Advertisement
दुनिया का पहला कैशलेस देश बनने जा रहा है स्वीडन
तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल का असर अब देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की आदत पर पड़ने लगा है . इसका ताजा उदाहरण स्वीडन है जो दुनिया का पहला ऐसा देश बनने जा रहा है जो कैशलेस है. हाल में ही किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहां के लोग बिना डर के डिजिटल पेमेंट करते […]
तकनीक के बढ़ते इस्तेमाल का असर अब देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की आदत पर पड़ने लगा है . इसका ताजा उदाहरण स्वीडन है जो दुनिया का पहला ऐसा देश बनने जा रहा है जो कैशलेस है. हाल में ही किये गये एक सर्वेक्षण के मुताबिक यहां के लोग बिना डर के डिजिटल पेमेंट करते हैं. भारत में भी प्लास्टिक मनी का क्रेज बढ़ता जा रहा है. बैंक ऑनलाइन पेमेंट पर कई तरह के छूट और ऑफर दे रहा है.
स्वीडन एक ऐसा देश है जिसने अपराध और आतंक पर नियंत्रण रखने के लिए कई गंभीर कदम उठाये हैं. शायद इसी का असर है कि स्वीडन के लोग बिना डरे ऑनलाइन पेमेंट करते हैं. ज्यादातर लोग ऑनलाइन शॉपिंग और मोबाइल से पेमेंट करने को तरजीह दे रहे हैं. स्वीडन में केटीएच रॉयल इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नॉलजी में रिसर्चर निकलस आरविदसॉन ने बताया कि स्वीडन ने तेजी से मोबाइल पेमेंट सिस्टम का यूज हो रहा है जिसकी वजह से जल्द ही स्वीडन दुनिया का पहला कैशलेस राष्ट्र बन जाएगा. इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि यहां कैश का इस्तेमाल बहुत ही कम है और बहुत ही तेजी से घट रहा है.
इस विषय पर हुए शोध पर नजर डालें तो लोग बैंक कार्ड का इस्तेमाल इसलिए भी ज्यादा कर रहे हैं क्योंकि लोगों को इसमें सुविधा महसूस हो रहे हैं. रिसर्च के दौरान लोगों से बातचीत में यह आकड़ा सामने आया कि पैसे की तुलना में लोग कार्ड लेकर चलना आसान समझते हैं स्वीडिश क्राउन के इस्तेमाल में भारी गिरावट आयी है. 6 साल पहले करीब 106 अरब स्वीडिश क्राउन सर्कुलेशन में थे जिनकी संख्या अब घटकर सिर्फ 80 अरब ही रह गयी है. स्वीडन में यह बदलाव इसलिए भी आ रहा है कि क्योंकि आधुनिक तकनीक बहुत पहले ही अपना ली गयी थी.
Advertisement