बैठक की तिथि से 30 दिन पहले लिखित सूचना द्वारा भेजी जाती है. बैठक में चुनाव की तिथि घोषित की जाती है. इसमें नामांकन, नामांकन-पत्रों की जांच, नाम वापसी, मतदान, मतगणना और शपथ ग्रहण की तिथि निश्चित होती है.
कौन हो सकता है सदस्य
लैंपस हो या पैक्स, गांव के हर परिवार का एक सदस्य इसका सदस्य होगा. सदस्यता के लिए व्यक्ति नहीं, परिवार को इकाई बनाया गया है और सरकार की योजनाओं का लाभ भी पूरे परिवार को मिलेगा. इसमें व्यक्तिगत सदस्यता या व्यक्तिगत लाभ की कोई व्यवस्था या योजना नहीं है. परिवार का कोई भी सदस्य इसका सदस्य हो सकता है चाहे वह महिला हो या पुरुष.
कितने सदस्य होते हैं
लैंपस या पैक्स की कार्यकारिणी या प्रबंधकारिणी में पहले अध्यक्ष सहित छह सदस्य होते थे. ए बैद्यनाथन कमेटी की सिफारिश के आधार पर अब इसमें अध्यक्ष सहित 11 सदस्य होते हैं. कार्यकारिणी में अध्यक्ष के अलावा बाकी सभी सदस्य होते हैं.
ग्राम सभा और लैंपस या पैक्स समिति में अंतर
ग्रामसभा का सदस्य गांव के प्रत्येक परिवार का एक सदस्य होता है. लैंपस या पैक्स में इससे थोड़ा भेद है. लैंपस या पैक्स का सदस्य वही हो सकता है, जो किसान है और जिसके पास खेती योग्य जमीन है. वह उस जमीन पर किसी भी प्रकार की खेती करता हो, लैंपस या पैक्स का सदस्य बन सकता है. चूंकि लैंपस या पैक्स किसानों की मदद और खेती के विकास से जुड़ी संस्थागत व्यवस्था है. इसलिए गैर कृषक या भूमिहीन इसका सदस्य नहीं हो सकता है.
कैसे बनते हैं सदस्य
जिस ग्रामीण के पास खेती योग्य जमीन है और जो खुद खेती करता है, वह दस रुपये का सदस्यता (प्रवेश) शुल्क देकर लैंपस या पैक्स का सदस्य बन सकता है. पहले सदस्यता (प्रवेश) शुल्क एक रुपया था. अब यह दस रुपये है. सदस्य बनने के लिए लैंपस–पैक्स के अध्यक्ष के पास सदस्यता राशि और हिस्सा पूंजी जमा करनी होती है. अध्यक्ष के पास अगर रसीद उपलब्ध नहीं है, तो वह समिति के पैड का इस्तेमाल कर सकता है. इस वित्त वर्ष में जो व्यक्ति सदस्य बनेगा, वह अगले वित्त वर्ष से लैंपस–पैक्स की गतिविधियों और चुनाव में भाग ले सकेगा.
हिस्साधारी ही मतदाता
सभी सदस्य को एक सौ रुपये मूल्य की एक यूनिट खरीदना होता है. पहले एक यूनिट का मूल्य दस रुपये था. अब इसे सौ रुपया कर दिया गया है. कोई किसान दस रुपये का प्रवेश शुल्क देकर और बिना यूनिट खरीदे लैंपस या पैक्स का सदस्य तो हो सकता है, लेकिन उसे इसका कोई लाभ नहीं मिलेगा. वह न तो मतदान में हिस्सा ले सकता है और न ही विशेष गतिविधि में. यह अधिकार केवल यूनिट धारक सदस्य को मिलता है.
यूनिट खरीदने की बाध्यता
कोई सदस्य अपनी जरूरत और क्षमता के मुताबिक यूनिट खरीद सकता है. इसके लिए उस पर कोई दबाव नहीं होता है. एक सदस्य के पास चाहे जितना भी यूनिट हो, उसे मतदान का अधिकार एक ही होगा.
