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सार्स वायरस का संक्रमण

इनसान से इनसान में संक्रमण को फैलानेवाला एक सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) वायरस मिला है. फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने इस वायरस की पुष्टि करते हुए बताया कि तकरीबन एक दशक पहले पशुओं से इनसानों में इसके संक्रमण की घटना इस्ट एशिया में घटित हुई थी, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गयी थी. विश्व स्वास्थ्य […]

इनसान से इनसान में संक्रमण को फैलानेवाला एक सार्स (सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम) वायरस मिला है. फ्रांसीसी वैज्ञानिकों ने इस वायरस की पुष्टि करते हुए बताया कि तकरीबन एक दशक पहले पशुओं से इनसानों में इसके संक्रमण की घटना इस्ट एशिया में घटित हुई थी, जिससे हजारों लोगों की मौत हो गयी थी.

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस वायरस के पाये जाने पर चिंता जतायी है. साथ ही इसके संक्रमण से होनेवाले भविष्यकालिक खतरों को देखते हुए इसकी रोकथाम के लिए डॉक्टरों और वैज्ञानिकों को इस बारे में ठोस जानकारी जुटाने के लिए भी कहा है. वैज्ञानिकों को अभी इसके पैदा होने और फैलने का कोई ठोस कारण नहीं पता चल पा रहा है.

सऊदी अरब और फ्रांस में इस वायरस के फैलने से अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और बहुत से लोग इसके संक्रमण से बीमार चल रहे हैं. डॉक्टरों का मानना है कि साफ-सफाई से ही इसके संक्रमण से बचाव हो सकता है.

जहां तक इसके लक्षण की बात है, यह फ्लू जैसा ही मालूम होता है क्योंकि संक्रमण के बाद थकान, तेज बुखार, सिर दर्द, चक्कर, कफ ज्यादा बनना और सांस लेने में दिक्कत हो सकती है. सबसे खास बात यह है कि संक्रमण की शुरुआत सरदी के मौसम से होती है, जो गरमी में अपना तेज असर दिखाती है.

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