नवानगर के महाराजा जाम साहिब रणजीत सिंह जी को कुमार श्री रणजीतसिंह, रणजीतसिंह विभाजी या रणजी के नाम से भी जाना जाता है. इनको पंजाब के महाराजा रणजीतसिंह से भ्रमित न करें. रणजी का जन्म 10 सितंबर 1872 में हुआ था और यह 2 अप्रैल 1933 को दिवंगत हुए थे. इनके ही नाम पर भारतीय घरेलू क्रिकेट की चैंपियनशिप 1934-35 से हरेक वर्ष आयोजित की जाती है.
यह नवानगर के शासक होने के साथ ही बेहतरीन टेस्ट क्रिकेटर भी थे, जो इंग्लैंड की क्रिकेट टीम के लिए भी खेले. उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय के लिए फस्र्ट क्लास क्रिकेट खेली और ससेक्स के लिए काउंटी क्रिकेट में भी उतरे.
रणजी को विश्व के सर्वकालीन महान बल्लेबाजों में शामिल किया जाता है. नेवाइल कार्डस ने उनको ‘मिडसमर नाइट्स ड्रीम ऑफ क्रिकेट’ कहा है. तकनीक और तीव्र प्रतिक्रिया में वह अद्वितीय थे. उन्होंने बैटिंग के दौरान क्रांतिकारी बदलाव और स्टाइल क्रिकेट में जोड़े. रणजी ने अपने समय में लगातार अच्छी होती पिचों का फायदा उठाया और डिफेंस के साथ ही अटैक में भी बैकफुट पर खेलने का इस्तेमाल किया.
उनको खासतौर पर लेग-ग्लांस के लिए जाना जाता है, जिसे उन्होंने खोजा या लोकप्रिय बनाया. उनके सम्मान में ही भारत में फर्स्टक्लास क्रिकेट का टूनार्मेंट आयोजित किया जाता है, जिसका उद्घाटन 1935 में पटियाला के महाराजा ने किया. रणजी के भतीजे दलीप ने भी उनका अनुसरण किया और इंग्लैंड में फस्र्ट क्लास क्रिकेट खेले. रणजी 1907 में नवानगर के महाराजा जाम साहिब बने. वह इंडियन चैंबर ऑफ प्रिंसेज के चांसलर