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पटना : पढ़िए मतदान के दौरान की तीन रोचक बातें

आशुतोष के पांडेय पटना : इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार दीवारों दर को गौर से पहचान लीजिए. बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग में वोट डालकर लौट रहे इफ्तखारुल हसन कुछ यूं ही गुनगुना रहे थे. जी हां, मतदान केंद्र अंजुमन ही तो है. जहां हर पांच साल में आपको आना […]

आशुतोष के पांडेय

पटना : इस अंजुमन में आपको आना है बार-बार दीवारों दर को गौर से पहचान लीजिए. बिहार विधानसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग में वोट डालकर लौट रहे इफ्तखारुल हसन कुछ यूं ही गुनगुना रहे थे. जी हां, मतदान केंद्र अंजुमन ही तो है. जहां हर पांच साल में आपको आना होता है. शायराना मिजाज वाले वोटर किस मिजाज के प्रतिनिधि को चुनते हैं काफी मायने रखता है. फुलवारी विधानसभा क्षेत्र जो सुरक्षित है सुबह के ग्यारह बजे हैं और लोग उत्साह के साथ मतदान कर रहे हैं. इतफाक से इफ्तखारुल हसन भी मिल गए. सपत्नीक मतदान करके बाहर निकले इफ्तखारुल हसन को उम्मीदवारों की जाति विरादरी से कोई मतलब नहीं. पूछने पर बेवाक तरीके से उनकी बीवी नसीमा कहती हैं कि किसी एक मुद्दे को लेकर वोट करना हमें नहीं आता है. हम शिक्षा,सड़क,बिजली,पानी और सुरक्षा के साथ उम्मीदवार में सर्वांगीण विकास करने का माद्दा देखते हैं. तब वोट करते हैं.

जागरूक हैं हम

हमलोग भीड़ में नही हैं. हमे मुद्दा भी राष्ट्रीय स्तर का और स्थानीय स्तर दोनों को देखना पसंद है. हम भेड़चाल में वोट नहीं करते. हम समझते हैं तौलते हैं तब मतदान करते हैं.नसीमा का यह कथन उस समय आ रहा है जब बिहार में अगड़ा-पिछड़ा और दलित के साथ महादलित की बात हो रही है. फुलवारी के बूथ संख्या 96,97 और 99 पर सुबह से ही लोग लाइन में खड़े होकर मतदान कर रहे थे. उस बीच मतदान के लिए पहुंचे इफ्तखारुल हसन से बातचीत हुई. इफ्तखारूल और उनकी पत्नी नसीमा खातून इलाके के विकास के साथ उम्मीदवार में वैसे योग्यता भी देखते हैं जो समाज और राष्ट्र के लिए बेहतर हो.

पहले मतदान फिर दुकान

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पटना की सड़कों पर रोजाना की तरह आवागमन नहीं था, लेकिन उत्साह चारों ओर था. खासकर युवा मतदाता जिन्होंने पहली बार अपने मतदान का प्रयोग किया. उनकी खुशी देखते बन रही थी. पहली बार वोट डालने के बाद दुकान खोलने पहुंचे बंटी कुमार जब मिले तो उनके चेहरे कि मुस्कान वोट देने की खुशी बयां कर रही थी. बंटी बल्लमीचक में पान की दुकान चलाते हैं. उनका कहना था कि सबसे पहले मैंने मतदान किया तब जाकर दुकान खोला. पान की दुकान से परिवार का भरण पोषण करने वाले बंटी को मतदान की अहमियत मालूम है. बंटी ने बताया कि जब हम एक छोटा सा घरेलू सामान काफी माप-तौल और तोल मोल कर खरीदते हैं तो जिसके हाथों में पांच साल तक अपना भविष्य सौंपना है उसे ऐसे कैसे वोट दे देंगे. बंटी ने कहा कि हमने पहले प्रत्याशी और उसकी छवि को देखा. साथ ही इलाके के बारे में उसके विचार सुने तब जाकर हमने मतदान किया.

चलंत मतदान सहायता केंद्र

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थोड़ी दूर आगे सड़क के बीचों-बीच खड़ी दिखी मतदाताओं के लिए चलंत मतदान सुविधा केंद्र. चितकोहरा चौराहे पर खड़ी इस वैन में दो कर्मचारी हाइटेक तकनीकी से लैस दिखे. उनके पास लैपटॉप और मतदाताओं को जागरूक करने वाले पोस्टर भी था. चलंत मतदान केंद्र के इंचार्ज चंद्रभूषण सिंह ने बताया कि हमने सुबह से अबतक सैकड़ों लोगों को उनके सही मतदान केंद्रों तक पहुंचाया है. हम मतदाताओं को मतदान केंद्र की जानकारी के साथ उनका इपिक नंबर यदि खो गया हो. उन्हें पर्ची मुहैया कराते हैं. चंद्रभूषण सिंह पेशे से सहायक शिक्षक हैं और इसबार चुनाव में उनकी ड्यूटी चंलत मतदान सेवा केंद्र में लगाई गयी थी.

बिहार विधानसभा चुनाव का तीसरा चरण 53.32 फीसदी मतदान के साथ संपन्न हुआ. इस चरण में वोटरों के मिजाज ने यह जता दिया कि उन्हें कोई प्रत्याशी या उम्मीदवार बहला नहीं सकता है. उन्हें अपने अधिकार और अपने मतदान की शक्ति का अंदाजा है. वह किसी के बहकावे में आकर मतदान नहीं करेंगे.

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