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शांति निकेतन में टैगोर की भूली बिसरी यादें

नयी दिल्ली/पटना : पटना के प्रसिद्ध फ्रेजर रोड पर कंक्रीट की इमारतों के बीच लाल ईंटों से बना एक खूबसूरत प्राचीन बंगले में शांति का आलम है जिसके बाहर लिखा है शांति निकेतन. राहगीरों की नजर बंगले पर पड़ती तो है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि एक जमाना हुआ जब इसी बंगले […]

नयी दिल्ली/पटना : पटना के प्रसिद्ध फ्रेजर रोड पर कंक्रीट की इमारतों के बीच लाल ईंटों से बना एक खूबसूरत प्राचीन बंगले में शांति का आलम है जिसके बाहर लिखा है शांति निकेतन.

राहगीरों की नजर बंगले पर पड़ती तो है लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि एक जमाना हुआ जब इसी बंगले के गलियारे में नोबेल पुरस्कार विजेता रविन्द्र नाथ टैगोर चहलकदमी करते थे. लोगों को नहीं मालूम कि टैगोर की महान रचनाओं में गुंथी कहानियों का कोई सिरा इस बंगले से भी जुड़ा रहा होगा.

पटना में डाकबंगला चौराहा नाम लीजिए तो कोई भी आपको वहां तक पहुंचने का रास्ता बता देगा. टैगोर की इस शहर की यात्रा के मौके पर इस चौक का नाम डाकबंगला चौक रखा गया था लेकिन अब इसके इतिहास पर धूल की परतें जम गयी हैं.

ये 1936 के दिनों की बात है. पटना के नामी गिरामी बैरिस्टर पी आर दास के इस खूबसूरत बंगले में महान कवि बतौर मेहमान बनकर आए थे. बर्मी टीक लकड़ी की घुमावदार सीढि़यों वाले इस बंगले की चारदीवारी के पीछे झांका तो पता चला कि टैगोर अपने नृत्य दल के साथ उस बीते साल 16 और 17 मार्च को दो दिन की यात्रा पर बिहार की राजधानी आए थे.

इस यात्रा के दौरान टैगोर और उनके दल ने शहर के सबसे पुराने एल्फिनस्टोन पिक्चर पैलेस में नृत्य नाटिका चित्रांगदा का मंचन किया था.

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