सभी सदस्य मिल जाते हैं. ये प्रत्येक परिवार में जाकर लड़कियों को शिक्षित बनाने तथा अपने पैरों पर खड़े होने के लिए प्रेरित करते हैं. माता-पिता को लड़का-लड़की में फर्क नहीं करने की सलाह भी देते हैं. इनके पंचायत में महिला उत्पीड़न करने वालों को सजा दी जाती है.

पलायन कर गई महिलाओं को वापस लाया
अपनी पंचायत की छह महिलाओं को शिव उरांव ने वापस गांव में लाया है. ये महिलाएं काम की तलाश में गांव से पलायन कर चुकीं थी. वे महिलाओं को मनरेगा के तहत गांव में ही काम देने का प्रयास कर रहे हैं ताकि रोजी-रोटी की तलाश में वे बाहर नहीं जाएं और उनके साथ कोई अनहोनी न हो. वे अपने पंचायत में 10 लोगों को उद्योग विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिला रहे हैं ताकि वे लोग अपने पैरों पर खड़े हो सके. इसने अधिकतर महिलाएं हैं. इसके तहत वे प्राप्त पैसों से लघु उद्योग खोल सकेंगी और अपने साथ-साथ अन्य लोगों को भी रोजगार मुहैया करायेंगी.

दलालों पर शिकंजा कसने का प्रयास
गांव में जो महिलाएं बाहर जाकर काम करना चाहती हैं या दलालों के द्वारा ले जायी जातीं हैं. उनका बकायदा शिव उरांव पंजीकरण करवाते हैं. इसमें वे कहां जा रही हैं किनके द्वारा ले जायी जा रहीं हैं. ये सभी बातें लिखित रूप से मौजूद रहती है. इससे वे समय-समय पर उनका हालचाल लेते रहते हैं. उनके इस काम में वार्ड मेंबर भी सहायता करते हैं. उनके इस प्रयास से वैसे दलालों पर शिकंजा कसने में मदद मिली है जो महिलाओं को बहला-फूसला कर ले जाते हैं और उनके साथ दरुव्यवहार किया जाता है. शिव इस कार्य में 2008 से ही लगे हुए हैं. इस दौरान उनका कई दलालों से पाला पड़ा है. वे दलालों को सबक सिखाने के उद्देश्य से वापस लायी गई लड़कियों के माता-पिता के द्वारा केस करवाते हैं और जिसके बाद उनके खिलाफ कानूनी कर्रवाई की जाती है. वे अब तक दो दलालों को जेल की हवा खिला चुके हैं. उनके इस कार्य से धोखेबाज दलाल खौफ खाते हैं.

डायन प्रथा का विरोध
शिव उरांव डायन प्रथा को अपने पंचायत में पनपने नहीं देते हैं. इस विषय पर वे समय-समय पर ग्राम सभा बुलाते हैं और लोगों को इस कुप्रथा के प्रति जागरूक करते है. ग्रामसभा में वे बताते हैं कि यह एक शक की बीमारी है. वे लोगों को नई टेक्नोलॉजी से अवगत कराते हैं और बताते है कि कैसे इस कुप्रथा को छोड़ नये युग में प्रवेश करें. खुले में महिलाओं का शौच जाना इनके पंचायत में एक समस्या है. शिव इस समस्या के समाधान के लिए प्रत्येक घर में शौचालय बनवाने की तैयारी में जुटे हुए हैं. यह एक योजना के तहत है. इस योजना के तहत 9000 रूपया सरकार की ओर से मुहैया कराया जाता है. एक एनजीओ के तहत वे इस कार्य को करने का प्रयास कर रहे हैं. मनरेगा में भी शौचालय का प्रावधान है जिसके तहत वे पंचायत में शौचालय बनाने की तैयारी में हैं. ग्राम सभा से इन्होंने स्नानगृह का प्रस्ताव भी पारित किया है. स्नानगृह हो जाने से गांव की महिलाओं का खुले में स्नान करना जो कि एक समस्या बनी हुई है दूर करने का प्रयास जारी है.

लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक बनाना
शिव उरांव गांव की लड़कियों को शिक्षा के प्रति जागरूक करने का काम भी बखूबी कर रहे हैं. इसके लिए वे गांव की लड़कियों को पढ़ाई से संबंधी सामाग्री समय-समय पर प्रदान करते हैं. मैट्रिक में अच्छे अंक लाने वाले छात्रों को ये उपहार स्वरु प कुछ-न-कुछ प्रदान करते हैं. शिव का मानना है कि यदि लड़कियों को प्रोत्साहित किया जाए तो वो लड़कों से आगे निकल सकती हैं. इसलिए वे प्रत्येक परिवार में जाकर लड़कियों को शिक्षित बनाने और उन्हे भी लड़कों के समान सारी सुविधायें देने की बात करते हैं. अपनी हर सभा में शिव लड़कियों को शिक्षित बनाने और महिला उत्पीड़न के विरूद्ध भाषण देते हैं.

दहेज के नाम पर कोई मदद नहीं
शादी-विवाह में मुखिया जी गांव वालों की मदद करते हैं. इस संबंध में मुखिया जी बताते हैं कि शादी विवाह में लोगों की आर्थिक और शारीरिक मदद वे करते हैं पर यदि कोई उनके पास दहेज के नाम पर मदद की अपील करता है तो वे साफ तौर पर नकार देते हैं. उन्होंने एक वाक्या का जिक्र करते हुए बताया कि एक गरीब परिवार की लड़की की शादी में लड़का पक्ष ने मोटरसाइकिल की मांग की. लड़का पक्ष ने बकायदा इसके लिए मोटरसाइकिल का कैटलॉग भी भेजा. इस समस्या को लेकर जब लड़की के माता-पिता उनके पास आये तो उन्होंने लड़की को समझाया कि ऐसे लालची लोग के बीच यदि तुम शादी करके जाओगी तो बाद में भी उनकी मांग जारी रहेगी. उनके समझाने का ही नतीजा था कि देवंती कुमारी (बरहे गांव) ने शादी करने से इनकार कर दिया. हालांकि बाद में लड़का उसके घर आया और शादी करने की जिद्द की पर देवंती ने साफ इनकार कर दिया. अभी देवंती उद्योग विभाग की ओर से ट्रेनिंग ले रही है. वह अपने पैर पर खड़ा होकर आगे बढ़ना चाहती है.

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