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लाभ दिलाने के लिए संसाधन उपलब्ध कराना आवश्यक

धान पकने का समय आ गया है. अब बारी है किसानों को अपने उत्पाद अच्छे मूल्य पर बेचने का. लैंपस और पैक्स के माध्यम से यह उम्मीद की जाती है कि किसानों को उनके उत्पाद के लिए बाजार की तुलना मे बेहतर मूल्य प्राप्त होगा. धान की खरीद के लिए मार्च का समय निर्धारित किया […]

धान पकने का समय आ गया है. अब बारी है किसानों को अपने उत्पाद अच्छे मूल्य पर बेचने का. लैंपस और पैक्स के माध्यम से यह उम्मीद की जाती है कि किसानों को उनके उत्पाद के लिए बाजार की तुलना मे बेहतर मूल्य प्राप्त होगा.

धान की खरीद के लिए मार्च का समय निर्धारित किया गया है. बड़े किसान की अपेक्षा छोटे किसानों को इसका लाभ किस हद तक मिलता है यह आने वाला समय ही बतायेगा. लैंपस और पैक्स की क्या परेशानियां हैं, यह समझना जरूरी है. इसी उद्देश्य से रांची जिला के ओरमांझी प्रखंड की कुच्चू लैंपस के अध्यक्ष चैतू मुंडा से शिकोह अलबदर ने बात की. प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश :

धान खरीद का जिम्मा लैंपस तथा पैक्स ने लिया है, वर्तमान मे इसकी क्या स्थिति है?
कृषकों के लिए समय से धान की खरीद नहीं हो पाना अत्यधिक कष्टकारी होता है. मुख्य समस्या छोटे कृषकों के साथ है. यह सही है कि लैंपस तथा पैक्स के माध्यम से धान खरीद की योजना प्रारंभ की गई है लेकिन धान की खरीद का समय मार्च निर्धारित किया गया है जिस कारण यह संभावना है कि छोटे किसान अपने उत्पाद को समय से पहले ही बाजार मे सस्ते दर पर बेच दें. अक्सर ऐसा होता आया है जिसमें फसल काटने के तुरंत बाद उत्पाद को व्यापारियों के हाथ निम्‍न दर पर बेच दिया जाता है. अगर सभी लैंपस तथा पैक्स धान की खरीद अभी करें तो घाटा लगेगा क्योंकि धान अभी पुरी तरह से सुख नहीं पाया है.

पैक्स और लैंपस को सही समय पर पैसा नहीं मिल पाता इसलिए भी धान की खरीद नहीं हो पाती है. धान खरीद के बाद पूरी भंडारण की व्यवस्था होना आवश्यक है. ओरमांझी प्रखंड में जो नये लैंपस गठित किये गये हैं वहां भंडारण की व्यवस्था नहीं है. फिलहाल जो यहां गठित लैंपस है वहां दो कमरे मे भंडारण की व्यवस्था की गई है. लैंपस धान की खरीदारी के बाद पैसों का भुगतान चेक के माध्यम से करता है जिसमें 15 दिनों का समय लगता है. चेक से राशि सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के माध्यम से दिया जाता है. चेक के केलयरेंस मे किसानों को परेशानियों का सामनाकरना पड़ता है. यदि किसानों को नकद भुगतान किया जाये तो ज्यादा अच्छा होगा. छोटे किसान के लिये यह सही है क्योंकि उन्हें पैसों की आवश्यक्ता के कारण ज्यादा इंतजार करना नहीं करना पड़ेगा.

किसानों के लिये लैंपस तथा पैक्स कहां तक कारगर है और किसान इस सहकारिता से कितना परिचित हैं?
हमारे यहां ओरमांझी के पांच पंचायतों को मिला कर किसानों की संख्या लगभग 10 से 15 हजार है लेकिन गठित लैंपस मे सदस्यों की संख्या मात्र 700 के करीब है. पांच पंचायत पर एक लैंपस है. हमारी ओर से अधिक से अधिक किसानों को सदस्य बनाने की हमेशा कोशिश की जाती है. किसानों से 110 रुपये की राशि लेकर सदस्य बनाया जाता है. एक फार्म भरकर ये राशि पैक्स अध्यक्ष को देना होता है जिसके लिये रसीद दिया जाता है. किसानों को जानकारी हो रही है और वे रुचि भी ले रहें हैं. छोटे किसानों का अपने फसल बेचने की जल्दी होती है फिर भी उन्हें इस बात के लिए समझाने का प्रयास किया जाता है कि वह लैंपस से जुड़े और लाभ लें. छोटे किसान की अपेक्षा बड़े किसानों के लिए लैंपस और पैक्स ज्यादा कारगर है क्योंकि बड़े किसान कुछ समय तक इंतजार करने मे सक्षम होते हैं और लैंपस के द्वारा ही धान बेचते है. इससे उन्हें अधिक मुनाफा होता है. मगर छोटे किसान कम पूंजी वाले होते हैं इसलिए उन्हें इस विषय मे जानकारी होते हुए भी इसका लाभ नहीं ले पाते. हमारा यह प्रयास होता है कि किसानों को इस विषय में बतायें कि वे किस प्रकार लैंपस का लाभ उठा सकते हैं.

