।। दक्षा वैदकर ।।
किसी किताब में मैंने बहुत खूबसूरत बात पढ़ी. ‘आपको अपने विचार उसी तरह चुनने चाहिए जैसे आप हर रोज अपने कपड़े चुनते हैं.’ यह एक शक्ति है, जो हम अपने अंदर पैदा करते हैं. जिस दिन हमने अपने दिमाग को नियंत्रण में रखना सीख लिया, उस दिन से दुनिया की कोई भी चीज हमें दुखी नहीं कर सकती; तब तक, जब तक हम खुद न चाहें. यह तो सोचनेवाली बात है.
हम अपने ड्रेस का चुनाव करते हैं कि कौनत्नसी ड्रेस मुझ पर ज्यादा अच्छी लगेगी? किस इवेंट के लिए कौनत्नसी ड्रेस पहननी चाहिए? किस ड्रेस की तारीफ सबसे अधिक होगी? हम परफ्यूम भी यही सोच कर लगाते हैं कि कौनत्नसा परफ्यूम लोगों को अधिक पसंद आयेगा. परफ्यूम ज्यादा स्ट्रॉन्ग भी न हो और इतना कम भी न महके कि पता ही न चले कि मैंने कोई परफ्यूम लगाया है. इन चीजों की तरह यदि हम अपने विचारों को भी चुनने की कला सीख लें, तो जिंदगी बेहतरीन हो जायेगी.
दरअसल, हम सभी के दिमाग में दिनभर में हजारों विचार आते हैं. कई विचार सकारात्मक हो सकते हैं, जैसे प्रेम, दया, मदद, भरोसा, तो कई विचार नकारात्मक भी हो सकते हैं, जैसे जलन, रिजेक्शन, नफरत, निराशा, बदला आदि. अब हमें यह प्रैक्टिस करनी होगी कि हम नकारात्मक विचारों को तुरंत दिमाग से हटायें और अपना पूरा ध्यान दूसरी तरफ लगायें. जब भी किसी की कोई बात बुरी लगे, उसे जल्दी से भूलने की कोशिश करें. हालांकि, पहली बार में यह सब करना इतना आसान नहीं होता, लेकिन प्रैक्टिस से किया जा सकता है.
खुद से सवाल करें कि आखिर इस दर्द को मुङो कितने घंटे तक खींचना है और क्यों? आपको जवाब मिल जायेगा. इस बात का अनुभव हो जाने से कि हमारे विचार हमारे ही द्वारा बनाये गये होते हैं, पहली बार में आप दर्द को यदि एक घंटे में भूलेंगे, तो अगली बार में आपको आधा घंटा लगेगा. यह समय कम होता जायेगा. हमारे विचार हमारा व्यक्तित्व बनाते हैं. आप अच्छी बातें सोचने की आदत डालेंगे, तो आपके चेहरे पर एक अलग ग्लो नजर आयेगा. आपकी स्कीन में फर्क दिखेगा, आपकी आंखें अधिक चमकेंगी और आपकी मुस्कुराहट लोगों का दिल जीत लेगी.
बात पते की..
हमारा हर विचार हमारे शरीर के प्रत्येक सेल पर असर डालता है. अच्छा सोचेंगे, तो स्वस्थ रहेंगे और बुरा सोचेंगे, तो अपनी तबीयत बिगाड़ लेंगे.
जब हम अपने दोस्तों का मूड ठीक कर सकते हैं, दोस्त हमारा मूड ठीक कर सकते हैं, तो हम अपना मूड खुद क्यों नहीं ठीक कर सकते? जरा सोचिए.