यूनिट का लाभ
एक यूनिट का जो मूल्य है, उसे सदस्य का हिस्सा पूंजी कहते हैं. यानी लैम्पस या पैक्स में उस सदस्य की पूंजी उतनी मानी जाती है. सदस्य को एक यूनिट पर एक हजार रुपये तक लैंपस या पैक्स से कृषि ऋण लेने का अधिकार मिलता है. यानी अगर आप एक सौ रुपये दे कर एक यूनिट खरीदते हैं, तो उससे दस गुना ज्यादा एक हजार रुपये तक कर्ज ले सकते हैं.
उसी प्रकार अगर दस यूनिट आप ने खरीदा है यानी हजार रुपये की हिस्सा पूंजी आप ने लगायी है, तो दस हजार रुपये तक कर्ज ले सकते हैं. इसमें यह जरूरी नहीं है कि आप जितना कर्ज लेने के हकदार हैं, उतनी राशि कर्ज में लेनी ही है या एक बार में उनकी राशि लेनी है. आप अपनी जरूरत के हिसाब से और एक से ज्यादा किस्तों में कर्ज ले सकते हैं. बस, यह ध्यान रखना होगा कि जितना यूनिट आपके पास है, आप उसके दस गुना तक कर्ज ले सकते हैं.
कर्ज चुकता करने की बाध्यता
कोई सदस्य लैंपस या पैक्स से दुबारा कर्ज तभी ले सकता है, जब उस वर्ष में उसने अपनी हिस्सा पूंजी के अनुपात में पूरी राशि कर्ज में नहीं लिया है. अगर कोई सदस्य पहले साल में लिया गया कर्ज वापस नहीं करता है, तो वह डिफॉल्टर हो जाता है. उसे दुबारा कर्ज नहीं मिल सकता है. दुबारा कर्ज तभी मिलेगा, जब वह ब्याज सहित कर्ज की पूरी राशि चुका देता है. हां, एक वर्ष में एक सदस्य अपनी हिस्सा पूंजी के अनुपात में पूरी–पूरी राशि एक से ज्यादा बार भी कर्ज के रूप में ले सकता है. बशर्ते कि इससे पहले उसने पुराना कर्ज चुका दिया हो. जैसे कि एक सदस्य के पास दस यूनिट है. यानी उसने 1000 रुपये की हिस्सा पूंजी लगायी है और उसने 10000 रुपये तक लैंपस या पैक्स से कर्ज लिया है. साल भर के भीतर वह पूरी राशि सूद सहित लैंपस या पैक्स को लौटा देता है, तो वह उस साल दुबारा कर्ज लेने का अधिकारी बन जाता है, लेकिन उसने उस साल के बाद भी कर्ज नहीं चुकाया, तो वह दुबारा कर्ज नहीं प्राप्त कर सकता. इसके लिए उसे पुराना कर्ज सूद सहित चुकता करना होगा.
कर्ज केवल कृषि के लिए
लैंपस या पैक्स केवल कृषि कार्य के लिए कर्ज देती हैं. गैर कृषि कार्य के लिए विशेष प्रकार की समितियां कर्ज देती हैं, जो लैंपस या पैक्स से अलग हैं.
कर्ज पर सूद की दर
लैंपस या पैक्स से मिलने वाले कर्ज पर सदस्य किसान को 12.5} की दर से ब्याज चुकाना होता है. अगर किसी ने उस वर्ष के अंत तक कर्ज नहीं चुकाया, तो आगे वर्ष ब्याज की दर 15} हो जाती है. यह ब्याज की अधिकतम दर है. दर इससे अधिक नहीं हो सकती.
लैंपस या पैक्स का वर्ष
सामान्यत: सभी बैंकों का वित्त वर्ष पहली अप्रैल से 31 मार्च होता है. लैंपस या पैक्स का वित्त वर्ष पहली जुलाई से 30 जून है. इसमें कृषि चक्र को ध्यान में रखा गया है.
कितने साल में होगा चुनाव
लैंपस या पैक्स की एक कार्यकारिणी या प्रबंधकारिणी का कार्यकाल तीन साल का होता है. तीन साल बाद दुबारा चुनाव कराया जाता है. यह कार्य पुरानी कार्यकारिणी समिति को ही संपन्न कराना होता है.
