नॉन बैंकिंग कंपनियों द्वारा हजारों रुपये गबन किये जाने के बावजूद भी निवेशकों के कान पर जू नहीं रेंगती है.
सच ही कहा गया है कि लालच बुरी बला है. यही कारण है कि निवेशक अपने रुपये को दोगुणा करने व अधिक ब्याज हासिल करने के चक्कर में मूल रुपये भी गंवा दे रहे हैं. अंतत: माथा पिटने के सिवा उनके पास कोई रास्ता नहीं बचता.
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