किसानों की रुचि जिस प्रकार होनी चाहिए उस प्रकार नहीं दिख रही है. इसके क्या कारण हो सकते है?
पहला कारण तो पैक्स तथा लैंपस मे राशि का अभाव होता है. लैंपस तथा पैक्स को सरकार जितना राशि उपलब्ध कराती है उतनी ही राशि में सारा काम करना होता है. वर्ष 2012-13 में मात्र 30 लाख की राशि का आवंटन हुआ था. अगर सही समय पर राशि का आवंटन हो तो ज्यादा से ज्यादा लाभ किसानों को मिल सकता है. यदि समय पर संसाधन उपलब्ध हो तो किसान अच्छा कर सकते हैं.

भंडारण मे किन परेशानियों का सामना करना पड़ता है?
भंडारण मे कई तरह की परेशानी से सामना करना पड़ता है. अस्थायी तौर पर दो कमरे को गोदाम का स्वरूप दिया गया है जिसकी भंडारण क्षमता 200 किंवटल के आस पास है. अब हर पंचायत मे लैंपस तथा पैक्स गठित किये जा रहे हैं, धान की खरीद हो रही है तो भंडारण की व्यवस्था भी किया जा रहा है. भंडारण में जो मुख्य रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ता है वह यह है कि जो गोदाम होते है वो पूरी तरह से इस तरह नहीं बनाये गये होते है जो वस्तुओं को पूरी तरह से सुरक्षित रख सके. जैसे नमी. भंडारण मे नमी होने से अनाज या खाद नष्ट हो जाते हैं. साथ ही ऐसे जगहों पर चूहों के कारण भी अनाज बरबाद होते है. भंडारण करने वाले जगह मे परिसर की व्यवस्था होनी आवश्यक है जो अधिकतर पैक्स अथवा लैंपस मे उपलब्ध नहीं है. बिजली की व्यवस्था भी नहीं होती है. हमने इस विषय मे संबंधित पदाधिकारी को सूचना दी है, इस्टीमेट बनेगा तभी काम प्रारंभ होगा.

लैंपस को मजबूत करने के लिये लैंपस के सदस्यों द्वारा क्या प्रयास किये जा रहें है?
लैंपस अथवा पैक्स को मजबूत करने के लिये हमारी ओर से यह प्रयास है कि अधिक से अधिक सदस्य बनायें जायें. इसके लिए जिला सहकारिता पदाधिकारी का निर्देश भी प्राप्त हुआ है. जिला सहकारिता पदाधिकारी की मीटिंग मे यह कहा गया कि अधिक से अधिक किसानों को सदस्य बनायें जाये. . हम दो तरह से सदस्य बना रहे हैं. इसके तहत 10 रुपये से सदस्यता ली जा सकती है जिसमें सदस्यों को वोटिंग अधिकार प्रदान नहीं किये जाते वहीं 110 रुपये देकर सदस्य बनने वाले किसानों को वोटिंग का अधिकार होता है. हम ज्यादा से ज्यादा किसानों को सदस्य बनने के लिए प्रोत्साहन दे रहे है. उन्हें यह बताया जाता है कि किस प्रकार वे खाद तथा बीज लैंपस अथवा पैक्स के माध्यम से ले सकते हैं. अभी गेंहु तथा मसूर के बीच देने की प्रक्रिया प्रारंभ होगी. इससे किसान लाभ ले सकते हैं.

इस वर्ष लैंपस से किस तरह की आशाएं हैं?
धान की खरीद का समय मार्च निर्धारित किया गया है. अभी तो कटनी चल रही है. इस बार राज्य मे पैदावार पहले की अपेक्षा ज्यादा है. लेकिन धान कटने के बाद ही पता चल पायेगा कि किसान लैंपस को धान बेचने में कितनी रुचि रखते हैं. कभी कभी पैसे की अत्यधिक आवश्यक्ता के कारण छोटे किसान अपने पैदावार को बेच देते हैं.

चैतू मुंडा

अध्यक्ष, कुच्चू लैंपस, ओरमांझी, रांची.

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