बैठकें कितनी बार
आम तौर से यह अपेक्षा की जाती है कि लैंपस या पैक्स की कार्यकारिणी की बैठक हर माह हो, लेकिन तीन माह में एक बार बैठक करना जरूरी है. साल में एक बार विशेष आमसभा होती है, जिसमें दो तिहाई सदस्यों की उपस्थिति जरूरी है. इसमें नीतिगत और विशेष निर्णय लिये जा सकते हैं. इस तरह के निर्णय का अधिकार विशेष आमसभा को ही है. आमसभा की सामान्य बैठक भी होती है, जिसमें अन्य मामलों पर विचार हो सकता है.
बैठक की सूचना
सभी सदस्यों को बैठक की सूचना देने का दायित्व अध्यक्ष का है. वह बैठक तिथि तय कर उसकी सूचना सभी सदस्यों को देता है.
बैठक की अध्यक्षता
बैठक की अध्यक्षता लैंपस या पैक्स का अध्यक्ष करता है. अगर किसी कारण से वह बैठक में भाग नहीं ले सकता है, तो बैठक की सूचना में ही इस बात का उल्लेख करेगा कि उसकी अनुपस्थिति में बैठक की अध्यक्षता कौन करेगा. यह अधिकार सामान्य तौर पर कार्यकारिणी समिति के वरीय सदस्य को होता है.
कैसे होता है चुनाव
जहां लैंपस–पैक्स का चुनाव हो चुका है, वहां अगर सब कुछ सामान्य रहा, तो तीन साल बाद चुनाव अगला होगा. चुनाव के लिए सामान्यत: वही प्रक्रिया अपनायी जाती है, जो विधानसभा या लोकसभा चुनाव के लिए है. चुनाव के लिए अध्यक्ष की ओर से सभी सदस्यों को बैठक की तिथि से 30 दिन पहले लिखित सूचना भेजी जाती है. बैठक में चुनाव की तिथि घोषित की जाती है. इसमें नामांकन, नामांकन–पत्रों की जांच, नाम वापसी, मतदान, मतगणना और शपथ ग्रहण की तिथि निश्चित होती है. सदस्यता के लिए कट–ऑफ डेट तय की जाती है और मतदाता सूची को स्वीकृति दी जाती है. बैठक में निर्वाचन पदाधिकारी के नाम की घोषणा होती है. चुनाव अधिकारी प्रखंड सहकारिता पदाधिकारी या प्रखंड सहकारिता प्रसार पदाधिकारी होता है. निष्पक्ष और नियम सम्मत चुनाव कराने का दायित्व अध्यक्ष का है. अगर अध्यक्ष पद के लिए तथा एक और सदस्य पद के लिए 10 से कम नामांकन–पत्र दाखिल होते हैं, तो निर्विरोध चुनाव संपन्न होता है. अगर उम्मीदवारों की संख्या ज्यादा रहती है, तो गुप्त मतदान प्रणाली अपनायी जाती है. मतगणना के बाद बहुमत हासिल करने वाले उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाता है. उसे निर्वाचित होने का प्रमाण–पत्र निर्वाचन पदाधिकारी के हस्ताक्षर और मुहर के साथ दिया जाता है. इसके बाद शपथ ग्रहण की औपचारिकता पूरी की जाती है. इसके साथ ही पुरानी कार्यकारिणी की जगह नयी कार्यकारिणी ले लेती है.
आधार भूत सुविधा अब तक नहीं
राज्य की सभी पंचायतों में लैम्पस या पैक्स का गठन कर लिया गया है, लेकिन अभी ये पूरी तरह काम नहीं कर रही हैं. इनका वित्त पोषण सरकार द्वारा अभी नहीं हुआ है. सरकार को इन्हें अभी हिस्सा पूंजी और संचालन मद की राशि उपलब्ध करानी है. सभी लैम्पस और पैक्स के लिए भवन निर्माण, आधारभूत संसाधन आदि की व्यवस्था सरकार को करानी है.