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कुपोषण से बचने के लिए संतुलित आहार जरूरी

बच्चों के लिए कुपोषण एक बड़ी समस्या है. तमाम प्रयासों के बावजूद भारत में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो भारत में पांच वर्ष से नीचे का हर दूसरा बच्च कुपोषित है. सितंबर में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर डायटिशियन सोनिया सिन्हा ने एक रिपोर्ट में […]

बच्चों के लिए कुपोषण एक बड़ी समस्या है. तमाम प्रयासों के बावजूद भारत में बच्चे कुपोषण का शिकार हो रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की मानें तो भारत में पांच वर्ष से नीचे का हर दूसरा बच्च कुपोषित है. सितंबर में राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर डायटिशियन सोनिया सिन्हा ने एक रिपोर्ट में इस बात का उल्लेख किया है.

डायटिशियन सोनिया सिन्हा बताती हैं कि कुपोषण इसलिए भी खतरनाक है, क्योंकि यह कई बीमारियों को निमंत्रण देती है. कुपोषण के कारण ही बच्चे या बुजुर्ग एनीमिया यानी खून की कमी का शिकार होते हैं. इसके अलावा हड्डी, लीवर, किडनी व पेट से संबंधित कई बीमारियां भी कुपोषण की देन हैं.

वह कहती हैं, ऐसा नहीं है कि सिर्फ गरीब व अशिक्षित वर्ग के लोग ही कुपोषित है. शहरों में रहने वाले पढ़े-लिखे और उच्च आर्य वर्ग के लोगों में भी कुपोषण के शिकार हैं. वह बताती हैं कि ‘साक्षरों में पोषण अनभिज्ञता’ सर्वे के तहत जब बैंक मैनेजर, शिक्षक, प्रोफेसर आदि लोगों के खान-पान का अध्ययन किया गया तो 88 फीसदी लोगों का आहार असंतुलित पाया गया.

क्या है कुपोषण
कुपोषण का अर्थ है- सही पोषण नहीं मिलना. सोनिया कहती हैं, कुपोषण का हम सीधा अर्थ समझते हैं, शरीर में पोषक तत्वों की कमी. ये सभी है, मगर इसका दायरा सिर्फ यही तक सीमित नहीं है. शरीर में पोषक तत्वों का आवश्यकता से अधिक होना भी कुपोषण माना जाता है.

संतुलित आहार से भागेगी बीमारी
डॉक्टर भी मानते हैं कि कुपोषण और बीमारियों का सीधा संबंध है. कुपोषितों में मोटापा, ब्लडप्रेशर, डायबिटीज, थॉयराइड, टीबी, रतौंधी एवं त्वचा संबंधी रोग होना आम है. अगर सही समय पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह कैंसर का भी रूप ले सकता है. डॉक्टरों का मानना है, कि संतुलित आहार से ही बीमारियों की रोकथाम व बचाव संभव है. पीएमसीएच के डॉ. एस पी सिंह कहते हैं, कोई भी बीमारी सही पोषण के बिना ठीक नहीं हो सकती. एम्स,पटना के डॉ. संजीव कुमार कुपोषण से बचाव के लिए डायटिशियन की सलाह जरूरी बताते हैं. डॉ. अजल सिन्हा कहते हैं कि संतुलित आहार लेकर ही कुपोषण से बचा जा सकता है.

क्या है संतुलित आहार
संतुलित आहार वैसा भोजन है, जो उम्र, वजन, काम और शारीरिक परिस्थिति के अनुसार सही अनुपात में शरीर को पोषण प्रदान करे. अर्थात वैसा भोजन जिसमें काबरेहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं मिनरल की मात्र संतुलित हो. डायटिशियन से इस बारे में जानकारी लेनी चाहिए.

लोगों में खान-पान की जानकारी की कमी
डॉ सोनिया कहती हैं, संतुलित आहार न लेने का सबसे बड़ा कारण लोगों में खान-पान को लेकर जागरूकता का अभाव है. लोग यह नहीं जानते कि शरीर को हर रोज कितने कैलोरी की जरूरत है, उन्हें कितना ग्राम प्रोटीन या विटामिन लेना है. इसके अलावा जल्दबाजी, पैसे बचाने की चाह व लापरवाही के कारण भी लोग संतुलित आहार नहीं ले पाते. यह नहीं समझते कि स्वस्थ्य शरीर से बड़ा धन कुछ नहीं.

डायटिशियन से लें सलाह
शरीर के लिए जरूरी पोषक तत्वों की जानकारी हासिल करने के लिए डायटिशियन यानी आहार सलाहकार से संपर्क करना जरूरी है. डायटिशियन हमारी दिनचर्या व शारीरिक परिस्थिति के हिसाब से डायट चार्ट बनाते हैं. इसकी जानकारी प्राप्त करना चाहिए. अगर हम इस चार्ट को फॉलो करते हैं, तो न केवल कुपोषण से बच सकते हैं, बल्कि लंबे समय तक स्वस्थ भी रह सकते हैं.

क्या कहते हैं डायटिशियन
डॉक्टर मरीज के थोड़े से पैसे बचाने के लिए डायटिशियन के पास नहीं भेजते, लेकिन इससे मरीज का खर्च बढ़ता ही है. असंतुलित खान-पान से मरीज लगातार बीमार पड़ता है व कई गंभीर रोगों की चपेट में आ जाता है.

सिद्धार्थ, डायटिशियन

बिहार में तो ज्यादातर लोग डायटिशियन के बारे में जानते तक नहीं. लोगों में जागरूकता का अभाव भी उन्हें कुपोषित कर रहा है.

रुपाली, डायटिशियन

डॉक्टरों के पास इतना वक्त नहीं होता कि वह मरीज की दिनचर्या व डायट चार्ट बनाये. ऐसे में डायटिशियन की भूमिका अहम हो जाती है.

अनुज्ञा, डायटिशियन

लोग इलाज के लिए सिर्फ दवाओं का ही सहारा लेते हैं. वह अपनी बीमारी का संबंध कुपोषण से नहीं समझ पाते इसलिए डायटिशियन के पास नहीं जाते.

अनिला सैमुअल, फिटनेस एडवाइजर

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